Up board social science class 10 chapter 21 राज्य सरकार (विधायिका- विधानमंडल, विधानसभा, विधान परिषद्)

Up board social science class 10 chapter 21 राज्य सरकार (विधायिका- विधानमंडल, विधानसभा, विधान परिषद्)

Up board social science class 10 chapter 21
राज्य सरकार (विधायिका- विधानमंडल, विधानसभा, विधान परिषद्)


लघुउत्तरीय प्रश्न
प्रश्न — 1 राज्य की विधानसभा का गठन किस प्रकार होता है?
उ०- विधानसभा का गठन(i) सदस्य संख्या- विधानसभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 500 तथा न्यूनतम संख्या 60 होगी। किसी राज्य की विधानसभा के सदस्यों की वास्तविक संख्या का निर्धारण वहाँ की जनसंख्या के आधार पर संसद द्वारा किया जाएगा। कुछ स्थान अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों के लिए सुरक्षित रखे जाते हैं। राज्यपाल आंग्ल भारतीय समुदाय के एक सदस्य को मनोनीत कर सकता है। उत्तर प्रदेश की विधानसभा के सदस्यों की संख्या 403 निर्धारित की गई है।
(ii) सदस्यों का निर्वाचन- विधानसभा के सदस्यों का निर्वाचन जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से वयस्क मताधिकार के आधार पर गुप्त रीति से होता है।
(iii) सदस्यों की योग्यताएँ- विधानसभा का सदस्य बनने के लिए किसी स्त्री या पुरूष में इन योग्यताओं का होना
आवश्यक है- वह भारत का नागरिक हो। वह 25 वर्ष की आयु प्राप्त कर चुका हो। वह भारत सरकार या राज्य सरकार के अधीन किसी लाभ के पद पर न हो। संसद द्वारा निर्धारित अन्य सभी शर्ते पूरी करता हो तथा वह पागल, दिवालिया व विदेशी न हो।
(iv) सदस्यों का कार्यकाल- विधानसभा का कार्यकाल 5 वर्ष होता है किन्तु राज्यपाल इस अवधि से पूर्व भी विधानसभा को भंग कराकर पुनः नए चुनाव करा सकता है। संकटकाल में विधानसभा की अवधि संसद द्वारा एक बार में एक वर्ष के लिए बढ़ाई जा सकती है।
(v) पदाधिकारी- विधानसभा के सदस्य अपने में से एक अध्यक्ष तथा एक उपाध्यक्ष का चुनाव करते हैं। अध्यक्ष का कार्य सदन की बैठक में अध्यक्षता करना तथा कार्यवाही का संचालन करना है। अध्यक्ष की अनुपस्थिति में यही कार्य उपाध्यक्ष करता है |

