Up board social science class 10 chapter 19

Up board social science class 10 chapter 19 राष्ट्रपति

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Up board social science class 10 chapter 19
संघीय कार्यपालिका- राष्ट्रपति

*लघुउत्तरीय प्रश्न*

प्रश्न—-1 राष्ट्रपति का निर्वाचन कैसे होता है?
उ०- भारत के राष्ट्रपति चुनाव में देश के सभी मतदाता भाग नहीं लेते वरन् राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रीति से होता है। उसके निर्वाचन के लिए एक निर्वाचक मंडल बनाया जाता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य एवं राज्यों की विधानसभाओं और संघीय क्षेत्रों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य होते हैं। यह निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली की एक संक्रमणीय प्रणाली द्वारा गुप्त मतदान की रीति से होता है।

प्रश्न—-2. भारत के राष्ट्रपति के दो संवैधानिक अधिकारों का वर्णन कीजिए।
उ०- भारत के राष्ट्रपति के दो संवैधानिक अधिकार निम्नलिखित हैं
(i) राष्ट्रपति के शांतिकालीन अधिकार- सामान्य परिस्थितियों को शांतिकाल कहा जाता है। शांतिकाल में राष्ट्रपति को निम्न अधिकार प्राप्त हैं
(क) कार्यपालिका या शसन संबंधी अधिकार।
(ख) विधायी या कानून निर्माण संबंधी अधिकार। (ग) वित्तीय अधिकार
(घ) न्यायिक अधिकार ।
(ii) राष्ट्रपति के आपात या संकटकालीन अधिकार- भारत के राष्ट्रपति को संविधान ने आपातकाल में विशेष अधिकार सौंपे हैं, जो निम्न परिस्थितियों में संकटकाल की घोषण करके शासन को अपने हाथ में ले सकता है तथा संकट से निपटने के उपाय कर सकता है।
(क) बाह्य आक्रमण होने पर अथवा आंतरिक युद्ध या सशस्त्र विद्रोह होने की दशा में।
(ख) राज्यों में संवैधानिक तंत्र के विफल हो जाने की दशा में।
(ग) राष्ट्र में वित्तीय संकट उत्पन्न हो जाने की दशा में।
प्रश्न—-3. राष्ट्रपति की तीन विधायी शक्तियों का उल्लेख कीजिए।
उ०- राष्ट्रपति की तीन विधायी शक्तियाँ निम्नलिखित हैं
(i) संसद का सत्र बुलाना- राष्ट्रपति संसद का सत्र बुलाता है तथा वही सत्रावसान की घोषणा करता है। वह दोनों सदनों
के समक्ष भाषण देता है। वही दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को आमंत्रित करता है। राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर
लोकसभा को समय से पूर्व भंग भी कर सकता है।
(ii) लोकसभा तथा राज्यसभा सदस्यों को मनोनीत करने का अधिकार- राष्ट्रपति लोकसभा में 2 एंग्लो-इंडियन
समुदाय के सदस्यों तथा राज्यसभा में 12 सदस्यों को मनोनित करता है। वह राज्यसभा में साहित्य, विज्ञान और कला के
क्षेत्र के विद्वानों और कलाकारों को मनोनीत करता है।
(iii) विधेयकों को स्वीकृत करना- लोकसभा तथा राज्यसभा से पारित सभी विधेयक राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेजे
जाते हैं। राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद ही विधेयक कानून का रूप ले पाता है। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर और मुहर विधेयक
को कानून बना देते हैं।
प्रश्न—-4. राष्ट्रपति की न्याय संबंधी दो शक्तियों का उल्लेख कीजिए।
उ०- राष्ट्रपति की न्याय संबंधी दो शक्तिया निम्नलिखित हैं
(i) न्यायाधीशों की नियुक्ति- राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है।
वह उच्चतम न्यायालय की कार्य प्रणाली के लिए नियम बना सकता है तथा संसद द्वारा महाभियोग प्रस्ताव पारित करने पर न्यायाधीश को उसके पद से हटा सकता है।
(ii) क्षमा प्रदान करना- राष्ट्रपति सक्षम न्यायालय द्वारा अपराधी को दिए गए मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदलने का अधिकार रखता है। वह कुछ समय के लिए सजा को स्थगित कर सकता है। वह न्यायिक अधिकारों का उपयोग कानूनों के अनुरूप ही करता है।

