Up board solution for class 9 hindi chapter 5 स्मृति (श्रीराम शर्मा)- गद्य खण्ड

Up board solution for class 9 hindi chapter 5 स्मृति (श्रीराम शर्मा)- गद्य खण्ड

Up board solution for class 9 hindi chapter 5 स्मृति (श्रीराम शर्मा)- गद्य खण्ड सम्पूर्ण हल

पाठ 5—- स्मृति (श्रीराम शर्मा)
(क) लघु उत्तरीय प्रश्न
1—- श्रीराम शर्मा के जन्म-स्थान एवं जन्म-तिथि के बारे में बताइए ।।
उत्तर— श्रीराम शर्मा का जन्म उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में मक्खनपुर के समीप किरथरा नामक गाँव में 1896 ई० को हुआ था ।।
2—- शर्मा जी ने बचपन की शिक्षा एवं उच्च शिक्षा कहाँ से प्राप्त की ?
उत्तर— शर्मा जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मक्खनपुर में ही की ।। इसके बाद उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बी०ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की ।।
3—- सर्वप्रथम रेखाचित्र के लेखक होने का गौरव किनको प्राप्त हुआ ?
उत्तर— सर्वप्रथम श्रीराम शर्मा को रेखाचित्र के लेखक होने का गौरव प्राप्त हुआ ।। _


_4—- शर्मा जी लंबे समय तक किस पत्रिका के संपादक रहे ?
उत्तर— शर्मा जी लंबे समय तक ‘विशाल भारत’ पत्रिका के संपादक रहे ।।
5—- जंगल की रोमांचकारी घटनाओं के चित्रणशर्मा जी की किस रचना में मिलते हैं ?
उत्तर— श्रीराम शर्मा जी की रचना ‘शिकार’ में उनकी जंगल की रोमांचकारी घटनाओं का चित्रण मिलता है
6—- ‘सन बयालीस के संस्मरण’ किस शैली की रचना है ?
उत्तर— ‘सन बयालीस के संस्मरण’ आत्मकथात्मक शैली की रचना है ।।
7—- ‘स्मृति’ में लेखक ने किसका वर्णन करके पाठकों का ध्यान आकर्षित किया है ?
उत्तर— ‘स्मृति’ में लेखक ने अपने बचपन की एक रोमांचकारी घटना का वर्णन करके पाठकों का ध्यान आकर्षित किया है ।।
8—- श्रीराम शर्मा की दो रचनाओं के नाम लिखिए ।।
उत्तर— सेवाग्राम की डायरी और जंगल के जीव ।।

(ख) विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
1—- श्रीराम शर्मा जी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए उनकी साहित्यिक सेवाओं का वर्णन कीजिए ।।
उत्तर— श्रीराम शर्मा केवल एक व्यक्ति ही नहीं थे, वे एक संस्था भी थे, जिससे परिचित होना हिंदी साहित्य के गौरवशाली अध्याय से परिचित होना है ।। स्वतंत्रता-संग्राम सेनानी पं० श्रीराम शर्मा ने शुक्लोत्तर युग में लेखन कार्य करते हुए पत्रकारिता के क्षेत्र में उपलब्धि हासिल की ।। सर्वप्रथम आपको रेखाचित्र लेखक होने का गौरव प्राप्त है ।। जीवन परिचय- शिकार-साहित्य के प्रणेता पं० श्रीराम शर्मा का जन्म उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में मक्खनपुर के समीप किरथरा नामक गाँव में 1896 ई० को हुआ था ।। अपनी प्रारंभिक शिक्षा इन्होंने मक्खनपुर में ही की थी ।। इसके बाद इन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बी०ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की ।। ये बचपन से ही साहसी और आत्मविश्वासी थे ।। देशप्रेम की भावना इनके अंदर कूट-कूट कर भरी हुई थी ।। कुछ अवसरों पर इन्होंने अपने गुणों का परिचय भी दिया था ।। ये शिकार-साहित्य के सर्वाधिक प्रसिद्ध लेखक हैं ।। वास्तव में इनका इस दिशा में किया गया लेखन सर्वप्रथम किंतु सफल प्रयास था ।। महात्मा गाँधी के साथ असहयोग-आंदोलन में भाग लेने वाले तथा महान् देशभक्त श्रीराम शर्मा लंबी बीमारी के चलते सन् 1967 में सदा के लिए इस संसार से विदा हो गए ।। साहित्यिक सेवाएँ- श्रीराम शर्मा ने आरंभ में शिक्षण का कार्य किया परंतु उनका झुकाव लेखन और पत्रकारिता की तरफ था ।।

