Up board social science class 10 chapter 28: संयुक्त राष्ट्र संघ एवं विश्व-शांति
पाठ - 28 संयुक्त राष्ट्र संघ एवं विश्व-शांति
लघुउत्तरीय प्रश्न
प्रश्न—-1. संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना कब हुई? इसकी स्थापना के तीन उद्देश्य लिखिए।
उ०- संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना 24 अक्टूबर, 1945 ई० न्यूयार्क में हुई। इसकी स्थापना के तीन उद्देश्य निम्नलिखित हैं
(i) अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा की स्थापना अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के अनुरूप करना तथा युद्धों को रोकना। (ii) आक्रमणकारी देश के विरुद्ध सामूहिक रूप से सैनिक कार्यवाही करना। (iii) अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक समस्याओं का निराकरण विचार-विमर्श तथा सहमति से करना।
प्रश्न—-2. संयुक्त राष्ट्र संघ के चार प्रमुख सिद्धांत लिखिए।
उ०- संयुक्त राष्ट्र संघ के चार प्रमुख सिद्धांत निम्नलिखित हैं
(i) समस्त सदस्यों की प्रभुसता एक समान हैं।
(ii) समस्त सदस्य घोषणा-पत्र के अनुरूप अपने दायित्वों का पालन करते हुए निर्धारित अधिकारों की प्राप्ति करेंगे।
(iii) सभी सदस्य राष्ट्र अपने विवादों का निबटारा शांतिपूर्ण ढंग से इस प्रकार करेंगे कि अंतर्राष्ट्रीय शांति, सुरक्षा तथा न्याय
को किसी प्रकार का कोई खतरा न हो।
(iv) समस्त सदस्य किसी भी राष्ट्र की राजनीतिक स्वतंत्रता तथा प्रभुसत्ता को आघात पहुँचाने वाला कार्य नहीं करेंगे।
प्रश्न—-3. संयुक्त राष्ट्र संघ के चार प्रमुख कार्यों का वर्णन कीजिए।
उ०- संयुक्त राष्ट्र संघ के चार प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं
(i) अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं और विवादों का शांतिपूर्ण ढंग से हल निकालना।
(ii) सदस्य राष्ट्रों के मध्य शांति वार्ता करवाना तथा युद्ध की संभावनाओं को कम करना।
(iii) अंतर्राष्ट्रीय विवादों को हल करने के लिए वार्ता करवाना तथा उपाय करना।।
(iv) विवादों के निबटारे तथा शांति स्थापना के लिए विश्व-पंचायत की भूमिका निभाना ।
प्रश्न—- 4. सुरक्षा परिषद् का गठन कैसे होता है? वीटो का अधिकार क्या है?
उ०- सुरक्षा परिषद् का गठन एवं वीटो अधिकार- यह संयुक्त राष्ट्र संघ का एक महत्वपूर्ण अंग है। इसमें 15 सदस्य होते हैं। जिनमें से 5 सदस्य स्थायी तथा 10 सदस्य अस्थायी होते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, इग्लैंड, फ्रांस तथा चीन इसके स्थायी सदस्य हैं। अस्थायी सदस्य महासभा द्वारा दो तिहाई बहुमत से दो वर्ष के लिए चुने जाते हैं। कोई अस्थायी सदस्य अवधि समाप्त होने पर पुनः निर्वाचनों में खड़ा नहीं हो सकता। स्थायी सदस्यों को निषेधाधिकार (वीटो पावर) प्राप्त होता है, जिसका आशय उस अधिकार से है, जो स्थायी सदस्य द्वारा पारित होने वाले प्रस्ताव के विरोध में प्रयोग किया जाता है और इसके प्रभावस्वरूप बहुमत से पारित होने वाला प्रस्ताव भी पारित होने से रुक जाता है। किसी भी वाद-विवाद का अंतिम निर्णय पाँच स्थायी सदस्यों और चार अस्थायी सदस्यों की सहमति के बाद ही माना जाता है। भारत भी 1-1-1993 से 1-1-1995 तक सुरक्षा परिषद् का अस्थायी सदस्य रहा है।
प्रश्न—-5. यदि सुरक्षा परिषद् में कोई स्थायी सदस्य देश प्रस्ताव के विरुद्ध मतदान करे, तो इसका क्या परिणाम होगा?