Up board social science class 10 chapter 19 संघीय शक्तियां राष्ट्रपति

भारत के राष्ट्रपति को उसके पद से हटाने की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
उ०- राष्ट्रपति को उसके पद से हटाने की प्रक्रिया- भारत के राष्ट्रपति को उसके पद से हटाने की संवैधानिक व्यवस्था का
नाम महाभियोग है। संविधान के अनुच्छेद 61 में महाभियोग की व्यवस्था निम्नवत् निश्चित की गई है
(i) संविधान का उल्लंघन करने पर संसद का कोई एक सदन कम से कम एक चौथाई सदस्यों के हस्ताक्षर करवाकर राष्ट्रपति के विरुद्ध महाभियोग का प्रस्ताव लाता है।

(ii) यह प्रस्ताव लिखित रूप में 14 दिन पूर्व भेजा जाना चाहिए।
(iii) भली प्रकार विचार-विमर्श करके के बाद यदि सदन उसे दो-तिहाई बहुमत से पारित कर देता है, तब महाभियोग प्रस्ताव स्वीकृत हो जाता है।
(iv) संसद का दूसरा सदन महाभियोग प्रस्ताव की जाँच करके, उसे दो-तिहाई मत से पारित करता है।
(v) राष्ट्रपति स्वयं उपस्थित होकर अथवा अपना प्रतिनिधि भेजकर अपने बचाव का स्पष्टीकरण दे सकता है।
दूसरे सदन में भी दो-तिहाई मतों से प्रस्ताव के पारित हो जाने पर राष्ट्रपति को अपना पद छोड़ना पड़ता है। स्वतंत्र भारत
में अभी तक किसी राष्ट्रपति को उसके पद से महाभियोग द्वारा नहीं हटाया गया है।


प्रश्न—- 6. राष्ट्रपति किन-किन परिस्थितियों में संकटकाल की घोषणा कर सकता है?
उ०- राष्ट्रपति को निम्नलिखित तीन परिस्थितियों में संकटकाल की घोषणा करने का अधिकार है
(i) युद्ध, बाह्य आक्रमण होने की संभावना अथवा आंतरिक सशस्त्र विद्रोह की दशा में।
(ii) राज्यों में संवैधानिक तंत्र के विफल हो जाने की दशा में।
(iii) राष्ट्र में वित्तीय संकट उत्पन्न हो जाने की दशा में।।

भारत के किन्हीं तीन पूर्व राष्ट्रपतियों के नामों का उल्लेख कीजिए।
उ०- भारत के तीन पूर्व राष्ट्रपतियों के नाम निम्नलिखित हैं
(i) डॉ० राजेंद्र प्रसाद – 26 जनवरी, 1950 से 13 मई, 1962 तक
(ii) डॉ० सर्वपल्ली राधाकृष्णन – 13 मई, 1962 से 13 मई, 1967 तक
(ii) डॉ० जाकिर हुसैन – 13 मई, 1967 से 3 मई, 1969 तक
प्रश्न—-8. मान लीजिए श्री शंकर नारायण राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी हैं। उन्हें अपने पक्ष में मत पाने के लिए किन-किन मतदाताओं से संपर्क करना चाहिए?
उ०- राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी शंकर नारायण को अपने पक्ष में मत पाने के लिए संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्यों एवं राज्यों और संघीय क्षेत्रों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों से संपर्क करना चाहिए।