प्रश्न—-2. अपने राज्य की विधान परिषद् के गठन पर प्रकाश डालिए।
उ०- (i) सदस्य संख्या- विधान परिषद् के सदस्यों की संख्या कम से कम 40 तथा अधिक से अधिक विधानसभा के सदस्यों
की संख्या का 1/3 हो सकती है। उत्तर प्रदेश विधानसभा सदस्यों की संख्या-100 है। (ii) सदस्यों का निर्वाचन एवं मनोनयन- विधान परिषद् के सदस्यों का निर्वाचन प्रत्यक्ष रूप से जनता नहीं करती
बल्कि इसके सदस्यों का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से जनता के प्रतिनिधियों द्वारा इस प्रकार होता है- परिषद् के समस्त सदस्यों का 1/3 भाग राज्य की स्थानीय निकायों द्वारा, 1/3 भाग राज्य की विधान सभा द्वारा, 1/12 भाग स्नातकों द्वारा तथा 1/12 भाग शिक्षकों द्वारा किया जाता है। शेष 1/6 सदस्यों को राज्यपाल मनोनीत करता है। ये ऐसे व्यक्ति होते है।
जिन्हें साहित्य, कला, विज्ञान और समाज सेवा के क्षेत्र में विशेष ज्ञान प्राप्त होता है। (iii) सदस्यों की योग्यताएँ- विधान परिषद् का सदस्य बनने के लिए किसी व्यक्ति में निम्न योग्यताओं का होना अनिवार्य
है- वह भारत का नागरिक हो। उसकी आयु 30 वर्ष से कम न हो। वह किसी सरकारी लाभ के पद पर न हो। वह संसद द्वारा निर्धारित अन्य शर्ते पूर्ण करता हो।
(iv) सदस्यों का कार्यकाल- विधान परिषद् एक स्थाई सदन होता है तथा वह कभी भंग या समाप्त नहीं होता। किन्तु इसके 1/3 सदस्यों का कार्यकाल प्रति दो वर्ष बाद समाप्त हो जाता है और उनके स्थान पर उतने ही नए सदस्य निर्वाचित कर लिए जाते हैं। इस प्रकार एक सदस्य अपने पद पर 6 वर्ष तक रहता है।
(v) पदाधिकारी- विधान परिषद् के दो पदाधिकारी होते हैं- सभापति तथा उपसभापति। दोनों का निर्वाचन विधान परिषद् के सदस्य अपने में से करते हैं। सभापति का कार्य सदन की बैठक में अध्यक्षता करना तथा कार्यवाही का संचालन करना होता है। सभापति की अनुपस्थिति में इन्हीं कार्यों का संपादन उपसभापति करता है।
प्रश्न—-3. विधानसभा के अध्यक्ष का निर्वाचन कैसे होता है? उसके कोई चार कार्य लिखिए।
उ०- विधानसभा के अध्यक्ष का निर्वाचन- विधानसभा के अध्यक्ष का निर्वाचन विधानसभा के सदस्य अपने ही बीच में से चु नकर करते हैं। विधानसभा के अध्यक्ष के कार्य- विधानसभा के अध्यक्ष के चार कार्य निम्नलिखित हैं
(i) अध्यक्ष विधानसभा की बैठकों की अध्यक्षता करता है।
(ii) अध्यक्ष विधानसभा की कार्यवाही को व्यस्थित रूप से संचालित करता है।
(iii) अध्यक्ष विधानसभा में शांति और सुरक्षा बनाए रखता है।
(iv) सदन में अव्यवस्था और अशांति की दशा में सदन को स्थगित कर सकता है।
प्रश्न—-4. विधान परिषद् की दो वित्तीय शक्तियों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उ०- विधान परिषद् की दो वित्तीय शक्तियाँ निम्नलिखित हैं
(i) विधान परिषद् विधान सभा द्वारा पारित विधेयकों पर विचार कर उन्हें पारित करती है।
(ii) विधान परिषद साधारण विधेयक को अस्वीकार का सकती है और उसमें संशोधन कर सकती है।
प्रश्न—-5. राज्य विधानसभा की कार्यपालिका संबंधी शक्तियों का वर्णन कीजिए।
उ०- विधानसभा की कार्यपालिका संबंधी शक्तियाँ निम्नलिखित हैं
(i) राज्य की मंत्रिपरिषद् विधानसभा के प्रति उत्तरदायी होती है। (ii) विधानसभा राज्य की मंत्रिपरिषद् के विरूद्ध अविश्वास का प्रस्ताव करके उसे हटा सकती है। (iii) विधानसभा के सभी सदस्य मंत्रियों से प्रश्न पूछने तथा उनकी आलोचना करने का अधिकार रखते हैं।
प्रश्न—-6. विधानसभा के सदस्य की अर्हताएँ बताइए।
उ०- उत्तर के लिए लघु उत्तरीय प्रश्न संख्या- 1 के उत्तर का अवलोकन कीजिए।
प्रश्न—-7. विधान परिषद् के सदस्यों को चुनने वाले निर्वाचक मंडलों का परिचय दीजिए।
उ०- विधान परिषद् के सदस्यों का चुनाव निम्नलिखित निर्वाचक मंडलों द्वारा किया जाता है(i) स्थानीय निकायों का निर्वाचक मंडल- विधान परिषद् के एक तिहाई सदस्य जिला पंचायतों, नगर निगमों, नगरपालिका परिषदों, नगर पंचायतों आदि स्थानीय निकायों की संस्थाओं के सदस्यों द्वारा बने निर्वाचक मंडल द्वारा चुने जाते हैं।