उ०- यदि सुरक्षा परिषद् में कोई स्थायी सदस्य देश प्रस्ताव के विरूद्ध मतदान करे तो वह प्रस्ताव पारित नहीं किया जा सकता है।
प्रश्न—-6. सुरक्षा परिषद् क्या है? यह विश्व-शांति की स्थापना के लिए क्या कार्य करती है?
उ०- सुरक्षा परिषद् संयुक्त राष्ट्र संघ का एक महत्वपूर्ण अंग है। इसमें 15 सदस्य राष्ट्र होते है। जिनमें 5 सदस्य राष्ट्र स्थाई तथा 10 सदस्य अस्थाई होते हैं। संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, रूस, इंग्लैंड, फ्रांस और चीन इसके स्थाई सदस्य हैं। इस परिषद को विश्व में शांति की स्थापना के लिए असीम अधिकार प्राप्त हैं। यह परिषद अपने इन अधिकारों का सदुपयोग करके तथा अंतर्राष्ट्रीय संघर्ष और विवाद के कारणों की जाँच करना तथा उनके निराकरण के शांतिपूर्ण समाधान के उपाय खोजकर विश्व में शांति की स्थापना करती है ।
प्रश्न—- 7. यूनेस्को से आप क्या समझते हैं? इसके दो प्रमुख कार्य क्या हैं?
उ०- यूनेस्को संयुक्त राष्ट्र संघ की एक विशिष्ट समिति (अभिकरण) है। यूनेस्को का पूरा नाम संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन है। इसके दो प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं(i) शिक्षा एवं शैक्षिक अनुसंधान पर बल देना। (ii) शरणार्थियों का पुर्नवास करना।
प्रश्न—8. विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थापना कब हुई? इसके दो प्रमुख कार्यों का वर्णन कीजिए।
उ०- विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थापना 1948 ई० को जेनेवा में हुई। इसके दो प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं
(i) संक्रामक रोगों की रोकथाम करना। (ii) स्वास्थ्य के क्षेत्र में अनुसंधान बढ़ाना ।
प्रश्न—9 ‘वीटो पावर’ क्या है? यह किन-किन देशों को प्राप्त है?
उ०- संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्यों को एक विशेष निषेधाधिकार प्राप्त होता है, जिसे वीटों पावर कहते हैं। इस अधिकार का उपयोग स्थायी सदस्यों द्वारा पारित होने वाले प्रस्ताव का विरोध करने में किया जाता है। यह अधिकार सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्यों संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, इंग्लैंड, फ्रांस तथा चीन को प्राप्त है।
प्रश्न—-10. मानवाधिकार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उ०- मानवाधिकार- अधिकार सामाजिक जीवन की आधारशिला है। प्रत्येक व्यक्ति को जीने के लिए जिन अपेक्षाओं की
आवश्यकता होती है, उन्हें मानवाधिकार की संज्ञा दी जाती है। मानव जीवनयापन के लिए तथा सुख-सुविधाओं का उपभोग
करने के लिए कुछ इच्छाएँ रखता है। राज्य इन इच्छाओं की पूर्ति कर उन्हें मानवाधिकार बना देता है। मानवाधिकार सभ्य एवं सुखी जीवन की अनिवार्यताएँ बन गए हैं। दूसरे शब्दों में, “मानव जीवन के सर्वांगीण विकास हेतु जिन स्वतंत्रताओं और अनिवार्यताओं की आवश्यकता होती है, उन्हें मानवाधिकार कहा जाता है।” मानवाधिकार मानव की उन्नति तथा विकास के लिए नितांत आवश्यक हैं। अतः राज्य उन्हें जुटाने का भरसक प्रयास करता है। मानवाधिकारों के साथ मानव मात्र का सर्वोच्च हित जुड़ा