Up board class 10 social science full solution chapter 9

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Up board class 10 social science full solution chapter 9 द्वितीय विश्वयुद्ध कारण एवं परिणाम

लघुउत्तरीय प्रश्न

1—–तृतीय विश्वयुद्ध के तीन प्रमुख कारण लिखिए।

उ०- द्वितीय विश्वयुद्ध के तीन प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं(i) वर्साय की संधि- वर्साय की अपमानजनक संधि में ही द्वितीय विश्वयुद्ध के बीज छिपे हुए थे। जर्मनी ने हिटलर के
माध्यम से अपमान का बदला लेने के लिए द्वितीय विश्वयुद्ध को संभव बना दिया। (ii) नाजीवाद और फासीवाद- जर्मनी के तानाशाह हिटलर ने नाजीवाद के माध्यम से तथा इटली के तानाशाह
मुसोलिनी ने फासीवाद के माध्यम से उग्र राष्ट्रवाद जगाकर द्वितीय विश्वयुद्ध की पृष्ठभूमि तैयार कर दी। (iii) नवीन विचारधाराओं का उदय- यूरोप में लोकतंत्र की बढ़ती लोकप्रियता तथा साम्यवादी विचार-धाराओं ने यूरोप के राजनीतिक परिवेश को हिला दिया। उग्र राष्ट्रवाद की उठती प्रबल भावनाओं ने द्वितीय विश्वयुद्ध को निकट ला दिया।

2——— द्वितीय विश्वयुद्ध के तीन प्रभावों पर प्रकाश डालिए।

उ०- द्वितीय विश्वयुद्ध के तीन प्रभाव निम्नलिखित हैं(i) जन-धन का महाविनाश- द्वितीय विश्वयुद्ध में 5 करोड़ लोग मारे गए तथा करोड़ों घायल हुए। इस युद्ध ने बाल्टिक सागर से काला सागर तक का क्षेत्र नष्ट करके खरबों रुपयों की सम्पत्ति को खाक में मिला दिया। (ii) साम्राज्यवाद का विनाश- द्वितीय विश्वयुद्ध ने साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद को गहरी कब्रों में दबाकर सदैव के लिए समाप्त कर दिया। इस युद्ध के उपरांत एशिया तथा अफ्रीका के देश धड़ाधड़ स्वतंत्र होते चले गए। (iii) विश्व का शक्ति-गुटों में विभाजन- द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद समूचा विश्व अमेरिका के नेतृत्व में पूँजीवादी गुट
तथा सोवियत संघ के नेतृत्व में साम्यवादीगुट में बँट गया। 3. द्वितीय विश्वयुद्ध में अमेरिका मित्र राष्ट्रों के पक्ष में क्यों शामिल हुआ? उ०- द्वितीय विश्वयुद्ध में अमेरिका मित्र राष्ट्रों के पक्ष में इसलिए शामिल हुआ क्योंकि वह मित्र राष्ट्रों के संसाधन और शक्ति
बढ़ाकर जापान और जर्मनी को पराजित करना चाहता था।

4. संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना कब और कहाँ की गई? इसकी स्थापना के क्या उद्देश्य थे?

उ०- संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना 24 अक्टूबर, 1945 ई० में अमेरिका के सैन फ्रैंसिस्को नगर में हुई। इसकी स्थापना के उद्देश्य निम्नलिखित थे

(i) भावी युद्ध रोकना तथा अंतर्राष्ट्रीय शांति स्थापित करना।

(ii) मानव अधिकारों की रक्षा करना।

iii) अंतर्राष्ट्रीय कानून को निभाने की प्रक्रिया जुटाना।

(iv) जीवन स्तर सुधारना और बीमारियों से सुरक्षा करना।

(v) सामाजिक एवं आर्थिक विकास करना। (vi) अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों को परस्पर बात-चीत द्वारा हल करना।

5. वर्साय की संधि किस प्रकार द्वितीय विश्वयुद्ध के लिए उत्तरदायी थी? कोई तीन तर्क दीजिए।