श्रीराम जी ने लंबे समय तक ‘विशाल भारत’ पत्रिका का संपादन किया ।। पत्रकारिता के क्षेत्र में इनका महत्वपूर्ण स्थान है ।। इन्होंने श्री गणेश शंकर के दैनिक पत्र ‘प्रताप’ में भी सह-संपादक के रूप में कार्य किया ।। हिंदी साहित्य में शिकार-साहित्य का प्रारंभ इन्हीं के द्वारा हुआ है ।। शिकार-साहित्य से संबंधित लेखों में घटना विस्तार के साथ-साथ पशुओं के मनोविज्ञान का सम्यक् परिचय देते हुए इन्होंने उन्हें पर्याप्त रोचक बनाने में सफलता प्राप्त की है ।। इन्होंने ज्ञानवर्द्धक एवं विचारोत्तेजक लेख भी लिखे हैं, जो विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में समय-समय पर प्रकाशित होते रहते हैं ।। श्रीराम शर्मा जी की रचनाओं में सेवाग्राम की डायरी, सन् बयालीस के संस्मरण, जंगल के जीव, प्राणों का सौदा, बोलती प्रतिमा, शिकार आदि प्रमुख हैं ।। जीवनी, संस्मरण व शिकार साहित्य आदि विधाओं पर लेखनी चलाने वाले श्रीराम शर्मा साहित्य जगत में अपनी उपलब्धियों के लिए सदैव स्मरणीय रहेंगे ।।


2—- श्रीराम शर्मा जी की भाषा-शैली की विशेषताएँ लिखिए ।।
उत्तर— भाषा-शैली- श्रीराम शर्मा की भाषा सहज, सरल, बोधगम्य एवं प्रवाहगम्य है ।। भाषा की दृष्टि से इन्हें प्रेमचंद के निकट
कहा जा सकता है ।। अपनी भाषा को सरल बनाने के लिए इन्होंने उर्दू, संस्कृत, अंग्रेजी एवं लोक-प्रचलित शब्दों का भी यथास्थान प्रयोग किया है ।। मुहावरों व लोकोक्तियों के प्रयोग से भाषा में और भी अधिक रोचकता व व्यावहारिकता उत्पन्न इनकी रचनाओं में निम्नलिखित शैलियों के दर्शन होते हैं
(अ) चित्रात्मक शैली- इस शैली के माध्यम से इन्होंने अपने बचपन के दिनों और शिकार की घटनाओं पर आधारित
चित्र प्रस्तुत किए हैं ।।
(ब) आत्मकथात्मक शैली- शर्मा जी ने इस शैली का प्रयोग अपने संस्मरण-साहित्य में किया हैं ।। ‘सन् बयालीस के संस्मरण’ और ‘सेवाग्राम की डायरी’ में इस शैली का प्रयोग है ।।
(स) वर्णनात्मक शैली- शर्मा जी ने इस शैली का प्रयोग शिकार-साहित्य में किया है ।। इस शैली की भाषा सरल और सुबोध है ।।
(द) विवेचनात्मक शैली- गंभीर और विचारपूर्ण निबंधों में शर्मा जी ने इस शैली का प्रयोग किया है ।। इसमें संस्कृतनिष्ठ एवं अपेक्षाकृत बड़े वाक्यों का प्रयोग हुआ है ।।