है। मानवाधिकारों के महत्व और अस्तित्व को संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी अनुभव किया। अतः 10 दिसंबर, 1948 ई० में संयुक्त राष्ट्र संघ ने मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा करके इनकी उपादेयता पर अपनी मुहर लगा दी। मानवाधिकारों की इस सार्वभौम घोषणा में 30 धाराएँ हैं। इन धाराओं में मानव के सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक अधिकारों की सुरक्षा की गारंटी दी गई है। समूचे विश्व और मानव जाति में मानवाधिकारों के प्रति रुचि जगाने तथा चेतना उत्पन्न करने की दृष्टि से समूचे विश्व में प्रतिवर्ष 10 दिसंबर को ‘मानवाधिकार दिवस’ मनाया जाता है।
विस्तृत उत्तरीय प्रश्न——
प्रश्न—1 संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना कब की गई? इसके कितने अंग हैं? किन्हीं दो अंगों तथा उनके कार्यों का वर्णन
कीजिए।
उ०- संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना 24 अक्टूबर, 1945 ई० को न्यूयार्क में की गई। संयुक्त राष्ट्र संघ के 6 अंग हैं, जो निम्नलिखित हैं
(i) महासभा
(i) सुरक्षा परिषद्
(iii) आर्थिक एवं सामाजिक परिषद्
(iv) संरक्षण परिषद्
(v) अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय
(vi) सचिवालय। महासभा- यह संयुक्त राष्ट्र संघ की मुख्य या साधारण सभा कही जाती है। प्रत्येक सदस्य राष्ट्र इसमें 5 सदस्य भेज सकता है, परंतु प्रत्येक राष्ट्र को एक ही मत देने का अधिकार होता है। इसका वर्ष में एक अधिवेशन सितंबर माह में आयोजित किया जाता है। आवश्यकता पड़ने पर विशेष अधिवेशन बुलाया जा सकता है। इसमें एक निर्वाचित अध्यक्ष तथा 18 उपाध्यक्ष होते हैं। महासभा के कार्य- महासभा मुख्य रूप से निम्नलिखित कार्य करती है
(i) संयुक्त राष्ट्र संघ का बजट स्वीकार करना।
(ii) सुरक्षा परिषद् के लिए 10 अस्थायी सदस्यों का चुनाव करना।
(iii) आर्थिक परिषद् तथा संरक्षण परिषद् के कुछ सदस्यों का निर्वाचन करना।
(iv) अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीशों के चुनाव में भागीदारी करना।
सुरक्षा परिषद्- इसके लिए लघु उत्तरीय प्रश्न संख्या- 4 के उत्तर का अवलोकन कीजिए। सुरक्षा परिषद के कार्य- सुरक्षा परिषद् द्वारा निम्नलिखित कार्य संपन्न किए जाते हैं
(i) अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के प्रयत्न करना।
(ii) निःशस्त्रीकरण पर बल देते हुए अस्त्र-शस्त्रों की होड़ पर नियंत्रण लगाना।
(iii) तनाव, उत्तेजना तथा युद्ध छिड़ जाने पर जाँच करना तथा इन समस्याओं के निराकरण के उपाय करना।
(iv) दुर्बल क्षेत्रों तथा राष्ट्रों को संरक्षण प्रदान करना।
(v) युद्ध भड़क उठने पर, उसे तुरंत रोकने के उपाय तथा आवश्यक होने पर आक्रमणकारी देश के विरुद्ध सेना का प्रयोग करना।
प्रश्न—-2. संयुक्त राष्ट्र संघ के उद्देश्य तथा सिद्धांतों का वर्णन कीजिए।
उ०- संयुक्त राष्ट्र संघ के उद्देश्य- संयुक्त राष्ट्र संघ के घोषणा–पत्र में इसके निम्नलिखित उद्देश्यों का वर्णन किया गया है
(i) अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा की स्थापना अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के अनुरूप करना तथा युद्धों को रोकना।
