UP BOARD CLASS 10 SOCIAL SCIENCE CHAPTER 4 FULL SOLUTION

UP BOARD CLASS 10 SOCIAL SCIENCE CHAPTER 4 FULL SOLUTION क्रांतियों का सामान्य परिचय

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UP BOARD CLASS 10 SOCIAL SCIENCE CHAPTER 4 FULL SOLUTION क्रांतियों का सामान्य परिचय

  • लघुउत्तरीय प्रश्न

1—–इंग्लैंड के इतिहास में रक्तहीन क्रांति किस प्रकार एक युगांतरकारी घटना थी?
उ०- विश्व के इतिहास में क्रांति का नवीन अध्याय प्रारंभ करने का श्रेय इंग्लैंड की क्रांति को जाता है। इस संदर्भ में रैम्जे म्योर महोदय का यह कथन एकदम सटीक प्रतीत होता है, “सन् 1688 ई० की क्रांति केवल इंग्लैंड के इतिहास की ही नहीं वरन् यूरोप के इतिहास की महत्वपूर्ण घटना थी।” इंग्लैंड का शासक जेम्स द्वितीय एक निरकुंश शासक था। अतः इंग्लैंड की जनता ने राजा की निरंकुशता और अन्यायों के विरुद्ध 1688 ई० में क्रांति का बिगुल बजा दिया। यह क्रांति-व्यवस्थापरिवर्तन में सफल हुई। इंग्लैंड की धरती पर रक्त की एक भी बूंद बहाए बिना क्रांतिकारी, आततायी शासक की निरंकुशता से मुक्ति पा गए, अत: “इंग्लैंड की क्रांति इतिहास में रक्तहीन क्रांति या गौरवपूर्ण क्रांति के नामों से अंकित की गई।” इस शानदार क्रांति ने इंग्लैंड में राजतंत्र का अंत करके, सत्ता संसद के हाथों में सौंप दी। राजा के दैवी अधिकारों का अंत हो गया और सत्ता पर संसद का अधिकार हो गया। इंग्लैंड की संसदीय व्यवस्था की सफलता से प्रभावित होकर विश्वभर में संसद
की स्थापना की जाने लगी। इस प्रकार इंग्लैंड की क्रांति इतिहास की एक युगांतरकारी घटना बन गई।

2—-गौरवमयी ( रक्तहीन ) क्रांति के विषय में आप क्या जानते हैं?
उ०- उत्तर के लिए लघु उत्तरीय प्रश्न संख्या- 1 के उत्तर का अवलोकन कीजिए। _

३——-इंग्लैंड में क्रांति कब हुई? इसके लिए उत्तरदायी दो कारण कौन से हैं?
उ०- इंग्लैंड में क्रांति सन् 1688 ई० में हुई। इसके लिए उत्तरदायी दो कारण निम्नलिखित हैं
(i) जेम्स द्वितीय की निरंकुशता, अन्याय और विलासी जीवन से दुखी होकर इंग्लैंड की जनता क्रांति करने को विवश हो गई।
(ii) राजा ने जनसामान्य पर अनेक धार्मिक बाध्यताएँ थोप दी, अत: जनसामान्य उनसे बचने के लिए क्रांति का सहारा लेने
के लिए विवश हो गया।

४——अमेरिका की क्रांति कब हुई? उसके दो प्रमुख परिणाम क्या हुए?
उ०- अमेरिका की क्रांति सन् 1765 ई० में हुई। इस क्रांति के दो प्रमुख परिणाम निम्नलिखित हैं
(i) संयुक्त राज्य अमेरिका का उदय- अमेरिका की क्रांति की सबसे महत्वपूर्ण देन विश्व-रंगमंच पर संयुक्त राज्य
अमेरिका का उदय था। यह देश धीरे-धीरे आर्थिक, व्यावसायिक तथा सैनिक दृष्टि से ‘विश्व का डंडे वाला बड़ा पुलिसमैन’ बन गया।
(ii) लिखित संविधान- अमेरिका की क्रांति की सफलता के बाद यहाँ विश्व का प्रथम लिखित संविधान लागू किया गया, जो समूचे विश्व के लिए अनुकरणीय वरदान बन गया।

५——बोस्टन टी-पार्टी किस देश में हुई? इस घटना की मुख्य विशेषताएँ क्या थीं?