3—- ‘स्मृति’ पाठ का सारांश अपने शब्दों मे लिखिए ।।
उत्तर— पं० श्रीराम शर्मा द्वारा रचित लेख ‘स्मृति’ एक संस्मरणात्मक लेख है, जो साहसिक एवं शिकार कथा पर आधारित है ।। यह पं० श्रीराम शर्मा द्वारा लिखित ‘शिकार’ नामक पुस्तक से संकलित है जिसमें लेखक ने अपने बचपन की रोमांचकारी घटना का वर्णन किया है ।। सन् 1908 ई० में दिसंबर या जनवरी के महीने में शाम के साढ़े तीन या चार बजे जब लेखक अपने छोटे भाई के साथ झरबेरी से बेर तोड़कर खा रहा था, उन्हें (लेखक को) उनके बड़े भाई ने बुलवाया ।। लेखक पिटाई के भय से डर गया, परंतु भाई साहब ने लेखक को मक्खनपुर डाकखाने में पत्र डालने के लिए दिए जो बहुत आवश्यक थे ।। लेखक अपने छोटे भाई के साथ अपने-अपने डंडे लेकर व माँ के दिए चने लेकर चल दिए ।। लेखक ने पत्रों को अपनी टोपी में रख लिया क्योंकि उनके कुर्ते में जेबें न थी ।। मार्ग में दोनों भाई उस कुएँ के पास पहुँचे जो कच्चा था तथा जिसमें एक अतिभयंकर काला साँप था ।। प्रतिदिन लेखक व उसके मित्र कुएँ में ढेला फेंककर साँप की क्रोधपूर्ण फुसकार पर कहकहे लगाते थे ।। आज भी लेखक के मन में साँप की फुसकार सुनने की इच्छा जाग्रत हुई ।। लेखक ने एक ढेला उठाया और एक हाथ से टोपी उतारकर कुएँ में गिरा दिया ।। लेखक के टोपी हाथ में लेते ही तीनों चिट्ठियाँ जो टोपी में रखी थीं चक्कर काटती हुए कुएँ में गिर गई ।। निराशा व पिटने के भय से दोनों भाई कुएँ के पाट पर बैठकर रोने लगे ।।

लेखक का मन करता कि माँ आकर गले लगाकर कहे कोई बात नहीं या घर जाकर झूठ बोल दे, परंतु लेखक झूठ बोलना नहीं जानता था तथा सच बताने पर उसे पिटाई का भय था, तब लेखक ने कुएँ मे घुसकर चिट्ठियाँ निकालने का दृढ़ निश्चय किया ।। लेखक ने अपनी व भाई की धोतियाँ तथा रस्सी बाँधी और रस्सी के एक सिरे पर डंडा बाँधकर कुएँ में डाल दिया तथा दूसरा सिरा कुएँ की डेंग से बाँध दिया और स्वयं धोती के सहारे कुएँ मे घुस गया ।।

कुएँ में धरातल से चार-पाँच गज की ऊँचाई से लेखक ने देखा कि साँप उसका मुकाबला करने के लिए फन फैलाकर तैयार था ।। लेखक को साँप को मारने व चिट्ठियाँ लेने के लिए कुएँ के धरातल पर उतरना ही था क्योंकि चिट्ठियाँ वहीं गिरी हुई थी ।। जैसे-जैसे लेखक नीचे उतरता वैसे-वैसे उसका चित्त एकाग्र होता जाता ।। कच्चे कुएँ का व्यास कम होता है इसलिए डंडा चलाने के लिए पर्याप्त स्थान न था ।। तभी लेखक ने साँप को न छेड़ने का निर्णय लिया ।। लेखक ने डंडे से चिट्ठियाँ सरकाने का प्रयास किया और साँप की फुसकार से लेखक के हाथ से डंडा छूट गया ।। लेखक ने दूसरा प्रयास किया और साँप डंडे से चिपट गया ।। डंडे के लेखक की ओर खिंच आने से साँप की मुद्रा बदल गई और लेखक ने लिफाफे और पोस्टकार्ड चुन लिए ।। लेखक ने चिट्ठियों को धोती से बाँध दिया, जिसे छोटे भाई ने ऊपर खींच लिया तथा डंडा उठाकर हाथों के सहारे ऊपर चढ़ गया ।। ऊपर आकर वह थोड़ी देर पड़ा रहा तथा किशनपुर के जिस लड़के ने उसे ऊपर चढ़ते देखा था उसे कहा कि इस घटना के बारे में किसी से न कहे ।। सन 1915 में मैट्रीक्युलेशन उत्तीर्ण करने के बाद लेखक ने यह घटना अपनी माँ को बताई और माँ ने लेखक को अपनी गोद में छुपा लिया ।।