(ii) विधानसभा सदस्यों का निर्वाचक मंडल- विधान परिषद् के एक तिहाई सदस्य उस राज्य की विधान-सभाओं के सदस्यों द्वारा उन व्यक्तियों में से चुने जाते हैं, जो विधानसभा के सदस्य न हों।
(iii) स्नातकों का निर्वाचक मंडल- विधान परिषद् के 1/12 सदस्यों का चुनाव उस राज्य के उन स्नातकों द्वारा किया जाता है, जो तीन वर्ष पूर्व स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण कर चुकें हों तथा उनका नाम मतदाता सूची में अंकित हो।
(iv) अध्यापकों का निर्वाचक मंडल- विधान परिषद् के सदस्यों का बारहवाँ भाग माध्यमिक अध्यापकों के निर्वाचक
मंडल द्वारा चुना जाता है। इसमें बाध्यता यह है कि अध्यापक माध्यमिक विद्यालय में कम से कम तीन वर्ष से शिक्षण कार्य कर रहा हो।


विस्तृत उत्तरीय प्रश्न Up board social science class 10 chapter 21 राज्य सरकार (विधायिका- विधानमंडल, विधानसभा, विधान परिषद्)

  1. अपने राज्य की विधानसभा के संगठन पर प्रकाश डालिए।
    उ०- उत्तर प्रदेश की विधानसभा के संगठन(i) संख्या- उत्तर प्रदेश में विधानसभा के सदस्यों की संख्या 403 है। आंग्ल-भारतीय समुदाय का एक सदस्य निर्वाचित न हो पाने की दशा में, राज्यपाल इस समुदाय के एक सदस्य को मनोनीत करता है। अत: यह संख्या 404 तक हो सकती है।
    (ii) सदस्यों का निर्वाचन- विधानसभा के सदस्यों का चुनाव राज्य के वयस्क मतदाताओं द्वारा प्रत्यक्ष, गुप्त एवं निष्पक्ष मतदान करके किया जाता है। इनके चुनाव भारतीय चुनाव आयोग द्वारा संपन्न कराए जाते हैं। राज्य के 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी वे नागरिक, जिनका नाम मतदाता सूची में अंकित होता है, मतदान करके विधायकों का चुनाव करते हैं। यदि निर्वाचन या चुनाव के बाद विधानसभा के किसी भी राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है, तो उसे ‘त्रिशंकु विधानसभा’ कहा जाता है। विधानसभा के सदस्य की योग्यताएँ- विधानसभा का सदस्य बनने के लिए प्रत्याशी में निम्नलिखित योग्यताएँ होनी चाहिए
    (i) वह भारत का नागरिक हो।
    (ii) उसकी आयु 25 वर्ष से अधिक हो।
    (iii) वह राज्य सरकार या केंद्र सरकार के अधीन किसी लाभ के पद पर कार्यरत न हो।
    (iv) वह पागल या दिवालिया घोषित न किया गया हो।
    (v) वह संसद या विधानमंडल द्वारा निर्धारित समस्त योग्यताएँ रखता हो।
    कार्यकाल एवं आरक्षण- जम्मू-कश्मीर (जिसकी विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्ष है।) को छोड़कर अन्य सभी राज्यों की विधानसभा के सदस्यों का कार्यकाल सामान्यत: 5 वर्ष होता है, परंतु समय से पूर्व विधानसभा भंग हो जाने पर या स्वयं त्यागपत्र दे देने पर यह अवधि अनिश्चित हो जाती है। विधानसभा में राज्य की अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थान आरक्षित कर दिए गए हैं। एक स्थान आंग्ल भारतीय समुदाय के लिए भी सुरक्षित है। पदाधिकारी- अध्यक्ष और उपाध्यक्ष विधानसभा के दो पदाधिकारी होते हैं, जिनका चुनाव विधानसभा के सदस्य अपने ही बीच में से चुनकर करते हैं। अध्यक्ष विधानसभा की बैठकों की अध्यक्षता करते हुए उसकी कार्यवाही को व्यवस्थित रूप से संचालित करता है तथा सदन में शांति और सुरक्षा बनाए रखता है। उसकी अनुपस्थिति में यह कार्य उपाध्यक्ष द्वारा संपन्न किया जाता है। उपाध्यक्ष के भी अनुपस्थित होने पर यह कार्य अनुभवी तथा वरिष्ठतम सदस्य को कुछ समय के लिए अस्थायी अध्यक्ष बनाकर किया जा सकता है। अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष स्वयं त्यागपत्र देकर पद त्याग सकते हैं अथवा उन्हें हटाने के लिए 14 दिन पूर्व हटाने का प्रस्ताव प्रस्तुत कर सदन में उसे पारित कराकर हटाया जा सकता है। विधानसभा का विघटन हो जाने पर एक नई विधानसभा के सत्र के प्रथम दिन भी वही अध्यक्ष कार्य करेगा।
  2. विधानसभा की शक्तियों और कार्यों का वर्णन कीजिए।
    उ०- विधानसभा की शक्तियाँ ( अधिकार ) और कार्य- विधानसभा को भारतीय संविधान ने विस्तृत अधिकार प्रदान किए हैं,
    जिसके अनुरूप वह निम्नलिखित कार्यों का संपादन करती है(i) विधायी शक्तियाँ- विधानसभा को निम्नलिखित विधायी शक्तियाँ प्राप्त हैं
    (क) विधानसभा राज्य सूची के सभी विषयों पर कानून पारित करती है