(ii) आक्रमणकारी देश के विरुद्ध सामूहिक रूप से सैनिक कार्यवाही करना।
(iii) अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक समस्याओं का निराकरण विचार-विमर्श तथा सहमति से करना।
(iv) पारस्परिक मतभेदों को मिल-बैठकर निबटाना तथा राष्ट्रों के मध्य मैत्रीपूर्ण संबंधों का विकास करना।
(v) मानव के मौलिक अधिकारों, उसकी गरिमा तथा आधारभूत स्वतंत्रता के प्रति सम्मान की भावना जगाना।
(vi) विश्व के संपूर्ण राष्ट्रों में परस्पर मैत्रीपूर्ण समन्वय तथा संबंध बनाए रखना और विचारों की अभिव्यक्ति के लिए एक केंद्रीय विश्व-मंच के रूप में कार्य करना
(vii) प्रत्येक राष्ट्र के साथ समानता का व्यवहार करते हुए सभी को समान अधिकार प्रदान करना। संयुक्त राष्ट्र संघ के सिद्धांत- संयुक्त राष्ट्र संघ के घोषणा-पत्र के अनुसार उसके मूल सिद्धांत निम्नलिखित हैं
(i) समस्त सदस्यों की प्रभुसत्ता एक समान है।
(ii) समस्त सदस्य घोषणा-पत्र के अनुरूप अपने दायित्वों का पालन करते हुए निर्धारित अधिकारों की प्राप्ति करेंगे।
(iii) सभी सदस्य राष्ट्र अपने विवादों का निबटारा शांतिपूर्ण ढंग से इस प्रकार करेंगे कि अंतर्राष्ट्रीय शांति, सुरक्षा तथा न्याय
को किसी प्रकार का खतरा न हो।
(iv) समस्त सदस्य किसी भी राष्ट्र की राजनीतिक स्वतंत्रता तथा प्रभुसत्ता को आघात पहुँचाने वाला कार्य नहीं करेंगे।
(v) समस्त सदस्य घोषणा-पत्र में वर्णित विषयों पर उस राष्ट्र की सहायता नहीं करेंगे, जिनके विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र संघ कोई
विरोधात्मक या प्रतिरोधात्मक कार्यवाही कर रहा हो।
(vi) अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा को बनाए रखने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ उन गैर-सदस्य राष्ट्रों से भी उसके सिद्धांतों के अनुकूल
व्यवहार की आशा करेगा, जो संयुक्त राष्ट्र संघ के घोषणा-पत्र के अनुरूप कार्य नहीं कर रहे हैं।
(vii) संयुक्त राष्ट्र संघ किसी भी राष्ट्र के उन मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगा, जो उसके आंतरिक मामले हैं, न ऐसा कोई
काम करेगा, जो धमकी या दबाव का कारण बन जाए।
प्रश्न—- 3. संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना क्यों की गई? इसकी विशिष्ट संस्थाओं का वर्णन कीजिए।
उ०- संयुक्त राष्ट्र संघ- जिस प्रकार परिवार में मुखिया और पंचायत में प्रधान, समस्याओं का निराकरण और विवादों का निपटारा करते हैं, ठीक वैसे ही अंतर्राष्ट्रीय जगत में एक विश्व-पंचायत बनी, जिसे संयुक्त राष्ट्र संघ कहा जाता है। यह संस्था युद्धों की विभीषिका पर नियंत्रण लगाने के साथ-साथ राष्ट्रों के विवादों का निबटारा करने के उद्देश्य से बनाई गई है।