(ग) अवतरणों पर आधारित प्रश्न


1—- हमें देखकर भाई साहब —————- कुर्ते में जेबेंन थी ।।
संदर्भ- प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘हिंदी’ के ‘गद्य खंड’ में संकलित ‘श्रीराम शर्मा’ द्वारा लिखित ‘स्मृति’ नामक निबंध से अवतरित है ।।
प्रसंग- इन पंक्तियों में लेखक ने अपने बचपन की एक रोमांचकारी घटना का वर्णन किया है ।। लेखक ने यहाँ स्पष्ट किया है कि बचपन के उन दिनों में वह डंडा चलाकर साँप को मारने में अत्यंत कुशल था ।।

व्याख्या- लेखक अपने बचपन की रोमांचकारी घटना का वर्णन करते हुए कहता है कि जब वह और उसका छोटा भाई जंगल में झरबेरी के पेड़ से बेर तोड़कर खा रहे थे तब लेखक के बड़े भाई ने उन्हें बुलाया एवं उन्हें कुछ महत्वपूर्ण पत्र देकर पत्रों को मक्खनपुर डाकखाने में डालकर आने के लिए कहा ।। साथ ही भाई साहब ने उन्हें तेजी से जाने को कहा जिससे पत्र समय से डाक में गिर जाए तथा शाम की डाक से ही निकल जाए ।। जाड़े के दिन थे तथा हवा के प्रकोप के कारण शरीर में कँपकँपी लग रही थी ।। हवा इतनी ठंडी थी कि जो शरीर को अंदर तक चीर रही थी ।। इसलिए दोनों भाइयों ने अपनी धोती को कानों से बाँध लिया था ।। लेखक की माँ ने चबाने के लिए थोड़े चने बाँध दिए थे ।। लेखक और उसका छोटा भाई दोनों अपने-अपने डंडे लेकर मक्खनपुर जाने के लिए घर से निकल पड़े ।। लेखक का डंडा बबूल का था ।। उस डंडे से उसे इतना प्यार अथवा लगाव था कि आज प्रौढ़ावस्था में भी लेखक को रायफल से उतना लगाव नहीं है ।। अर्थात् अपनी रक्षा के लिए लेखक को अपने डंडे पर अत्यधिक भरोसा था कि डंडे के साथ वह स्वयं को इतना सुरक्षित समझता था, जितना कि रायफल के साथ व्यक्ति स्वयं को सुरक्षित समझता है ।।

उसका डंडे पर यह भरोसा यूँ ही नहीं था, वह डंडा चलाने में अत्यधिक निपुण था, इसका प्रमाण यह था कि उसने डंडे से अनेक साँपों को मार डाला था ।। उसका वह डंडा साँपों के लिए विष्णु की सवारी गरुड़ के समान साक्षात् यमराज था ।। जैसे गरुड़ देखते-ही-देखते पलभर में साँप को मार डालता है, वैसे ही लेखक डंडे से पलक झपकते ही साँप को मौत के घाट उतार देता था ।। वे उस डंडे से हर साल स्कूल जाते समय गाँव और मक्खनपुर के बीच में पड़ने वाले आम के पेड़ों से खूब आम झाड़ते थे ।। इसलिए वह बिना जुबान का डंडा लेखक के लिए लकड़ी का एक टुकड़ा मात्र न था, बल्कि वह तो जीता-जागता एक बहादुर साथी था ।। लेखक और उसका भाई दोनों अत्यधिक प्रसन्नता के साथ मक्खनपुर की ओर तेजी से जाने लगे; क्योंकि उन्हें दिन छिपने से पहले चिट्ठियाँ डाकखाने में डालकर घर वापस आना था ।। लेखक के कुर्ते में जेबें नहीं थी; अत: उसने चिट्ठियों को सिर पर अपनी टोपी के नीचे सुरक्षित रख लिया ।।