प्रश्न — राज्यसभा के सभापति का निर्वाचन कैसे होता है? वह कितने वर्षों के लिए निर्वाचित होता है?
उ०- राज्यसभा का सभापति उपराष्ट्रपति होता है। उसका निर्वाचन एक ऐसे निर्वाचक मंडल के द्वारा होता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों के सदस्य होते हैं, अर्थात् राज्यसभा के सभापति (उपराष्ट्रपति) का निर्वाचन लोकसभा तथा राज्यसभा के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत प्रणाली द्वारा किया जाता है। वह 5 वर्ष के लिए निर्वाचित होता है।

Up board social science class 10 chapter 17 भारत का विभाजन एवं स्वतंत्रता प्राप्ति
प्रश्न—-10 भारत के उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है? उसे उसके पद से कैसे हटाया जा सकता है?
उ०- उपराष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा एवं राज्यसभा के निर्वाचित सदस्यों द्वारा अनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत प्रणाली द्वारा किया जाता है। उपराष्ट्रपति द्वारा अपनी शक्तियों का दुरूपयोग करने पर, संसद उसे राष्ट्रपति की भांति महाभियोग प्रस्ताव पारित करके उसे उसके पद से हटा सकती है।
प्रश्न—-11. भारत के उपराष्ट्रपति के दो कार्यों का वर्णन कीजिए।
उ०- भारत के उपराष्ट्रपति के दो कार्य निम्नलिखित हैं
(i) राज्यसभा के अधिवेशनों का सभापतित्व- उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है। वह राज्यसभा केब अधिवेशनों में सभापति का आसन ग्रहण करता है। वही राज्यसभा में अनुशासन बनाए रखता है तथा प्रत्येक सदस्य को भाषण देने की अनुमति प्रदान करता है। वह किसी विधेयक पर विवाद हो जाने पर मतदान कराकर परिणाम घोषित करता है।
(ii) राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उसके कार्यों का निर्वहन- राष्ट्रपति के अवकाश लेने, त्यागपत्र देने तथा पद से हटाए जाने की स्थिति में उसके कार्यों का निर्वहन उपराष्ट्रपति ही करता है। उसे उस समय राष्ट्रपति के समस्त अधिकार और शक्तियाँ प्राप्त हो जाती हैं। वह अधिकतम 6 माह तक राष्ट्रपति के पद पर कार्य कर सकता है। 6 माह के भीतर ही तुरंत नए राष्ट्रपति का चुनाव कराना आवश्यक होता है।
प्रश्न—-12. राज्यसभा का एक सदस्य उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ना चाहता है, उसे कौन-से दो कार्य करने पड़ेंगे?
उ०- राज्यसभा के सदस्य को उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए निम्न दो कार्य करने पड़ेंगे
(i) उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए ₹15000 जमानत राशि के रूप में जमा करने होंगे।
(ii) 10 सदस्यों द्वारा प्रस्ताव-पत्र तथा 10 सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित अनुमोदन पत्र जमा करना पड़ेगा।

Up board social science class 10 chapter 18 केंद्र सरकार-विधायिका
प्रश्न—- 13. राष्ट्रपति पद के लिए कौन-कौन सी योग्यताएँ होनी चाहिए?
उ०- राष्ट्रपति पद के लिए योग्यताएँ-राष्ट्रपति पद के लिए निम्नलिखित योग्यताएँ निर्धारित की गई हैं
(i) वह भारत का नागरिक हो।
(ii) वह 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।
(iii) वह राज्य सरकार अथवा केंद्र सरकार के अंतर्गत किसी लाभ के पद पर न हो।
(iv) वह संसद के किसी सदन अथवा राज्य विधानमंडल के किसी सदन का सदस्य न हो।
(v) वह संसद द्वारा निर्धारित योग्यताएँ रखता हो ।
प्रश्न—- 14. उपराष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने के लिए प्रत्याशी में कौन कौन-सी योग्यताएँ होनी चाहिए?
उ०- उपराष्ट्रपति पद के लिए आवश्यक योग्यताएँ- भारत का उपराष्ट्रपति बनने के लिए प्रत्याशी में निम्नलिखित योग्यताएँ होनी आवश्यक हैं(i) प्रत्याशी भारत का नागरिक हो।
(ii) वह 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।
(iii) वह राज्यसभा का सदस्य बनने की अर्हताएँ रखता हो।
(iv) वह संसद या विधानमंडल के किसी सदन का सदस्य न हो।
(v) वह केंद्र सरकार या राज्य सरकार के किसी लाभ के पद पर न हो।
उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए प्रत्याशी को ₹15000 जमानत राशि के रूप में जमा करने होंगे, साथ ही 10 सदस्यों द्वारा प्रस्ताव तथा 10 सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित अनुमोदन-पत्र जमा करना आवश्यक होता है।