उ०- वर्साय की संधि ही द्वितीय विश्वयुद्ध का मूल कारण थी। इसके पक्ष में तीन तर्क निम्नलिखित हैं(i) वर्साय की अपमानजनक संधि जर्मनी पर बलपूर्वक थोपी गई थी, अतः जर्मनी के हृदय में मित्र-राष्ट्रों के प्रति घृणा का
भाव उत्पन्न हो गया। (ii) यह संधि बदले की भावना का प्रतीक थी, अत: इसने बदला लेने की प्रवृत्ति को जन्म दिया। (iii) इस संधि ने जर्मनी सैनिक तथा सामुद्रिक शक्ति को नष्ट कर दिया तथा उसकी राष्ट्रीय भावना को इतना कुचल दिया_ गया था कि जर्मन जनता अपने अपमान का बदला लेने के लिए बैचेन हो उठी थी।

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6. हिटलर कौन था? उसकी नीतियों ने किस प्रकार द्वितीय विश्वयुद्ध को प्रभावित किया?

उ०- हिटलर एक प्रसिद्ध जर्मन राजनेता एवं तानाशाह थे। वे ‘राष्ट्रीय समाजवादी जर्मन कामगार पार्टी’ जिसे ‘नाजी पार्टी’ के नाम से जाना जाता था के नेता थे। हिटलर सन् 1933 से सन् 1945 ई० तक जर्मनी के शासक रहे। हिटलर को द्वितीय विश्वयुद्ध के लिए सर्वाधिक जिम्मेदार माना जाता है। वर्साय की संधि में मित्र-राष्ट्रों ने जर्मनी के लिए जो अपमान के बीज बोए थे, वे हिटलर की नाजीवादी नीतियों द्वारा अंकुरित होकर द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण बने। हिटलर ने नाजी पार्टी की स्थापना करके जर्मन जनता का पुनरूत्थान करेगी तथा वर्साय की संधि में जर्मनी के अपमान का बदला लेगी। जर्मन की जनता हिटलर की समर्थक बन गई। हिटलर ने सन् 1933 में जर्मन के शासक बनकर वर्साय संधि का उल्लंघन करते हुए जर्मनी का शस्त्रीकरण करना प्रारंभ कर दिया। हिटलर की बढ़ती शक्ति से भयभीत होकर यूरोप के राष्ट्र अपनी सुरक्षा के लिए द्वितीय विश्वयुद्ध की
तैयारी में लग गए। इस प्रकार हिटलर ने जर्मनी के अपमान का बदला लेने के लिए द्वितीय विश्वयुद्ध को संभव बना दिया।

7. द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान आत्मसमर्पण के लिए क्यों विवश हुआ ?

उ०- अमेरिका ने 6 अगस्त 1945 ई० को जापान के समृद्धनगर हिरोशिमा पर पहला अणु बम गिराया। हिरोशिमा की लगभग सारी जनसंख्या मारी गई और नगर का नामोनिशान भी नहीं रहा। 9 अगस्त 1945 ई० को अमेरिका ने जापानी नगर नागासाकी पर अपना दूसरा अणु बम गिराया। इस अणु बम की भयानक तबाही को देखकर जापान का सम्राट भयभीत हो गया ओर उसने