(ख) उसे समवर्ती सूची के विषयों पर भी कानून बनाने का अधिकार है।
(ग) वह प्रस्तावित संविधान संशोधन का अनुमोदन करती है।
(घ) विधानसभा में साधारण तथा वित्तीय दोनों विधेयक प्रस्तुत किए जाते हैं।
(ii) कार्यपालिका संबंधी शक्तियाँ- विधानसभा की कार्यपालिका संबंधी शक्तियाँ निम्नलिखित हैं
(क) राज्य की मंत्रिपरिषद् विधानसभा के प्रति उत्तरदायी होती है।
(ख) विधानसभा राज्य की मंत्रिपरिषद् के विरुद्ध अविश्वास का प्रस्ताव पारित करके उसे हटा सकती है।
(ग) विधानसभा के सभी सदस्य मंत्रियों से प्रश्न पूछने तथा उनकी आलोचना करने का अधिकार रखते हैं। (iii) वित्तीय शक्तियाँ- विधानसभा को वित्तीय क्षेत्र में निम्नलिखित शक्तियाँ प्राप्त हैं
(क) विधानसभा राज्य के कोष पर पूरा नियंत्रण बनाए रखती है। (ख) विधानसभा में ही राज्य का वार्षिक बजट पारित किया जाता है।
(ग) यह सरकार को कर लगाने तथा राजकोष से धन व्यय करने की अनुमति देती है।
(iv) अन्य शक्तियाँ- विधानसभा को निम्नलिखित विविध शक्तियाँ भी प्राप्त हैं
(क) विधानसभा के निर्वाचित सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में मतदान करते हैं। (ख) विधानसभा के सदस्य विधान परिषद् के 1/3 सदस्यों का चुनाव करते हैं। (ग) विधानसभा राज्य में विधान परिषद् की स्थापना अथवा उसकी समाप्ति का प्रस्ताव पारित कर सकती है।
(घ) संविधान संशोधन में देश के कम से कम आधे राज्यों की विधानसभाओं की स्वीकृति लेनी आवश्यक होती है।