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न 

प्रश्न–1 राष्ट्रपति का निर्वाचन किस प्रकार होता है?
उसके पद के लिए क्या अर्हताएँ हैं? उ०- राष्ट्रपति का चुनाव- राष्ट्रपति के चुनाव में देश के सभी मतदाता भाग नहीं लेते, वरन् संविधान के अनुच्छेद 54 के अनुरूप उसके चुनाव के लिए निम्नवत् एक निर्वाचक मंडल बनाया जाता है, जिसमें
(i) संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य होते हैं।
(ii) राज्य विधानसभाओं और संघीय क्षेत्रों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य होते हैं। राष्ट्रपति के चुनाव में राष्ट्रपति द्वारा मनोनित सदस्यों की भागीदारी नहीं होती है क्योंकि वे राष्ट्रपति के निर्वाचन में पक्षपात कर सकते हैं।

मतों का मूल्य- राष्ट्रपति के चुनाव में एक मतदाता एक मत के सिद्धांत को नहीं अपनाया गया है। चूँकि विधानसभा के सदस्यों और सांसदों के मतों का मूल्य एक समान नहीं है, अतः दोनों के मतों का मूल्य निम्नवत् ज्ञात किया जाता है
(i) विधानसभा के सदस्यों (एम.एल.ए.) के मतों का मूल्य- राष्ट्रपति के चुनाव में प्रत्येक छोटे और बड़े राज्य की भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से विधानसभा के सदस्यों के मतों का मूल्य निम्नलिखित सूत्र द्वारा ज्ञात किया जाता है
(ii) सांसदों के मत का मूल्य- सांसदों के मत का मूल्य निकालने के लिए निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग किया जाता है—-

विधानसभा के सदस्य के मत का मूल्य = राज्य की जनसंख्या x 1000
विधान सभा के समस्त निर्वाचित सदस्य

सामानुपातिक प्रतिनिधित्व एकल संक्रमणीय प्रणाली से निर्वाचन- भारत के राष्ट्रपति के निर्वाचन में यह विशेष प्रणाली प्रयोग में लाई जाती है। इस प्रणाली के अनुसार वही व्यक्ति निर्वाचित माना जाएगा, जो मतों के निर्धारित कोटे को पाने में सफल रहेगा। यह कोटा ज्ञात करने का सूत्र निम्नलिखित है—-

सांसद के मत का मूल्य = समस्त राज्य विधान सभाओं के सदस्यों के मतों का कूल योग
सांसदों समस्त निर्वाचित सदस्य

  • निर्धारित कोटे की न्यूनतम संख्या = कुल वैध मतों की संख्या +1
  • पदों की संख्या +1

उदाहरण के लिए यदि किसी चुनाव में कुल वैध मत 1600 हैं, तो प्रत्याशी को राष्ट्रपति का चुनाव जीतने के लिए कम से कम 1600/(1+1) +1 = 801 मतों का कोटा अवश्य प्राप्त करना होगा।