तत्काल ही जापानी सेना को आत्मसमर्पण का आदेश कर दिया। इस प्रकार 14 अगस्त, 1945 ई० को जापान ने बिना किसी
शर्त के आत्मसमर्पण कर दिया। । 8. संयुक्त राज्य अमेरिका ने जापान के विरूद्ध युद्ध की घोषणा क्यों की? उन दो नगरों के नाम लिखिए, जो अणु
बम द्वारा नष्ट कर दिए गए। वे नगर किस देश में हैं। उ०- जापान सारे एशिया पर अपना प्रभाव स्थापित करना चाहता था। इसलिए 7 दिसंबर, 1941 ई० को जापानी सेना ने अमेरिका
के प्रशांत सागर स्थित नौ सैनिक अड्डे पर्ल हार्बर पर भयानक आक्रमण कर दिया। जापान के इस आकस्मिक आक्रमण से अमेरिका का नौसैनिक अड्डा पूरी तरह नष्ट हो गया। जापान के आक्रमण की जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई। अतः 11 दिसंबर, 1941 ई० को संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने जापान के विरूद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। हिरोशिमा और नागासाकी नगरों को अमेरिका ने अणु बम द्वारा नष्ट कर दिया। ये दोनों नगर जापान देश में हैं। विस्तृत उत्तरीय प्रश्न 1. द्वितीय विश्वयुद्ध के मुख्य कारण क्या थे? विवेचना कीजिए। उ०- द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण- द्वितीय विश्वयुद्ध के लिए निम्नलिखित कारण उत्तरदायी थे(i) वर्साय की संधि- वर्साय की अपमानजनक संधि में ही द्वितीय विश्वयुद्ध के बीज छिपे हुए थे। जर्मनी ने हिटलर के
माध्यम से अपमान का बदला लेने के लिए द्वितीय विश्वयुद्ध को संभव बना दिया। (ii) नाजीवाद और फांसीवाद- जर्मनी के तानाशाह हिटलर ने नाजीवाद के माध्यम से तथा इटली के तानाशाह
मुसोलिनी ने फासीवाद के माध्यम से उग्र राष्ट्रवाद जगाकर द्वितीय विश्वयुद्ध की पृष्ठभूमि तैयार कर दी। (iii) नवीन विचारधाराओं का उदय- यूरोप में लोकतंत्र की बढ़ती लोकप्रियता तथा साम्यवादी विचार-धाराओं ने यूरोप के
राजनीतिक परिवेश को हिला डाला। उग्र राष्ट्रवाद की उठती प्रबल भावनाओं ने द्वितीय विश्वयुद्ध को निकट ला दिया। (iv) संधियों का उल्लंघन- पेरिस शांति सम्मेलन के माध्यम से मित्र राष्ट्रों ने जो संधियाँ थोपी थीं, जर्मनी ने उनका
उल्लंघन करके घातक अस्त्र-शस्त्र, विमान तथा जलयान बनाने प्रारंभ कर दिए थे। उसकी होड़ में इटली, जापान तथा
स्पेन भी सैन्य तैयारियों में जुट गए, जिससे तनाव उत्पन्न होने से टकराव होना निश्चित हो गया। (v) साम्राज्यवादी प्रतिस्पर्धाएँ- यूरोप की विस्तारवादी शक्तियाँ साम्राज्य का विस्तार करने और उपनिवेशों की स्थापना
करने में जुटी थीं। जापान और जर्मनी भी अपना साम्राज्य बढ़ाना चाहते थे। साम्राज्यवाद के विस्तार तथा उपनिवेशों की
स्थापना की होड़ ने इन राष्ट्रों के स्वार्थों में टकराव लाकर द्वितीय विश्वयुद्ध को जन्म दे दिया। (vi) गुटबंदियाँ- यूरोप में गुटबंदियाँ प्रारंभ हो चुकी थीं। एक गुट फ्रांस के नेतृत्व में, जबकि दूसरा गुट जर्मनी के नेतृत्व में
संगठित हो गया। फ्रांस लोकतंत्र का, जबकि जर्मनी साम्राज्यवाद का समर्थक था। गुटबंदियों ने राष्ट्रों को अविश्वास Up board class 10 social science full solution chapter 9 द्वितीय विश्वयुद्ध कारण एवं परिणाम
और शंका से परिपूर्ण करके द्वितीय विश्वयुद्ध के रूप में टकराने के लिए कटिबद्ध कर दिया। (vii) तृष्टिकरण की नीति- ब्रिटेन और फ्रांस फांसीवादी नीति के प्रति तुष्टिकरण की नीति अपना रहे थे। इंग्लैंड के
प्रधानमंत्री चैम्बरलेन ने तथा फ्रांस के प्रधानमंत्री ब्लादियर ने फासीवादी राक्षस के लिए चेकोस्लोवाकिया को _ बलिदान कर दिया। यही नीति द्वितीय विश्वयुद्ध के विस्फोट के लिए उत्तरदायी बनी। (viii) युद्ध के लिए तैयारियाँ- फ्रांस किलेबंदी करके युद्ध के लिए मैगना लाइन नामक सुरक्षा पंक्ति बना चुका था,
जबकि जर्मनी सिग फील्ड लाइन बनाकर युद्ध के लिए तैयार था। इन तैयारियों ने विश्व के अन्य देशों को भी युद्ध के लिए तैयार कर दिया। (ix) आर्थिक संपन्नता के लिए प्रतिस्पर्धाएँ- यूरोपीय राष्ट्र बाजारों की खोज, कच्चे माल तथा श्रम की उपलब्धता आदि
के लिए मारामारी कर रहे थे। इटली ऊर्जा संसाधनों को जुटाने में लगा था। जापान औद्योगीकरण की सुविधाएँ जुटा रहा था, अतः इन राष्ट्रों के आर्थिक हितों में टकराव होने से द्वितीय विश्वयुद्ध का परिवेश बन गया। (x) लीग ऑफ नेशन्स की दुर्बलताएँ- लीग ऑफ नेशन्स के पास आक्रामक देशों को रोकने के लिए सैन्य शक्ति नहीं
थी, अत: वह असहाय बन युद्ध भड़काने वाली शक्तियों के कारनामे निहारता रहा। इस प्रकार लीग ऑफ नेशन्स की
दुर्बलताओं के कारण द्वितीय विश्वयुद्ध छिड़ गया। (xi) द्वितीय विश्वयुद्ध का तात्कालिक कारण- यूरोप में युद्ध का वातावरण तो बन ही चुका था। समूचा यूरोप बारूद के

