
लट् लकार धातु रूप वर्तमान काल-
संस्कृत में वर्तमान काल को लट् लकार कहा जाता है जहां पर वर्तमान काल अर्थात कार्य का निरंतर चलना रहता है वहां पर धातु रूप में धातु के लट् लकार का प्रयोग किया जाता है जैसे राम घर जा रहा है या राम घर जाता है इन दोनों बातों में जाने का काम निरंतर हो रहा है और खत्म होने का संकेत नहीं मिल रहा है इसलिए इनमें वर्तमान काल है और जाना क्रिया है अतः इस का लट् लकार रूप प्रयोग किया जाएगा ।
धातु अपने कर्ता के अनुसार ही हमेशा प्रयोग में लाई जाती है जैसे हमारा कर्ता प्रथम पुरुष एकवचन का है तो धातु रूप भी प्रथम पुरुष एकवचन का ही होगा अगर हमारा करता मध्यम पुरुष बहुवचन का है तो हमारे धातु रूप भी मध्यम पुरुष बहुवचन के रूप में ही प्रयोग की जाएगी जैसे राम घर जाता है इस वाक्य में राम प्रथम पुरुष एकवचन हैं तो लट् लकार के अंदर प्रथम पुरुष एकवचन में जाना की धातु रूप गच्छति आएगा अतः इस वाक्य में जाता है कि लिए गच्छति शब्द का प्रयोग किया जाएगा ।
लट् लकार धातु रूप वर्तमान काल-
********* | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथम पुरुष | ति | त: | न्ति |
मध्यम पुरुष | सि | थ: | थ |
उत्तम पुरुष | ।मि | ।व: | ।म: |
ऊपर दी गई टेबल के अनुसार धातु रूप हमेशा कर्ता के पुरूष और वचन के अनुसार ही प्रयोग किए जाते हैं जैसे यदि हमारा कर्ता प्रथम पुरुष एकवचन का है तो धातु रूप में लट् लकार में प्रथम पुरुष एकवचन में शब्द के अंत में ति आता है अतः धातु में ति लगाकर ही प्रयोग करेंगे ।
- वह पढ़ता है ।
- स: पठति ।
- वे दोनों पढ़ते हैं ।
- तौ पठत: ।
- वे सब पढ़ते हैं।
- ते पठन्ति ।
- *********
- तुम पढ़ते हो ।
- त्वम् पठसि ।
- तुम दोनों पढ़ते हो।
- युवाम् पठथ: ।
- तुम सब पढ़ते हो।
- यूयम् पठथ ।
- मैं पढ़ता हूं ।
- **********
- अहम् पठामि ।
- हम दोनों पढ़ते हैं।
- आवाम् पठाव: ।
- हम सब पढ़ते हैं
- वयम् पठाम: ।
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