राष्ट्रपति की शक्तियों और कार्यों का वर्णन कीजिए।
उ०- राष्ट्रपति की शक्तियों एवं कार्यों को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है
(i) शांतिकालीन या साधारण स्थिति की शक्तियाँ एवं कार्य
(ii) संकट या आपातकालीन शक्तियाँ एवं कार्य। (i) शांतिकालीन या साधारण स्थिति की शक्तियाँ एवं कार्य- साधारण स्थिति में राष्ट्रपति को निम्नलिखित शक्तियाँ
प्राप्त हैं
(क) कार्यपालिका या शासन संबंधी अधिकार- कार्यपालिका का प्रधान होने के नाते राष्ट्रपति को कार्यपालिका
संबंधी निम्न अधिकार प्राप्त हैं
(अ) केंद्रीय शासन के सभी कार्य राष्ट्रपति के नाम से किए जाते हैं।
(ब) राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति करता है। प्रधानमंत्री की सलाह से वह अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता
है तथा उसने कार्यों का विभाजन करता है। (स) वह विभिन्न उच्च पदों पर नियुक्तियाँ करता है, जैसे सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश, राज्यों के राज्यपाल, केंद्रीय लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्य इत्यादि की नियुक्तियाँ।
(द) वह विदेशों में भारतीय राजदूतों की नियुक्ति करता है तथा बाहर से आए हुए राजदूत राष्ट्रपति को ही
अपने प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करते हैं।
(य) राष्ट्रपति भारतीय जल, थल एवं वायु सेनाओं का प्रधान होता है।
(र) राष्ट्रपति प्रधानमंत्री से शासन संबंधी कोई भी जानकारी प्राप्त कर सकता है।
(ख) कानून निर्माण संबंधी अधिकार- राष्ट्रपति व्यवस्थापिका का अभिन्न अंग है। उसे कानून निर्माण के क्षेत्र में
निम्न अधिकार प्राप्त हैं
(अ) राष्ट्रपति को संसद के अधिवेशन को बुलाने, स्थगित करने तथा लोकसभा को भंग करने का अधिकार है।
(ब) उसे संसद के दोनों सदनों को सम्बोधित करने तथा लिखित संदेश भेजने का अधिकार है।
(स) संसद द्वारा परित कोई भी विधेयक बिना राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के कानून नहीं बन सकता।
(द) संसद का अधिवेशन न होने के समय उसे अध्यादेश जारी करने का अधिकार है।
(य) राष्ट्रपति राज्यसभा के 12 सदस्यों को मनोनीत करता है।
(ग) वित्त संबंधी अधिकार
(अ) राष्ट्रपति प्रत्येक वित्तीय वर्ष के प्रारंभ से वित्त मंत्री के माध्यम से संसद में बजट प्रस्तुत करता है।
(ब) राष्ट्रपति की अनुमति के बिना कोई भी वित्तीय विधेयक लोक सभा में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता।
(स) राष्ट्रपति को वित्तीय आयोग की नियुक्ति का अधिकार है।
(द) राष्ट्रपति आकस्मिक निधि में से सरकार का खर्च करने के लिए धन दे सकता है। (घ) न्याय संबंधी अधिकार
(अ) राष्ट्रपति किसी भी अपराधी की सजा को कम कर सकता है अथवा माफ कर सकता है। (ब) राष्ट्रपति को मृत्युदंड को क्षमा करने का भी अधिकार है।

(स) राष्ट्रपति किसी भी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को अन्य राज्य के उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर सकता है। वह उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को सर्वोच्च न्यायालय में भी भेज सकता है।
(द) राष्ट्रपति किसी भी सार्वजनिक न्याय के प्रश्न पर उच्चतम न्यायालय से परामर्श कर सकता है, परंतु वह
उसके परामर्श को मानने के लिए बाध्य नहीं है।

(ङ) राष्ट्रपति के अन्य अधिकार (शक्तियाँ) और कार्य– राष्ट्रपति को साधारण अवस्था में निम्नलिखित अन्य
अधिकार भी प्राप्त हैं