उ०- बोस्टन टी-पार्टी की घटना सन् 1773 में अमेरिका में हुई। यह अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख घटना है। इंग्लैंड की संसद में उपनिवेशों का एक भी प्रतिनिधि नहीं था। संसद ने 1765 ई० में स्टांप एक्ट लागू कर दिया। इसके अनुसार उपनिवेशवासियों को व्यापारिक सौदों पर कर देना अनिवार्य था, साथ ही न्यायालयों के प्रपत्रों पर स्टाम्प लगाना आवश्यक कर दिया गया। उपनिवेशों के लोगों ने इस एक्ट के विरोध में “प्रतिनिधित्व नहीं तो कर नहीं” का नारा लगाया। इसी संदर्भ में 1773 ई० में ब्रिटिश जहाज चाय की पेटियाँ लेकर बोस्टन के बंदरगाह पर पहुँचे, वहाँ क्रांतिकारी रेडइंडियंस कुलियों की पोशाक में पेटियाँ उतारने के लिए जहाजों पर चढ़ गए और विरोधस्वरूप उन्होंने चाय की सभी पेटियाँ समुद्र में फेंक दीं। अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में यही घटना ‘बोस्टन टी-पार्टी’ के नाम से प्रसिद्ध हो गई। बाद में सरकार ने उपनिवेशवासियों को दंडित करने के उद्देश्य से बोस्टन का बंदरगाह ही बंद कर दिया। “बोस्टन टी-पार्टी से पूर्व दिया गया नारा अमेरिका के स्वाधीनता संग्राम का प्रतिनिधि नारा बन गया और बोस्टन टी पार्टी की घटना ने क्रांति की ज्वाला में घी का काम किया।”

६——-जॉर्ज वाशिंगटन कौन था? अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम में उसकी भूमिका क्या थी?
उ०- जॉर्ज वाशिंगटन संयुक्त राज्य अमेरिका का प्रथम राष्ट्रपति था। अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में जॉर्ज वाशिंगटन
का नाम स्वर्णिम अक्षरों में चमकता रहेगा। 20 वर्ष की आयु में सेना में भर्ती होकर यह महान सेनानी, सेना का सर्वोच्च अधिकारी बना। सन् 1765 में उसने स्टाम्प एक्ट का विरोध करते हुए क्रांति में सक्रिय भूमिका निभाई और जनता ने उन्हें वर्जीनिया का विधायक चुना। यह महान सेनापति राष्ट्रप्रेम और आत्मविश्वास से ओत-प्रोत था। उन्हीं के नेतृत्व में सेना ने स्वतंत्रता संग्राम में विजय पाई और अमेरिका को स्वतंत्रता दिलाई।

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विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

१—–इंग्लैंड की क्रांति के प्रमुख कारणों का वर्णन कीजिए
इंग्लैंड की क्रांति के कारण- इंग्लैंड में क्रांति का विस्फोट अचानक ही नहीं हुआ, वरन् इसके लिए निम्नलिखित कारण उत्तरदायी थे(i) जेम्स द्वितीय की निरंकुशता, अन्याय और विलासी जीवन से दु:खी होकर इंग्लैंड की जनता क्रांति करने को विवश हो गई। (ii) जेम्स द्वितीय कैथोलिक धर्म के अनुयायियों का हित करते हुए प्रोटेस्टेंट धर्म के अनुयायियों को हानि पहुँचा रहा था। (iii) जेम्स द्वितीय ने कैथोलिक अधिकारियों की नियुक्ति को वैधानिक बनाने के लिए कोर्ट ऑफ हाई कमीशन नियुक्त कर जनता को आंदोलित कर दिया। (iv) राजा ने 1687 ई० में टेस्ट एक्ट तथा कैलेरेंडन एक्ट रद्द करके जनता के आक्रोश को बढ़ा दिया। (v) राजा ने जनसामान्य पर अनेक धार्मिक बाध्यताएँ थोप दीं, अतः जनसामान्य उनसे बचने के लिए क्रांति का सहारा लेने के लिए विवश हो गया। (vi) राजा ने कैंटरबरी के आर्क बिशप सहित छ: अन्य पादरियों पर राजद्रोह का अपराध लगा दिया, जिससे जनता के हृदयों में क्रांति की ज्वाला भड़क उठी। (vii) राजमहल से राजा के पुत्र का जन्म होने का समाचार आते ही, पुराने तथा नए राजा से छुटकारा पाने को जनता आंदोलित हो उठी।

2. इंग्लैंड की क्रांति को ‘गौरवपूर्ण क्रांति’ की संज्ञा क्यों दी गई? इसके प्रमुख परिणामों का वर्णन कीजिए।

