Up board class 10 hindi solution chapter 7 पानी में चंदा और चांद पर आदमी
पानी में चंदा और चांद पर आदमी (जयप्रकाश भारती)

लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1- जयप्रकाश भारती का जन्म कब और कहां हुआ था ?
उत्तर- जयप्रकाश भारती का जन्म 2 जनवरी सन 1936 ईस्वी में उत्तर प्रदेश राज्य के मेरठ जनपद में हुआ था |
प्रश्न 2- जयप्रकाश भारती के पिता का नाम और व्यवसाय बताइए |
उत्तर- जयप्रकाश भारती के पिता श्री रघुनाथ सहाय थे वे मेरठ के प्रसिद्ध एडवोकेट थे |
प्रश्न 3 – भारती जी ने बीएससी की परीक्षा कहां से उत्तीर्ण की थी ?
उत्तर- भारती जी ने बीएससी की परीक्षा मेरठ शहर से उत्तीर्ण की थी |
प्रश्न 4 – भारती जी ने लेखन का प्रशिक्षण कहां से प्राप्त किया था ?
उत्तर- भारती जी ने साक्षरता निकेतन लखनऊ में नवसाक्षर साहित्य लेखन का प्रशिक्षण प्राप्त किया था |
प्रश्न 5 – भारतीय जी की भाषा शैली किस प्रकार की है?
उत्तर- भारती जी ने अपनी सभी रचनाओं में सरल एवं सरस भाषा का प्रयोग किया है इन्होंने सरल साहित्यिक हिंदी को महत्व दिया है इन्होंने अपनी रचनाओं में विषय के अनुसार शैलियों का प्रयोग किया है |
इनकी प्रमुख शैलियां वर्णनात्मक शैली चित्रात्मक शैली और भावात्मक शैली है |
प्रश्न 6- भारती जी की प्रमुख रचनाओं के नाम बताइए |
उत्तर- भारती जी की प्रमुख रचनाएं हैं हिमालय की पुकार. अनंत आकाश. अथाह सागर. विज्ञान की विभूतियां देश हमारा देश हमारा; चले चांद पर चले; सरदार भगत सिंह; बर्फ की गुड़िया; भारत का संविधान; दुनिया रंग बिरंगी आदि|
प्रश्न 7- भारती जी का निधन कब और कहां हुआ था ?
उत्तर- भारती जी का निधन 5 फरवरी सन 2005 में मेरठ में हुआ था |
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विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1- जयप्रकाश भारती का जीवन परिचय देते हुए उनके साहित्य जीवन पर प्रकाश डालिए.|
उत्तर- लेखन एवं पत्रकारिता दोनों ही क्षेत्रों में जयप्रकाश भारती ने बहुत नाम कमाया है इनके द्वारा संपादित पत्रिका ‘नंदन’ बालकों में वर्तंमान समय में भी अत्यधिक लोकप्रिय है बाल-साहित्य एवं साहित्यिक भाषा में वैज्ञानिक विषयों पर लेखन-कार्य करने में ये निपुण रहे हैं इन्होंने अपनी रचनाओं में अत्यधिक सरल एवं सरस भाषा का प्रयोग करके अत्यधिक गंभीर विषय को भी पाठकों के अनुरूप व रुचिप्रद बना दिया है जिस कारण ये अपनी रचनाओं के माध्यम से आज भी पाठकों के हृदय में ज़िंदा हैं |
जीवन परिचय – लोकप्रिय लेखक एवं संपादक जयप्रकाश भारती का जन्म २ जनवरी, सन् १९३६ ई़0 में उत्तर प्रदेश राज्य के मेरठ जनपद में हुआ था। इनके पिता श्री रघुनाथ सहाय मेरठ के एक प्रसिद्ध एडवोकेट थे | इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मेरठ से ही प्राप्त की थी |छात्र जीवन में ही इन्होंने अपने पिता को अनेक सामाजिक कार्य करते हुए देखा। जिस कारण इन पर अपने पिता का अत्यधिक प्रभाव पड़ा, परिणामस्वरूप भारती जी ने समाजसेवी संस्थाओं में प्रमुख रूप से भाग लेना प्रारंभ कर दिया। इसके साथ ही इन्होंने बी.एससी. की परीक्षा मेरठ शहर से ही उत्तीरण की इन्होंने अनेक सामाजिक कार्य जैसे- साक्षरता का प्रसार आदि में भी उल्लेखनीय योगदान दिया; तथा अनेक वर्षों तक मेरठ में ”नि:शुल्क प्रौढ़ रात्रि पाठशाला” का संचालन किया। हिंदी साहित्य की सेवा करते हुए 5 फरवरी, सन् 2005 में मेरठ शहर में इनका देहावसान हो गया। जयप्रकाश भारती जी को उनकी अधिकांश रचिनाओं के लिए यूनेस्को तथा भारत सरकार द्वारा सम्मानित किया गया ।