(अ) राष्ट्रपति संपूर्ण देश के प्रशासन को सुचारु रूप से संचालित करवाने के लिए आवश्यक नियम बनवा सकता है।
(ब) वह वित्त आयोग, संघ लोक सेवा आयोग, चुनाव आयोग, भाषा आयोग और नियंत्रक महालेखा परीक्षक
से प्राप्त प्रतिवेदनों को लोकसभा के पटल पर रख सकता है
(स) राष्ट्रपति लोक सेवा आयोग के सदस्यों की संख्या, सेवा शर्तों तथा कार्यकाल के विषय में आवश्यक नियम बनवा सकता है।
(द) राष्ट्रपति तीनों सेनाओं के अध्यक्षों की नियुक्ति करता है। वह अशांत क्षेत्रों में शांति स्थापित करने के लिए सेना को आदेशित करता है।

(च) संकट या आपातकालीन शक्तियाँ एवं कार्य- संकटकाल से निपटने के लिए राष्ट्रपति को संविधान में विशेष अधिकार दिए गए हैं। वह निम्न परिस्थितियों में संकटकाल की घोषणा करके शासन को अपने हाथ में ले सकता है तथा संकट से निपटने के लिए उपाय कर सकता है
(अ) बाहरी आक्रमण या युद्ध होने पर आंतरिक युद्ध या सशस्त्र विद्रोह की स्थिति या संभावना उत्पन्न होने पर।
(ब) राज्यों में संवैधानिक शासन के विफल हो जाने पर।
(द) देश में वित्तीय संकट उत्पन्न होने पर।

प्रश्न —राष्ट्रपति किन-किन परिस्थितियों में आपातकाल की घोषणा कर सकता है? उसके आपातकालीन अधिकारों का वर्णन कीजिए।
उ०- राष्ट्रपति के आपातकालीन अधिकार (शक्तियाँ) और कार्य- भारत के राष्ट्रपति को संविधान ने आपातकाल में कुछ ऐसी विशेष शक्तियाँ सौंपी हैं, जिससे वह विश्व में सर्वाधिक शक्तिशाली संवैधानिक अध्यक्ष बन जाता है। राष्ट्रपति की संकटकालीन शक्तियाँ (अधिकार) निम्नलिखित हैं
(i) संकटकाल की घोषणा करने का अधिकार- राष्ट्रपति को निम्नलिखित तीन परिस्थितियों में आपातकाल
(संकटकाल) की घोषणा करने का अधिकार है(क) युद्ध, बाह्य आक्रमण होने की संभावना अथवा सशस्त्र विद्रोह होने की दशा में। (ख) राज्यों में संवैधानिक तंत्र के विफल हो जाने की दशा में।
(ग) राष्ट्र में वित्तीय संकट उत्पन्न हो जाने की दशा में।
(ii) युद्ध, बाह्य आक्रमण होने की संभावना अथवा सशस्त्र विद्रोह होने की दशा में- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 में यह व्यवस्था की गई है, कि जब राष्ट्रपति को यह विश्वास हो जाए कि देश में युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह जैसी स्थितियाँ उत्पन्न हो गई हैं, तब वह आपातकाल की घोषणा कर सकता है।

घोषणा का प्रभाव- इस प्रकार घोषित आपातकालीन व्यवस्था के निम्नलिखित परिणाम होंगे
(क) संसद राज्य सूची के किसी भी विषय पर कानून बना सकेगी।
(ख) राज्य तथा केंद्र के बीच राजस्व बँटवारे संबंधी सभी प्रावधान निलंबित रहेंगे।
(ग) लोकसभा का कार्यकाल एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। इसे दोबारा एक वर्ष और बढ़ाया जा सकता है ।
(घ) व्यक्तिगत स्वतत्रंता को छोड़कर नागरिकों के मौलिक अधिकार स्थगित किए जा सकते हैं।
भारत में आपातकालीन घोषणाएँ 1962 ई० में चीन का आक्रमण होने पर, 1965 तथा 1971 ई० में पाकिस्तान से युद्ध छिड़ जाने पर तथा 1975 ई० में देश में आंतरिक अशांति होने पर की जा चुकी हैं ।