‘संयुक्त राष्ट्र संघ’, इन शब्दों का प्रयोग सर्वप्रथम संयुक्त राष्ट्रों के 1 जनवरी, 1920 ई० के उस घोषणा-पत्र में किया गया था, जिसमें 26 देशों के प्रतिनिधियों ने मिलकर अपनी-अपनी सरकारों की ओर से जर्मनी, इटली और जापान के विरुद्ध मिलकर लड़ते रहने की प्रतिज्ञा की थी। विश्व के 50 राष्ट्रों का एक महासम्मेलन संयुक्त राज्य अमेरिका के सेन फ्रांसिस्को नगर में आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र संघ के घोषणा-पत्र पर गहन विचार-विमर्श किया गया। 26 जून, 1945 ई० को इस घोषणा-पत्र पर सर्वसम्मति बनी और सभी देशों के प्रतिनिधियों ने इस पर हस्ताक्षर कर इसे मान्य किया। पोलैंड ने बाद में इस पर अपने हस्ताक्षर कर 51 सदस्यों की सहमति की मुहर लगा दी। इसी घोषणा-पत्र के गर्भ से 24 अक्टूबर, 1945 ई० को संयुक्त राष्ट्र संघ का जन्म हुआ। इसका जन्म-स्थल न्यूयार्क था। अत: उसे ही इसका प्रधान कार्यालय (सचिवालय) बनाया गया। संयुक्त राष्ट्र संघ की विशिष्ट संस्थाएँ- संयुक्त राष्ट्र संघ ने आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक कार्यों के संपादन के लिए अनेक विशिष्ट संस्थाओं का निर्माण किया है। इसकी प्रमुख संस्थाओं का विवरण निम्नलिखित है(i) अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन- इसकी स्थापना सर्वप्रथम प्रथम विश्वयुद्ध के बाद 1919 ई० में हुई थी। राष्ट्र संघ के पतन के बाद इसे संयुक्त राष्ट्र संघ का अंग बना लिया गया। इसका मुख्यालय जेनेवा (स्विट्जरलैण्ड) में स्थित है। इसके सदस्यों की कुल संख्या 150 से अधिक है। प्रत्येक राष्ट्र के 4 सदस्य इसकी बैठक में भाग लेते हैं। इसका प्रशासनिक विभाग श्रमिक संघ के कार्यों पर नियंत्रण रखता है। कार्य-
(i) विश्व भर के श्रमिकों के हित के लिए कल्याणकारी योजनाएँ बनाना,
(ii) श्रमिकों के शिक्षण और प्रशिक्षण का प्रबंध करना,
(iii) श्रमिकों के समुचित वेतन, आवास, स्वास्थ्य तथा जीवन-स्तर सुधारने के उपाय करना,
(iv)बाल-श्रम की रोकथाम करना,
(v)औद्योगिक विवादों का निर्णय करना तथा श्रमिकों की समस्याओं का समाधान करना।
(ii) विश्व स्वास्थ्य संगठन- विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थापना 7 अप्रैल, 1948 ई० को जेनेवा (स्विट्जरलैण्ड) में की
गई थी। इस संस्था के तीन अंग हैं- साधारण सभा, प्रशासनिक बोर्ड एवं सचिवालय। प्रशासनिक बोर्ड के सदस्यों की संख्या 18 है। अमेरिका, अफ्रीका, यूरोप तथा दक्षिण-पूर्वी एशिया तथा अन्य देशों में विश्व स्वास्थ्य संगठन की शाखाएँ स्थापित की गयीं हैं। कार्य-
(i) संपूर्ण विश्व में मानव स्वास्थ्य के विकास के लिए विभिन्न योजनाओं का निर्माण करना,
(ii) संक्रामक तथा घातक बीमारियों की रोकथाम करना,
(iii) स्वास्थ्य के क्षेत्र में वैज्ञानिक अनुसंधान करना तथा दैवी आपदा से होने वाली हानि को रोकना,
(iv) अल्प-विकसित देशों को स्वास्थ्य संबंधी जानकारी उपलब्ध करना,
(v) स्वास्थ्य संबंधी साहित्य का प्रकाशन व वितरण करना तथा
(vi) मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में सभी देशों का ध्यान आकर्षित करना ।
(iii) संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन- संयुक्त राष्ट्र संघ के शैक्षणिक, वैज्ञानिक तथा
सांस्कृतिक संगठन की स्थापना के उद्देश्य से 1 से 6 नवंबर तक ब्रिटिश सरकार ने फ्रांस की सरकार के सहयोग से लंदन में एक सम्मेलन बुलाया। इसी सम्मेलन में 4 नवंबर, 1945 ई० को इस संस्था की स्थापना हुई। इस समय इस संस्था के सदस्यों की संख्या 100 से अधिक है। इसका मुख्यालय फ्रांस की राजधानी पेरिस में है। इस संस्था का वर्ष में एक सामान्य सम्मेलन होता है जिसमें सभी सदस्य देशों के एक-एक प्रतिनिधि भाग लेते हैं। कार्य- यह संघ की सबसे अधिक महत्वपूर्ण संस्था है। इसके कार्य निम्नलिखित हैं