प्रश्न ==विधान परिषद् से आप क्या समझते हैं? इसके संगठन का वर्णन कीजिए।
उ०- विधान-परिषद्- विधान परिषद् राज्य विधानमंडल का द्वितीय और उच्च सदन है। यह एक स्थायी सदन है, अर्थात् यह कभी भंग नहीं होता। इसके एक तिहाई सदस्य प्रति दो वर्ष पश्चात सेवानिवृत हो जाते हैं तथा उनके स्थान पर नए सदस्य निर्वाचित हो जाते हैं। उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलगांना, कर्नाटक, महाराष्ट्र, बिहार और जम्मू-कश्मीर सहित 7 राज्यों में ही विधान परिषद् है। विधान परिषद् के सदस्यों की संख्या विधानसभा के सदस्यों से एक तिहाई से अधिक नहीं हो सकती। किंतु किसी भी स्थिति में इसकी सदस्य संख्या 40 से कम नहीं होगी।
मात्र जम्मू-कश्मीर राज्य इसका अपवाद है। वहाँ विधान परिषद् के सदस्यों की संख्या 36 है। विधान परिषद् के सदस्यों को एम.एल.सी. कहा जाता है, जिनका कार्यकाल 6 वर्ष होता है। विधान-परिषद् का संगठन या रचना- विधान परिषद् के संगठन एवं उसके सदस्यों के निर्वाचन की प्रक्रिया विधानसभा के सदस्यों के निर्वाचन से सर्वथा भिन्न है। विधान परिषद् के 5/6 सदस्यों का चुनाव, आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति से एकल संक्रमणीय मत पद्धति द्वारा किया जाता है। निर्वाचक मंडल- विधान परिषद् के सदस्यों का चुनाव निम्नलिखित निर्वाचक मंडलों द्वारा किया जाता है
(i) स्थानीय निकायों का निर्वाचक मंडल- विधान परिषद् के एक तिहाई सदस्य जिला पंचायतों, नगर निगमों, नगरपालिका परिषदों, नगर पंचायतों आदि स्थानीय निकायों की संस्थाओं के सदस्यों द्वारा बने निर्वाचक मंडल द्वारा चुने जाते हैं।
(ii) विधानसभा सदस्यों का निर्वाचक मंडल- विधान परिषद् के एक तिहाई सदस्य उस राज्य की विधान-सभाओं के सदस्यों द्वारा उन व्यक्तियों में से चुने जाते हैं, जो विधानसभा के सदस्य न हों।
(iii) स्नातकों का निर्वाचक मंडल- विधान परिषद् के 1/12 सदस्यों का चुनाव उस राज्य के उन स्नातकों द्वारा किया जाता है, जो तीन वर्ष पूर्व स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण कर चुकें हों तथा उनका नाम मतदाता सूची में अंकित हो।
(iv) अध्यापकों का निर्वाचक मंडल- विधान परिषद् के सदस्यों का बारहवाँ भाग माध्यमिक अध्यापकों के निर्वाचक मंडल द्वारा चुना जाता है। इसमें बाध्यता यह है कि अध्यापक माध्यमिक विद्यालय में कम से कम तीन वर्ष से शिक्षण कार्य कर रहा हो। राज्यपाल द्वारा मनोनयन- विधान परिषद् के 1/6 सदस्य राज्यपाल द्वारा मनोनीत किए जाते हैं। राज्यपाल महोदय साहित्य, विज्ञान, कला, सहकारी आंदोलन या समाजसेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्यों से जुड़े लोगों का मनोनयन करते हैं।