प्रश्नोत्तर (अ) उपर्युक्त गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए ।।
उत्तर— पाठ- स्मृति
लेखक- श्रीराम शर्मा
(ब) भाईसाहब ने पत्रों को डाकखाने में जल्दी डालने के लिए क्यों कहा ?
उत्तर— भाई साहब ने पत्रों को डाकखाने में जल्दी डालने के लिए इसलिए कहा जिससे पत्र शाम की डाक से चले जाएँ
क्योंकि वे बहुत महत्वपूर्ण थे ।। (स) बबल के डंडे की तलना किससे की गई है ?
उत्तर— बबूल के डंडे की तुलना रायफल और विष्णु के वाहन गरुड़ से की गई है ।।
(द) ठंड से बचने के लिए लेखक ने क्या कहा ?
उत्तर— ठंड से बचने के लिए लेखक ने अपनी धोती को कानों से बाँध लिया ।।
(य) ‘नारायण-वाहन’ का क्या आशय है ?
उत्तर— ‘नारायण-वाहन’ का अर्थ यद्यपि विष्णु की सवारी (गरुड़) है, किंतु यहाँ उसका आशय ‘यमदूत’ अथवा
‘यमराज’ है ।।
(र) मूक डंडे का सजीव प्रतीत होने से लेखक का क्या अभिप्राय है ?
उत्तर— लेखक का मूक डंडा हर साल उसे सजीव साथी की तरह आम के पेड़ों से आम तोड़कर उपलब्ध करा
(अ) उपर्युक्त गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए ।।
उत्तर— पाठ- स्मृति
लेखक- श्रीराम शर्मा
(ब) दोनों भाइयों के रोने में क्या अंतर था ?
उत्तर— लेखक चुपचाप रोता था, उसकी आँखों में रह-रहकर आँसू उमड़कर उसके गालों पर ढुलक जाते थे, किंतु छोटा भाई दहाड़े मार-मारकर जोर
संदर्भ- पूर्ववत्
प्रसंग- इस कथा में लेखक ने अपने बचपन की एक रोमांचकारी घटना का वर्भी इसमें विशेष रूप से द्रष्टव्य है ।। प

व्याख्या- जब कोई व्यक्ति किसी कार्य को करने का दृढ़-निश्चय कर लेता है, तब उसके मन की उलझन स्वयं ही समाप्त हो जाती है ।। मन में दुविधा की स्थिति समाप्त हो जाने से उसे किसी भी बात का भय नहीं रह जाता है ।। लेखक कहता है कि मैंने भी दृढ़-निश्चय कर लिया था कि अंधे कुएँ में मेरे हाथ से जो चिट्ठियाँ गिर पड़ी हैं, उन्हें मैं कुएँ में घुसकर निकालूंगा ।। इस सूखे कुएँ में एक साँप रहता था ।। साँप के रहते कुएँ में मेरा प्रवेश करना बड़ा दुष्कर और संकटपूर्ण कार्य था; पर जो लोग अपने प्राण हथेली पर रख लेते हैं, उनके लिए कोई भय शेष नहीं रह जाता ।। ।।

लेखक आगे कहता है कि जब कोई व्यक्ति मूर्खता या अत्यधिक बुद्धिमत्ता के कारण जान-बूझकर अपने आपको मौत के मुँह में ढकेल दे, तब ऐसा व्यक्ति पूरे संसार से अकेला ही टक्कर लेने के तैयार हो जाता है ।। इस संघर्ष के परिणाम की चिंता उसे नहीं रहती ।। कर्म करना मनुष्य का कार्य है और फल देना ईश्वर के अधीन है ।। मैंने भी यही सोच लिया और कुएँ से चिट्ठियाँ निकालने और साँप से भिड़ने का निर्णय कर लिया ।। लेखक ने अपना निर्णय कर लिया था, भले ही उसकी मृत्यु हो जाए अथवा साँप से बचकर उसका दूसरा जन्म हो इसकी उसे कोई परवाह न थी ।। परंतु लेखक को यह विश्वास था कि वह अपने डंडे से साँप को मारकर फिर चिट्ठियों को उठा लेगा और इसी पक्के विश्वास के कारण ही उसने कुएँ में घुसने का निश्चय किया था ।।