[2:18 AM, 2/24/2021] Don: ढेर पर बैठा हुआ था। बस चिंगारी लगने की ही देर थी, जिसे हिटलर के 1 सितंबर, 1939 ई० को पोलैंड पर आक्रमण
ने पूरा कर द्वितीय विश्वयुद्ध की ज्वाला को भड़का दिया। यही छोटी-सी घटना द्वितीय विश्वयुद्ध का कारण बनी। 2. द्वितीय विश्वयुद्ध के परिणामों पर प्रकाश डालिए। इसका क्या तात्कालिक प्रभाव पड़ा? उ०- द्वितीय विश्वयुद्ध के परिणाम- द्वितीय विश्वयुद्ध में अणुबम का स्वाद चखने वाला जापान विश्व का पहला देश था, जहाँ
हिरोशिमा और नागासाकी की जनता ने कई पीढ़ियों तक अणुबम के घातक परिणामों को भुगता। द्वितीय विश्वयुद्ध के परिणामों का वर्णन निम्नवत् किया जा सकता है(i) जन-धन का महाविनाश- द्वितीय विश्वयुद्ध में 5 करोड़ लोग मारे गए तथा करोड़ों घायल हुए। इस युद्ध ने बाल्टिक
सागर से काला सागर तक का क्षेत्र नष्ट करके खरबों रुपयों की संपत्ति को खाक में मिला दिया। (ii) साम्राज्यवाद का विनाश- द्वितीय विश्वयुद्ध ने साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद को गहरी कब्रों में दबाकर सदैव के
लिए समाप्त कर दिया। इस युद्ध के उपरांत एशिया तथा अफ्रीका के देश धड़ाधड़ स्वतंत्र होते चले गए। (iii) विश्व का शक्ति-गुटों में विभाजन- द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद समूचा विश्व अमेरिका के नेतृत्व में पूँजीवादी गुट
तथा सोवियत संघ के नेतृत्व में साम्यवादीगुट में बँट गया। (iv) लोकतांत्रिक भावना का विकास- द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद विश्वभर में लोकतंत्र की धारा प्रवाहित हो गई।
अधिकांश देशों ने राजतंत्र को त्यागकर लोकतंत्र को अपना लिया। (v) जर्मनी का विभाजन- द्वितीय विश्वयुद्ध के लिए जर्मन जनता को उत्तरदायी मानकर, मित्र राष्ट्रों ने उन्हें दंड देने के
लिए जर्मनी को दो भागों में बाँट दिया- बर्लिन में दीवार खींच कर उसके दो टुकड़े कर दिए गए। (vi) अस्त्र-शस्त्र एकत्र करने की होड़- यूरोप के देशों में घातक अस्त्र-शस्त्र एकत्र करने की होड़ लग गई, जिससे
शीतयुद्ध और तनाव का वातावरण उत्पन्न हो गया। (vii) आर्थिक संकट- द्वितीय विश्वयुद्ध में संसाधनों का भारी अपव्यय होने के कारण फ्रांस और जर्मनी में आर्थिक संकट
उत्पन्न हो गया, जिसका लाभ रूस और अमेरिका ने आर्थिक साम्राज्यवाद का प्रसार करके उठाया। (viii) परमाणु अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण- द्वितीय विश्वयुद्ध में अणुशक्ति के महाविनाशक स्वरूप का पता चलते ही
शक्तिसंपन्न राष्ट्र इसका विकास करने में जुट गए। बढ़ते परमाणु शस्त्रों ने विश्वभर में पुनः तनाव बढ़ा दिया। (ix) सैनिक गुटबंदियाँ- द्वितीय विश्वयुद्ध के उपरांत सामूहिक सुरक्षा की ओट में ‘नाटो’ तथा ‘वार्सापैक्ट’ जैसी सैनिक
गुटबंदियाँ की गई। इन सैनिक गुटबंदियों ने शांत पर्यावरण को पुनः आंदोलित कर दिया। (x) युद्ध के अपराधियों पर मुकदमा- मित्र-राष्ट्रों ने युद्ध के अपराधियों पर न्यूरेमबर्ग की अदालत में मुकदमा चलाया।
इस मुकदमे के फलस्वरूप 426 युद्ध-अपराधियों को फाँसी की सजा दी गयी। (xi) संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना- द्वितीय विश्वयुद्ध में हुए भीषण नरसंहार तथा संपत्ति के अभूतपूर्व विनाश ने विश्व
भर के राजनीतिज्ञों को बाध्य किया कि यदि मानव जाति को सुरक्षित रखना है तो युद्धों को रोकना आवश्यक है। अतः संसार की महाशक्तियों ने 24 अक्टूबर, 1945 ई० को एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था की स्थापना की, जो संयुक्त राष्ट्र संघ के नाम से आज भी विश्व में शांति तथा मानव जाति की सुरक्षा के लिए प्रयत्नशील है। 3. द्वितीय विश्वयुद्ध के कारणों और परिणामों की विवेचना कीजिए। उ०- उत्तर के लिए विस्तृत उत्तरीय प्रश्न संख्या-1 व 2 के उत्तरों का अवलोकन कीजिए।