विधान परिषद् के सदस्यों की योग्यताएँ- विधान परिषद् का सदस्य (एम.एल.सी.) बनने के लिए प्रत्याशी में निम्नलिखित योग्यताएँ होनी चाहिए
(i) वह भारत का नागरिक हो।
(ii) वह 30 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।
(iii) वह पागल या दिवालिया घोषित न किया गया हो।
(iv) वह केंद्र या राज्य सरकार के अंतर्गत लाभ के पद पर कार्यरत न हो।
(v) वह संसद द्वारा निर्धारित योग्यताएँ रखता हो। मनोनीत किया जाने वाला सदस्य उसी राज्य का निवासी होना चाहिए, जिस राज्य की विधान परिषद् में उसे मनोनीत किया गया है।
विधान परिषद् के पदाधिकारी- सभापति तथा उपसभापति विधान परिषद् के दो पदाधिकारी हैं, जिनका चुनाव विधान परिषद् के सदस्यों द्वारा अपने ही बीच के सदस्यों में से किया जाता है। सभापति विधान परिषद् की बैठकों की अध्यक्षता करता है, जबकि उसकी अनुपस्थिति में यह कार्य उपसभापति करता है। दोनों के अनुपस्थित होने पर अस्थायी सभापति चुन लिया जाता है। विधान परिषद् का अधिवेशन- विधान परिषद् के एक वर्ष में दो अधिवेशन होने आवश्यक हैं। दोनों अधिवेशनों के
मध्य 6 माह से अधिक का अंतराल नहीं होना चाहिए।

प्रश्न — विधान परिषद् की शक्तियों और कार्यों पर प्रकाश डालिए।
उ०- विधान परिषद् की शक्तियाँ (अधिकार) और कार्य- विधान परिषद् अपनी शक्तियों के आधार पर निम्नलिखित
कार्यों का संपादन करती है(i) विधायी शक्तियाँ- विधान परिषद् को निम्नलिखित विधायी शक्तियाँ प्राप्त हैं
(क) विधान परिषद् विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों पर विचार कर उन्हें पारित करती है। (ख) विधान परिषद् साधारण विधेयक को अस्वीकार कर सकती है और उसमें संशोधन कर सकती है।
(ग) साधारण विधेयक को वह तीन माह तक रोके रख सकती है। (ii) कार्यपालिका शक्तियाँ- विधान परिषद् को कार्यपालिका से संबंधित निम्नलिखित शक्तियाँ प्राप्त हैं
(क) विधान परिषद् का राज्य की मंत्रिपरिषद् पर आंशिक नियंत्रण होता है। (ख) विधान परिषद् के सदस्य मंत्रिपरिषद् के सदस्यों से प्रश्न तथा पूरक प्रश्न पूछकर उनके कार्यों की आलोचना
करते हैं। (ग) विधान परिषद् के सदस्य वाद-विवाद करके मंत्रिपरिषद पर नियंत्रण बनाए रखते हैं।
_ विधान परिषद् अविश्वास प्रस्ताव पारित करके मंत्रिपरिषद को पद त्याग कराने का अधिकार नहीं रखती। (iii) वित्तीय शक्तियाँ- विधान परिषद् को वित्त के क्षेत्र में निम्नलिखित अधिकार प्राप्त हैं
(क) विधान परिषद् वित्त विधेयक को अपने पास मात्र 14 दिन तक ही रोककर रख सकती है। (ख) विधान परिषद् वित्त विधेयक में आवश्यक संशोधन कर सकती है, परंतु उसे मानना या न मानना विधानसभा
की इच्छा पर निर्भर करता है। स्पष्ट है कि विधान परिषद् के पास वित्तिय शक्तियाँ नहीं के बराबर हैं।
(iv) अन्य शक्तियाँ- विधान परिषद् को कुछ अन्य निम्नलिखित शक्तियाँ भी प्राप्त हैं
(क) विधान परिषद् संविधान के कुछ उपबंधों में संशोधनों की पुष्टि करती है।
(ख) विधान परिषद् किसी भी विधेयक को दोहराने की भूमिका निभाती है। विधान परिषद् का महत्व- विधान परिषद् के अधिकार, शक्तियों एवं कार्यों का विश्लेषण करके उसके महत्व को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से प्रस्तुत किया जा सकता है(i) विधान परिषद् साधारण विधेयकों पर अपने संशोधनों तथा महत्वपूर्ण विचारों के द्वारा उसे उपयोगी बनाकर पारित कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

Up board social science class 10 chapter 20 केंद्रीय मंत्रिपरिषद्- गठन एवं कार्य

Leave a Comment