(i) विश्व में शिक्षा और संस्कृति का प्रसार करना,
(ii) शिक्षा और विज्ञान के क्षेत्र में नवीन अनुसंधाान करना तथा अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना का विकास करना,
(iii) अविकसित तथा विकासशील देशों में शैक्षिक तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करवाना,
(iv) विस्थापितों के पुनर्वास की व्यवस्था करना,
(v) विश्व के देशों में सांस्कृतिक आदान-प्रदान की व्यवस्था करना,
(vi) विशेष समस्याओं के समाधान के लिए विभिन्न देशों में अपने विशेषज्ञ भेजना तथा,
(vii) विभिन्न देशों के वैज्ञानिकों के बीच संपर्क और संबंधों की स्थापना करना।
(iv) खाद्य एवं कृषि संगठन- इस संस्था की स्थापना 16 अक्टूबर, 1945 ई० को हुई थी। वर्तमान में 180 से अधिक देश
इस संस्था के सदस्य हैं। इसका मुख्यालय इटली की राजधानी रोम में स्थित है। कार्य-
(i) अल्प-विकसित देशों में कृषि उत्पादन वृद्धि की योजनाएँ तैयार करना और उन्हें लागू करवाना,
(ii) कृषि संबंधी सूचनाओं का प्रसार करना,
(iii) कृषि की नयी तकनीकों की खोज करना,
(iv) उन्नतशील बीजों की नई-नई किस्मों की खोज करना,
(v) पशुओं के स्वास्थ्य की रक्षा तथा बीमारियों की रोकथाम के उपाय करना तथा
(vi) कृषि संबंधी वैज्ञानिक अनुसंधानों का प्रकाशन करना।
(v) अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष- इस संस्था की स्थापना 4 नवंबर, 1946 ई० को न्यूयार्क (संयुक्त राज्य अमेरिका) में हुई थी। प्रारंभ में इसमें केवल 20 सदस्य थे, लेकिन वर्तमान में इसकी सदस्य-संख्या 188 तक पहुँच गई है। इस संस्था का मुख्य उद्देश्य विश्व भर के बच्चों के स्वास्थ्य की देखभाल करना है। 1953 ई० में इस संस्था को स्थायी कर दिया गया है। कार्य- (i) संसार के सभी देशों के बच्चों की अनिवार्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए आर्थिक सहायता देना, (ii) मातृ और शिशु-कल्याण स्वास्थ्य केंद्रों में प्रशिक्षण व सामग्री की व्यवस्था करना,
(i) दैवी आपदाओं के समय माताओं तथा शिशुओं के लिए विशेष प्रबंध करना,
(iv) विभिन्न देशों के चिकित्सालयों तथा स्कूलों में शिशु-कल्याण व प्रशिक्षण केन्द्रों की स्थापना करना,
(v) शिशुओं की घातक बीमारियों की रोकथाम के लिए योजनाएँ बनाना तथा उन्हें लागू करना। इन संस्थाओं के अतिरिक्त अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ, अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक आदि अनके संस्थाएँ संयुक्त
राष्ट्र संघ की अधीनता में विश्व के देशों के लिए कल्याणकारी कार्यों का संपादन कर रही हैं।।
प्रश्न—-4. संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्यों में भारत के योगदान का वर्णन उदाहरण देकर कीजिए।
उ०- संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्यों में भारत का सहयोग- भारत संयुक्त राष्ट्र संघ के संस्थापक सदस्यों में रहा है, इसलिए वह