प्रश्नोत्तर (अ) उपर्युक्त गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए ।।
उत्तर— पाठ- स्मृति
लेखक- श्रीराम शर्मा
(ब) किस प्रकारदविधा की बेडियाँ कट जाती हैं ?
उत्तर— जब व्यक्ति किसी कार्य के विषय में दृढ़-निश्चय कर लेता है तो उस कार्य को करने अथवा न करने की
दुविधारूपी बेड़ियाँ कट जाती हैं ।।
(स) लेखक ने क्या करने का निश्चय किया ?
उत्तर— लेखक ने कुएँ में घुसकर चिट्ठियाँ निकालने का निश्चय किया ।।
(द) क्या निकालने के लिए लेखक विषधर से भिड़ने को तैयार हो गया ?
उत्तर— लेखक चिट्ठियाँ निकालने के लिए विषधर से भिड़ने को तैयार हो गया ।।
(य) ‘मौत का आलिंगन’ और ‘साँप से बचकर दूसरा जन्म’इनमें लेखक के कहने का क्या अभिप्राय है ?
उत्तर— ‘मौत का आलिंगन’ और ‘साँप से बचकर दूसरा जन्म’ से लेखक का अभिप्राय ‘मृत्यु’ तथा ‘मृत्यु का सामना
करके उसे बचने से है ।।’


4—- छोटा भाई रोता था—————————-छोटा भाई भी नंगा हुआ ।।
संदर्भ- पूर्ववत् प्रसंग- इन पंक्तियों में लेखक ने अपने बचपन की एक रोमांचकारी स्मृति-कथा का वर्णन किया है ।। जब लेखक ने कुएँ के भीतर से चिट्ठियाँ निकालने का दृढ़ निश्चय कर लिया, अर्थात् जब वह दुविधा मुक्त हो गया, उसी के बाद की स्थिति का वर्णन इस गद्यांश में किया गया है ।।

व्याख्या-श्रीराम शर्मा कहते हैं कि जब उन्होंने चिट्ठियाँ निकालने के लिए कुएँ में उतरने का संकल्प कर लिया, तो उनके साथ आने वाला उनका छोटा भाई रोने लगा ।। कुएँ में नीचे साँप था और उसके रोने का अर्थ स्पष्ट था कि साँप बड़े भाई को (लेखक को) काट लेगा और वह मर जाएगा ।। लेकिन इस बात को छोटा भाई स्पष्ट रूप से कहता नहीं था ।। लेखक कहता है कि नीचे साक्षात् मौत नग्नरूप में तैयार बैठी थी और उससे लड़ने के लिए लेखक को भी नग्न होना पड़ा; अर्थात् उन्हें अपनी तथा अपने छोटे भाई की धोती उतारकर, उन्हें आपस में जोड़कर रस्सी का रूप देकर कुएँ में उतरने की तैयारी करनी पड़ी ।।


प्रश्नोत्तर (अ) उपर्युक्त गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए ।।
उत्तर— पाठ- स्मृति
लेखक- श्रीराम शर्मा
(ब) मौत किस रूप में कुएँ में बैठी थी ?
उत्तर— मौत साँप के रूप में कुएँ में बैठी थी ।।
(स) मौत सजीव और नग्न कैसे है ?
उत्तर— कुएँ में बैठे साँप के काटने पर मौत निश्चित थी; इस प्रकार से मौत साँप के रूप में सजीव थी ।। साँप किसी आवरण
के भीतर नहीं छिपा था, बल्कि नग्न रूप में था; जैसे ही लेखक वहाँ पहुँचता, वह सीधा उसके संपर्क में आता
और उसके काटने से उसकी मौत हो जाती; अत: मौत सजीव के साथ-साथ नग्न भी थी ।।
(द) ‘नग्न मौत के मुठभेड़ के लिए मुझे भी नग्न होना पड़ा’ से लेखक का क्या आशय है ?
उत्तर— यहाँ लेखक का आशय यह है कि उसे साँप का सामना करने के लिए अपनी धोती उतारकर नंगा होना पड़ा ।।