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नाजीवाद और फांसीवाद द्वितीय विश्वयुद्ध के लिए किस सीमा तक उत्तरदायी थे।

उ०- प्रथम विश्वयुद्ध के बाद पेरिस के शांति सम्मेलन ने अनेक राज्यों में लोकतंत्र शासन की स्थापना कर दी गई थी, किंतु कुछ
समय बाद जर्मनी में नाजीवादी एवं इटली में फासीवादी क्रांतियाँ आरंभ हो गईं। तानाशाही शासन का घृणित रूप नाजीवाद है। हिटलर ने जर्मनी में नाजी दल का गठन किया। इस पार्टी के तानाशाही, विस्तारवादी और आक्रामक सिद्धांत नाजीवाद कहलाए। जर्मनी की आंतरिक उथल-पुथल ने तथा वर्साय की अपमानजनक संधि ने नाजीवाद को विकसित होने का अवसर प्रदान किया। फासीवाद दल की स्थापना इटली के तानाशाही मुसोलिनी ने की थी। यह दल तानाशाही, हिंसा, विस्तारवाद तथा युद्ध का पक्षधर था। अतः इसकी विचारधारा को फासीवाद कहा गया। नाजीवाद और फासीवाद विचारधाराओं ने यूरोप
के देशों में खलबली मचा दी। इन विचारधाराओं के संघर्ष के कारण अनेक देशों में राष्ट्रीयता की प्रबल भावनाएँ उत्पन्न हो गईं। अतः नाजीवाद और फांसीवाद द्वितीय विश्वयुद्ध को संभव बनाने के लिए सर्वाधिक उत्तरदायी थे। *

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