उ०- इंग्लैंड की क्रांति- विश्व के इतिहास में क्रांति का नवीन अध्याय प्रारंभ करने का श्रेय इंग्लैंड की क्रांति को जाता है। इस संदर्भ में रैम्जे म्योर महोदय का यह कथन एकदम सटीक प्रतीत होता है, “सन् 1688 ई० की क्रांति केवल इंग्लैंड के इतिहास की ही नहीं वरन् यूरोप के इतिहास की महत्वपूर्ण घटना थी।” इंग्लैंड का शासक जेम्स द्वितीय एक निरकुंश शासक था। अतः इंग्लैंड की जनता ने राजा की निरंकुशता और अन्यायों के विरुद्ध 1688 ई० में क्रांति का बिगुल बजा दिया। यह क्रांति-व्यवस्था-परिवर्तन में सफल हुई। इंग्लैंड की धरती पर रक्त की एक भी बूंद बहाए बिना क्रांतिकारी, आततायी शासक की निरंकुशता से मुक्ति पा गए, अतः “इंग्लैंड की क्रांति इतिहास में रक्तहीन क्रांति या गौरवपूर्ण क्रांति के नामों से अंकित की गई।” इस शानदार क्रांति ने इंग्लैंड में राजतंत्र का अंत करके, सत्ता संसद के हाथों में सौंप दी। राजा के दैवी अधिकारों का अंत हो गया और सत्ता पर संसद का अधिकार हो गया। इंग्लैंड की संसदीय व्यवस्था की सफलता से प्रभावित होकर विश्वभर में संसद की स्थापना की जाने लगी। इस प्रकार इंग्लैंड की क्रांति इतिहास की एक युगांतरकारी घटना बन गई। इंग्लैंड की क्रांति के परिणाम- इंग्लैंड की रक्तहीन क्रांति बहुत प्रभावी थी। उसके परिणाम निम्नवत् रहे

(i) राजा और संसद के झगड़ों का अंत- इंग्लैंड की क्रांति ने संसद को शक्ति प्रदान कर जनता और राजा के मध्य चले आ रहे झगड़ों का अंत कर दिया।

(ii) राजा के अधिकारों पर अंकुश- इंग्लैंड में राजा दैवीय अधिकारों से युक्त माना जाता था। क्रांति की सफलता के फलस्वरूप राजा के अधिकारों पर अंकुश लग गया ।

(iii) संसद की सत्ता की स्थापना- इंग्लैंड की क्रांति ने वहाँ की संसद को सर्वोच्च सत्ता सौंपकर उसे सर्वशक्ति-संपन्न बना दिया।

(iv) राजा की निरंकुशता से मुक्ति- इंग्लैंड की क्रांति की सफलता ने इंग्लैंड की जनता को राजा की निरंकुशता से सदैव के लिए मुक्ति दिला दी।

(v) न्यायपालिका की स्वतंत्रता को महत्व- इंग्लैंड की क्रांति ने वहाँ स्वतंत्र न्यायपालिका की स्थापना कर उसकी
स्वतंत्रता को विश्वभर के लिए महत्वपूर्ण बना दिया।

(vi) इंग्लैंड का सर्वांगीण विकास- इंग्लैंड की गौरवपूर्ण क्रांति की सफलता ने इंग्लैंड के सर्वांगीण विकास के द्वार खोल दिए।

(vii) क्रांतियों का मार्गदर्शन- इंग्लैंड की क्रांति ने अमेरिका की क्रांति के साथ-साथ यूरोप की क्रांतियों का भी मार्गदर्शन किया। इन देशों के नागरिकों ने इस क्रांति से प्रोत्साहन पाकर क्रांति करने का मार्ग चुन लिया।

इस क्रांति के प्रभाव को रैम्जे म्योर ने इस प्रकार अभिव्यक्ति दी है, “1688 ई० की रक्तहीन क्रांति इंग्लैंड के संसदीय इतिहास में मील का पत्थर सिद्ध हुई।” इस क्रांति ने इंग्लैंड की संसद को विश्व की संसदों की जननी बना दिया।