आस्था और विश्वास के साथ इस संस्था से जुड़ा है। भारत ने युद्धों को टालने तथा स्थायी विश्व-शांति की स्थापना में संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य किया है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्यों में निम्नवत् सहयोग दिया है(i) भारत ने कोरियाई युद्ध में युद्ध-बंदियों की अदला-बदली का प्रस्ताव पारित करवाया। दोनों देशों के युद्ध-बंदियों को
भारतीय सेना की देख-रेख में ही सौंपा गया।
(ii) कांगो के प्रधानमंत्री की हत्या की भारत ने निष्पक्ष जाँच की माँग करके तथा वहाँ संयुक्त राष्ट्र संघ के कहने पर अपनी
सेना भेजकर कांगो को स्वतंत्र करवाया।
(iii) संयुक्त राष्ट्र संघ ने साइप्रस में भारतीय सेना की टुकड़ी भेजकर वहाँ गृह-युद्ध को रोककर शांति की स्थापना की।
(iv) द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद दो भागों में बँटे वियतनाम के उत्तरी तथा दक्षिणी भागों को मिलाने के लिए आयोग की
स्थापना हुई, जिसकी अध्यक्षता भारत ने की। भारत ने वहाँ युद्ध बंद करने तथा स्थायी शांति का प्रस्ताव पारित कराया। (v) स्वेज नहर विवाद पर 1956 ई० में तृतीय विश्वयुद्ध छिड़ सकता था। भारत ने विशेष दबाव बनाकर इंग्लैंड, फ्रांस तथा
इजराइल की आक्रमणकारी सेनाओं को मिस्र की भूमि से हटवाकर समझौते द्वारा विवाद निबटवाया।
(vi) भारत ने 1966 ई० में संयुक्त राष्ट्र संघ में निःशस्त्रीकरण का प्रस्ताव पारित कराकर, संसार को अस्त्र-शस्त्रों की होड़
से बचाया।
(vii) 1961 ई० में संयुक्त राष्ट्र संघ ने उपनिवेशवाद के उन्मूलन के लिए जो समिति बनाई, उसकी अध्यक्षता भारत के
प्रतिनिधि को दी गई। भारत ने अनेक देशों को उपनिवेशवाद से मुक्त कराया।
(viii) भारत ने ईरान-इराक युद्ध की समाप्ति संयुक्त राष्ट्र संघ की मध्यस्थता से कराई।
(ix) चेकोस्लोवाकिया में 1956 में हंगरी और 1968 में रूस के हस्तक्षेप का भारत ने घोर विरोध किया।
(x) भारत ने 1971 ई० में पूर्वी बंगाल (बांग्लादेश) के भीषण नरसंहार को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ से गुहार लगाई। (xi) भारत को 2 वर्ष के लिए सुरक्षा परिषद् का अस्थायी सदस्य चुना गया। भारत आतंक विरोधी समिति के अध्यक्ष पद पर
सुशोभित हुआ। भारत की श्रीमति विजयलक्ष्मी पंडित संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा की अध्यक्षा रह चुकी हैं।
(xii) भारत ने कांगो, लेबनान, साइप्रस, लाइबेरिया, गोलान हाइट्स, कोट डी आइवर, पूर्वी तिमोर, हैती तथा दक्षिणी सूडान
आदि देशों में शांति सेना भेजकर संयुक्त राष्ट्र संघ का भरपूर सहयोग किया है।
(xiii) भारतीय उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश बलवीर भंडारी अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में निर्वाचित होकर कार्य कर चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत के सहयोग को अमेरिकी प्रतिनिधि ने इन शब्दों में व्यक्त किया है, “संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत एक सैनिक योद्धा के समान खड़ा है, जो उपनिवेशवाद का न झुकने वाला शत्रु है।”
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