(iii) राज्यों में संवैधानिक व्यवस्था विफल हो जाने पर- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 में कहा गया है कि यदि किसी राज्य के राज्यपाल से प्रतिवेदन मिल जाए कि अमुक राज्य में शासन संविधान के अनुसार चलाया जाना संभव नहीं है, तब राष्ट्रपति उस राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर सकता है।
घोषणा का प्रभाव- इस प्रकार घोषित आपातकालीन व्यवस्था के निम्नलिखित प्रभाव होंगे(क) राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के रूप में प्रशासन चलाएगा।
(ख) राज्य विधानमंडल भंग हो जाएगा तथा कानून निर्माण का कार्य संसद करेगी। (ग) राज्य सरकार के समस्त अधिकार राष्ट्रपति के हाथों में चले जाएंगे।
(घ) उच्च न्यायालय की शक्तियाँ यथावत् बनी रहेंगी।
(iv) वित्तीय संकट उत्पन्न हो जाने पर- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 360 में यह व्यवस्था की गई है कि यदि देश में या उसके किसी क्षेत्र में वित्तीय स्थिरता या साख को खतरा है, तो राष्ट्रपति आपातकाल की घोषणा कर सकता है। इस घोषणा का संसद के दोनों सदनों से दो माह की अवधि में अनुमोदन होना आवश्यक है। अन्यथा दो माह की अवधि के बाद यह घोषणा निष्क्रिय हो जाएगी।

घोषणा का प्रभाव- इस प्रकार की घोषणा के निम्नलिखित प्रभाव होंगे

(क) राष्ट्रपति किसी राज्य के विधानमंडल से वित्तीय विधेयक अपनी स्वीकृति देने के लिए मँगा सकता है।
(ख) राष्ट्रपति केंद्र या राज्य के अधिकारियों के वेतन भत्तों में कटौती कर सकता है।

(ग) वह राज्य संघ के वित्तीय बँटवारे की व्यवस्था में कोई भी परिवर्तन कर सकता है। भारत में आज तक वित्तीय आपातकाल की घोषणा की स्थिति उत्पन्न नहीं हुई है।


प्रश्न —-4. भारत के उपराष्ट्रपति के निर्वाचन, कार्यकाल, योग्यताओं का उल्लेख करते हुए राज्यसभा के सभापति के रूप में उसकी भूमिका का उल्लेख कीजिए।
उ०- उपराष्ट्रपति का निर्वाचन- उपराष्ट्रपति का निर्वाचन एक ऐसे निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों के सदस्य होते हैं, अर्थात उपराष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा तथा राज्यसभा के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत प्रणाली द्वारा किया जाता है। उपराष्ट्रपति का कार्यकाल- भारत का उपराष्ट्रपति 5 वर्ष के लिए चुना जाता है। यह अवधि उसके द्वारा शपथ लेने की तिथि से प्रारंभ होती है। उपराष्ट्रपति स्वेच्छा से इस अवधि से पूर्व भी पद त्याग सकता है। उपराष्ट्रपति दोबारा चुनाव लड़कर पुनः वही पद ग्रहण कर सकता है। उपराष्ट्रपति पद के लिए आवश्यक योग्यताएँ- भारत का उपराष्ट्रपति बनने के लिए प्रत्याशी में निम्नलिखित योग्यताएँ होनी आवश्यक हैं(i) प्रत्याशी भारत का नागरिक हो।
(ii) वह 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।
(iii) वह राज्यसभा का सदस्य बनने की अर्हताएँ रखता हो।
(iv) वह संसद या विधानमंडल के किसी सदन का सदस्य न हो।
(v) वह केंद्र सरकार या राज्य सरकार के किसी लाभ के पद पर न हो। राज्यसभा के सभापति के रूप उपराष्ट्रपति की भूमिका- उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है। वह राज्यसभा के अधिवेशनों में सभापति का आसन ग्रहण करता है। वही राज्यसभा में अनुशासन बनाए रखता है तथा प्रत्येक सदस्य को भाषण देने की अनुमति प्रदान करता है। वह किसी विधेयक पर विवाद हो जाने पर मतदान कराकर परिणाम घोषित करता है

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