3. अमेरिका की क्रांति के प्रमुख कारणों पर प्रकाश डालिए।

उ०- अमेरिका की क्रांति- क्रिस्टोफर कोलंबस ने लंबी समुद्री यात्रा कर 1492 ई० में नई दुनिया की खोज करके समस्त विश्व को अमेरिका से परिचित करवाया। वहाँ के प्राकृतिक संसाधनों के शोषण के आकर्षण में ब्रिटेन से अंग्रेज अमेरिका पहुँचने लगे और उन्होंने अपने 13 उपनिवेश स्थापित कर लिए। प्राकृतिक संसाधनों के विदोहन और मानवीय संसाधनों के शोषण ने अंग्रेजों को समृद्ध बना दिया। उनके जीवन का लक्ष्य अफ्रीका से लाए गए दासों से कृषि कार्य कराकर अमेरिका के संसाधनों से पूँजी और शक्ति का संचय करना था। अमेरिका में कमाया गया धन धीरे-धीरे इंग्लैंड की तिजौरी में जाकर संचित होने लगा। उपनिवेशों के निवासी अंग्रेजों के अन्याय, अत्याचार और शोषण से दबकर कुलबुलाने लगे। उनके हृदयों में धूर्त अंग्रेजों से छुटकारा पाने की लालसाएँ हिलोरें मारने लगीं। स्वतंत्रता पाने की यही लालसाएँ धीरे-धीरे उनके हृदयों में असंतोष बनकर सुलगने लगीं। अंग्रेजों के अत्याचार और अन्याय बढ़ने से उनके धैर्य का बाँध टूटने लगा, जो एक दिन क्रांति की सूनामी बनकर उफन पड़ा। 1765 ई० में अमेरिका की जनता ने इंग्लैंड की सरकार के विरुद्ध क्रांति का झंडा उठा लिया। अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व जॉर्ज वाशिंगटन ने किया। एक लंबे संघर्ष के बाद क्रांतिकारियों को अपने लक्ष्य में सफलता मिली और 4 जुलाई 1776 ई० को अमेरिका में स्वतंत्रता का सूर्य उदित हुआ। अमेरिका की क्रांति के कारण- अमेरिका की क्रांति के लिए निम्नलिखित कारण उत्तरदायी थे –

(i) पक्षपातपूर्ण कठोर कानून- अंग्रेज सरकार ने उपनिवेशवासियों के लिए पक्षपातपूर्ण और कठोर कानून बनाकर, उन्हें आंदोलन करने के लिए कटिबद्ध कर दिया।

(ii) अन्यायी शासन- अंग्रेजों की शासन पद्धति अन्याय और शोषण पर आधारित थी। शासन का लक्ष्य उपनिवेशवासियों का शोषण और अपना हित करना था। अतः जनसामान्य ऐसे अन्यायी शासन के विरुद्ध क्रांति के लिए तत्पर हो गया। बोस्टन टी-पार्टी- इंग्लैंड की संसद में उपनिवेशों का एक भी प्रतिनिधि नहीं था। संसद ने 1765 ई० में स्टांप एक्ट लागू कर दिया। इसके अनुसार उपनिवेशवासियों को व्यापारिक सौदों पर कर देना अनिवार्य था, साथ ही न्यायालयों के प्रपत्रों पर स्टांप लगाना आवश्यक कर दिया गया। उपनिवेशों के लोगों ने इस एक्ट के विरोध में “प्रतिनिधित्व नहीं तो कर नहीं” का नारा लगाया। इसी संदर्भ में 1773 ई० में ब्रिटिश जहाज चाय की पेटियाँ लेकर बोस्टन के बंदरगाह पर पहुँचे, वहाँ क्रांतिकारी रेडइंडियंस कुलियों की पोशाक में पेटियाँ उतारने के लिए जहाजों पर चढ़ गए और विरोधस्वरूप उन्होंने चाय की सभी पेटियाँ समुद्र में फेंक दीं।

(iii )अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में यही घटना ‘बोस्टन टी-पार्टी’ के नाम से प्रसिद्ध हो गई। बाद में सरकार ने उपनिवेशवासियों को दंडित करने के उद्देश्य से बोस्टन का बंदरगाह ही बंद कर दिया। “बोस्टन टी-पार्टी से पूर्व दिया गया नारा अमेरिका के स्वाधीनता संग्राम का प्रतिनिधि नारा बन गया और बोस्टन टी पार्टी की घटना ने क्रांति की ज्वाला में घी का काम किया।” UP BOARD CLASS 10 SOCIAL SCIENCE CHAPTER 4 FULL SOLUTION

(iv) दार्शनिकों का योगदान- अमेरिका की क्रांति को सफल बनाने में जैफरसन, टॉमस पेन, जॉन मिल्टन तथा जॉन लॉक आदि लेखकों और दार्शनिकों ने बड़ा योगदान दिया। उनके विचारों से प्रेरित होकर उपनिवेशों के निवासी तन, मन और धन के साथ क्रांति की गतिविधियों से साथ जुड़ गए।