5—- मनुष्य का अनुमान —————– मुझे भी ले जाता ।।
संदर्भ- पूर्ववत् प्रसंग- इसमें लेखक ने उस स्थिति का वर्णन किया है, जब वह कुएँ में गिर पड़ी चिट्ठियों को निकालने के लिए कुएँ में उतर गया था ।। कुएँ में साँप का सामना करते समय उसके मन में क्या-क्या भाव उत्पन्न हुए, उन्हीं का वर्णन यहाँ किया गया
व्याख्या- लेखक ने इन पंक्तियों में वर्णन किया है कि मुझे अपना कार्य, जिसके लिए मैं कुएँ के धरातल पर पहुँचा था, असंभव-सा लगने लगा ।। मेरे मन में विचार आया कि मनुष्य सोचता तो बहुत बड़ी-बड़ी बातें हैं, परंतु समय आने पर उसकी सारी योजनाएँ और उम्मीदें झूठी सिद्ध होती हैं ।। साँप का सामना होते ही मुझे अपनी आशा और योजना का पूरा होना असंभव लगने लगा ।। मुझे प्रतीत होने लगा कि साँप के समीप पड़ी हुई चिट्ठियाँ उठाने का मेरा दुस्साहस सफल नहीं हो सकेगा क्योंकि कुएँ में डंडा चलाने का स्थान नहीं था और लेखक डंडे से साँप को मारने के विश्वास पर ही कुएँ में आया था ।। कुआँ कच्चा था, जिसका व्यास कम था और डंडा या लाठी चलाने के लिए पर्याप्त स्थान की आवश्यकता होती है ।। साँप के फन को डंडे से दबाया जा सकता था परंतु ऐसा करना मौत को पुकारना था क्योंकि अगर साँप का फन या उसके पास का भाग डंडे से न दबता तो वह पलटकर वार जरूर करता और अगर वह फन को दबा भी देता तो वह उसके पास पड़ी चिट्ठियों को कैसे उठाता क्योंकि दो चिट्ठियाँ साँप के पास सटी पड़ी थी ।। साँप और लेखक दोनों अपने-अपने मोरचे पर डटे थे ।। कुएँ में खड़े हुए लेखक को चार या पाँच मिनट का समय हो गया था ।। लेखक कहता है कि उसका मोरचा कमजोर था क्योंकि साँप के आक्रमण पर यदि वह साँप को मार भी देता तो वह अपने दाँतों द्वारा विष लेखक के शरीर में उड़ेलकर उसे भी अपने साथ काल का ग्रास बना देता ।।


प्रश्नोत्तर (अ) उपर्युक्त गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए ।।
उत्तर— पाठ- स्मृति
लेखक- श्रीराम शर्मा
(ब) ‘मनुष्य का अनुमान और भावी योजनाएँ कभी-कभी कितनी मिथ्या और उल्टी निकलती हैं ।।’ से लेखक
का क्या आशय है ?
उ०–यहाँ लेखक का आशय है कि मनुष्य की भावी योजनाएँ और अनुमान सदैव सफल और सही नहीं होते, बल्कि अनेक बार तो इसके ठीक विपरीत होता है ।।
(स) लेखक को अपनी योजना असंभव क्यों प्रतीत हो रही थी ?
उत्तर— लेखक को कुएँ में नीचे उतरकर साँप को मारकर चिट्ठियाँ प्राप्त करने की अपनी योजना असंभव होती प्रतीत
हुई; क्योंकि चिट्ठियाँ साँप के बिल्कुल समीप पड़ी थीं और साँप को मारने के लिए कुएँ में स्थान कम होने के
कारण डंडा नहीं चलाया जा सकता था ।।
(द) कुएँ में चिट्ठियों के पड़े होने की स्थिति क्या थी ?
उत्तर— कुएँ में दो चिट्ठियाँ साँप के पास सटी हुई पड़ी थी तथा एक चिट्टी लेखक की ओर थी ।।
(य) क्या कुएँ में डंडा चलाने का स्थान था ?
उत्तर— कुएँ में डंडा चलाने का पर्याप्त स्थान नहीं था क्योंकि कुआँ कच्चा था और कच्चे कुएँ का व्यास कम होता है ।। ।।

(घ) वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1—- श्रीराम शर्मा का जन्म हुआ था
(अ) सन् 1896 में (ब) सन् 1874 में (स) सन् 1751 में (द) सन् 1879 में
2—- श्रीराम शर्मा द्वारा संपादित पत्र है
(अ) ब्राह्मण (ब) मर्यादा (स) माधुरी (द) विशाल भारत


3—- श्रीराम शर्मा ने बी०ए० की परीक्षा किस विश्वविद्यालय से उत्तीर्ण की ?
(अ) काशी विद्यापीठ (ब) लखनऊ विश्वविद्यालय (स) इलाहाबाद विश्वविद्यालय (द) बनारस हिंदू विश्वविद्यालय
4—- श्रीराम शर्मा जी की कृति ‘सेवाग्राम की डायरी’किस विधा की रचना है ?
(अ) जीवनी (ब) कथा-साहित्य (स) संस्मरण (द) शिकार-साहित्य
5—- ‘सन्बयालीस के संस्मरण’ में किस शैली के दर्शन होते हैं ?
(अ) चित्रात्मक शैली (ब) वर्णनात्मक शैली (स) आत्मकथात्मक शैली (द) विवेचनात्मक शैली

(ङ) व्याकरण एवं रचनाबोध
1—- निम्नलिखित शब्दों का समास विग्रह कीजिए
समस्त पद—————–समास विग्रह
भयंकर—————–बहुत डरावना
वानर-टोली—————–वानरों की टोली
विषधर—————–विष को धारण करने वाला
मृगसमूह—————–मृगों का समूह
चक्षुःश्रवा—————–क्षुओं से सुनने वाला
मृगशावक—————–मृग का शावक
प्रसन्नवदन—————–प्रसन्न मुख से

4—- निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ स्पष्ट करते हुए वाक्य में प्रयोग कीजिए
आँखेंचार होना- (निगाह मिलाना) बातों ही बातों में राजू व आशा की आँखें चार हो गई ।।


बेहाल होना- (बुरी दशा होना) पुत्र की आकस्मिक मृत्यु पर उसके माता-पिता का हाल बेहाल हो गया ।।

बेड़ियाँ कट जाना- (स्वतंत्र हो जाना) 15 अगस्त 1947 को भारतमाता की बेड़ियाँ कट गईं ।।


पैंतरे पर डटना- (मुकाबले में रहना) भारतीय क्रिकेट टीम दिग्गज खिलाड़ियों के आउट होने के बाद भी पैंतरे पर डटी रही ।।

पीठ दिखाना- (युद्ध से भाग जाना) भारतीय वीर लड़ते-लड़ते वीरगति को प्राप्त हो गए, परंतु उन्होंने कभी युद्ध में पीठ नहीं दिखाई ।।


कलेजे पर फिरना- (आघात पहुँचना) विजय के अपने माता-पिता के लिए अपमानजनक शब्द उसके कलेजे पर फिर गए ।।

दुधारी तलवार- (दोहरा संकट) रामप्रसाद के सिर पर दुधारी तलवार लटक रही थी कि वह अपने पुत्र को व्यापार के लिए कुछ धन दे या पुत्री का विवाह करें ।।


मेरी तो जान निकल गई- (बहुत घबरा जाना) सड़क पर होने वाली मोटर दुर्घटना को देखकर मेरी तो जान ही निकल गई ।।
मोरचे पर पड़े होना- (घात-प्रतिघात के लिए उद्यत होना) सीमा पर दोनों ओर के सैनिक मोरचे पर पड़े हैं ।।


आकाश कुसुम होना- (असंभव होना) रवि मैट्रिक परीक्षा में दो बार अनुत्तीर्ण हो चुका है ।। लगता है इस बार भी उसके लिए मैट्रिक परीक्षा में उत्तीर्ण होना आकाश कुसुम होना है ।।

नारायण-वाहन हो चुकना (मौत का साधन बनना) अवांछित जगहों पर बने अत्यधिक ऊँचे गति-अवरोधक लोगों के लिए नारायण-वाहन हो चुके हैं ।।

-बिजली-सी गिरना (मानसिक आघात लगना) आतंकवादी हमले में अपने पुत्र की मृत्यु का समाचार सुनकर सुनीता पर बिजली-सी गिर पड़ी ।।


दिन का बुढ़ापा बढ़ता जाता (दिन छिपने के समीप होना) दिन का बुढ़ापा बढ़ता देखकर शिकारी दल ने अपना सामान समेटकर शिविर की ओर प्रस्थान किया

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