(v) पेरिस संधि एवं नवीन संविधान का निर्माण- लंबे और कठोर संघर्ष के बाद अंग्रेज सरकार ने क्रांतिकारियों के साथ 1783 ई० में पेरिस संधि की, जिसके परिणामस्वरूप विश्व मानचित्र पर संयुक्त राज्य अमेरिका नामक नए देश का चित्र उभरा। 1789 ई० में अमेरिका में नवीन लिखित संविधान बना।

४—–अमेरिका की क्रांति की उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।

उ०- अमेरिका की क्रांति की उपलब्धियाँ- अमेरिका की क्रांति की उपलब्धियों को वीयर्ड महोदय के इन शब्दों के आलोक में ठीक से समझा जा सकता है, “अमेरिका की क्रांति उपनिवेशवाद के विरुद्ध खुला संघर्ष था।” इसीलिए यह क्रांति विश्व इतिहास की एक अविस्मरणीय घटना बनकर उभरी। अमेरिका की क्रांति ने समूचे विश्व को प्रेरणा ही नहीं दी, वरन् एक अनूठे ढंग से उसका नेतृत्व भी किया। इस क्रांति के प्रमुख प्रभाव निम्नलिखित रहे

(i) संयुक्त राज्य अमेरिका का उदय- अमेरिका की क्रांति की सबसे महत्वपूर्ण देन विश्व-रंगमंच पर संयुक्त राज्य
अमेरिका का उदय था। यह देश धीरे-धीरे आर्थिक, व्यावसायिक तथा सैनिक दृष्टि से ‘विश्व का डंडे वाला बड़ा
पुलिसन’ बन गया।

(ii) लिखित संविधान- अमेरिका की क्रांति की सफलता के बाद यहाँ विश्व का प्रथम लिखित संविधान लागू किया गया,
जो समूचे विश्व के लिए अनुकरणीय वरदान बन गया। (iii) गणतंत्रीय व्यवस्था- अमेरिका की क्रांति ने समूचे विश्व को गणतंत्र और गणतंत्रणीय शासन-व्यवस्था का अमूल्य उपहार दिया।

(iv) उपनिवेशवाद पर कठोर आघात- अमेरिका की क्रांति की सफलता ने अमेरिका के 13 अंग्रेजी उपनिवेशों का अंत कर समूचे विश्व में उपनिवेशवाद पर कठोर आघात किया, जिसके फलस्वरूप उपनिवेशों को स्वतंत्रता का मधुर फल चखने को मिला। UP BOARD CLASS 10 SOCIAL SCIENCE CHAPTER 4 FULL SOLUTION

(v) भावी क्रांतियों के लिए प्रेरणा स्रोत- अमेरिका की क्रांति फ्रांस तथा रूस की क्रांतियों के लिए प्रेरणा स्रोत ओर
मार्गदर्शक बन गई।

(vi) संघीय शासन-प्रणाली की स्थापना- अमेरिका की क्रांति की सफलता के पश्चात संयुक्त राज्य अमेरिका में संघीय शासन प्रणाली की स्थापना करके समूचे विश्व के समक्ष यह आदर्श प्रस्तुत किया गया।

(vii) दास प्रथा का उन्मूलन- संयुक्त राज्य अमेरिका में दास प्रथा का प्रचलन था, जिसे बाद में अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने कठोर संघर्ष करके समाप्त कर दिया। यह कार्य समूचे विश्व के लिए प्रेरणा स्रोत बन गया। संयुक्त राज्य अमेरिका का शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उदय- अमेरिका की क्रांति की सफलता के फलस्वरूप जो संयुक्त राज्य अमेरिका एक नया देश बना, वह धीरे-धीरे आर्थिक, राजनीतिक, वैज्ञानिक और औद्योगिक क्षेत्रों में चरम विकास करके ‘विश्वशक्ति’ के रूप में अवतरित हुआ। अमेरिका की क्रांति के प्रभाव को प्रसिद्ध विद्वान हेज ने इन शब्दों में व्यक्त किया है, “अमेरिका की क्रांति ने ब्रिटिश साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद की महाद्वीपीय व्यवस्था पर घातक प्रहार ही नहीं किया, वरन् यूरोप में निरंकुशवाद के विनाश का मार्ग खोल दिया।” इस क्रांति ने समूचे विश्व को प्रजातंत्र का प्रसाद दिया। अब्राहम लिंकन के शब्द, “जनता का शासन, जनता द्वारा, जनता के लिए” प्रजातंत्र का मूलमंत्र बन गए हैं ।

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