साहित्यिक परिचय — जयप्रकाश भारती जी ने साहित्य के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया है | संपादन के क्षेत्र में इन्हें “”संपादन-कला-विशारद”” की उपाधि से सम्मानित किया गया । इसके पश्चात् इन्होंने मेरठ से प्रकाशित ‘दैनिक- प्रभात’ तथा दिल्ली से प्रकाशित ‘नवभारत – टाइम्स’ में पत्रकारिता का व्यावहारिक प्रशिक्षण प्राप्त किया। पत्रकारिता का प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद ये कई वर्षों तक दिल्ली से प्रकाशित ‘साप्ताहिक- हिंदुस्तान’ के सह-संपादक के पद पर भी कार्य करते रहे | इसके पश्चात इन्होंने ३१ वर्षों तक सुप्रसिद्ध बाल-पत्रिका ‘‘नंदन’’ ( हिंदुस्तान टाइम्स समूह के द्वारा संचालित ) का भी संपादन कार्य किया। यहाँ से अवकाश प्राप्त करने के बाद भी अपनी नवीन रचनाओं के माध्यम से ये हिंदी साहित्य की सेवा में लगे रहे एक सफल पत्रकार तथा सशक्त लेखक के रूप में हिंदी साहित्य को समृद्ध करने की ललक से भारती जी का उल्लेखनीय योगदान रहा है| भारती जी ने लेख, कहानियाँ एवं रिपोतार्ज आदि अन्य रचनाओं के माध्यम से हिंदी साहित्य की बहुत सेवा की है | वैज्ञानिक विषयों को सरल, रोचक, उपयोगी और चित्रात्मक बनाकर इन्होंने हिंदी साहित्य को संपन्न कर दिया ।
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२. भारती जी की भाषागत विशेषताओं के साथ-साथ उनकी कृतियों का भी वर्णन कीजिए।
उत्तर – भाषा-शैली- भारती जी ने अपनी सभी रचनाओं में सरल एवं सरस भाषा का प्रयोग किया है इन्होंने अपने साहित्यिक जीवन का प्रारंभ पत्रकारिता से किया। अत्यंत सरल एव रुचियुक्त रूप में किसी भी लेख को प्रकाशित करना इनकी पत्रकारिता का मूलभूत उद्देश्य रहा है ये अपनी भाषा के माध्यम से अत्यधिक नीरस एवं गंभीर विषय में भी पाठक की रुचि उत्पन्न करने में सक्षम थे | इन्होंने अपनी रचनाओं में नैतिक, सामाजिक एवं वैज्ञानिक विषयों को मुख्य रूप से सम्मिलित किया । विज्ञान की जानकारी को बाल एवं किशोरों तक पहुचाने के लिए ये विषय को रोचक और नाटकीय बना देते थे इन्होंने विषय के अनुरूप तद्भव शब्दों, लोकोक्तियों एवं मुहावरों का प्रयोग भी किया है | इन्होंने अपनी रचनाओं में विषय के अनुरूप अनेक शैलियों का प्रयोग किया है इनके द्वारा प्रयोग की गई प्रमुख शैलियाँ निम्नलिखित हैं–
वर्णनात्मक शैली- इन्होंने किसी भी विषय का विस्तार में वर्णन करने के लिए वर्णनात्मक शैली का प्रयोग किया है इन्होंने अपनी रचनाओं में प्रमुखरूप से इसी शैली का प्रयोग किया है चित्रात्मक शैली— भारती जी ने किसी भी विषय का सजीव वर्णन करने के लिए चित्रात्मक शैली का प्रयोग किया है सरल शब्दों एवं वाक्य-रचनाओं के द्वारा द्रश्यों एवं घटनाओं का सजीव चित्रांकन इनकी शैली की ‘विशिष्टता’ है | भावात्मक शैली- जयप्रकाश भारती जी ने कई स्थानों पर अत्यधिक भाव प्रकट करने के लिए भावात्मक शैली का भी प्रयोग किया है |
कृतियाँ – भारती जी की प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं – हिमालय की पुकार, अनंत आकाश, अथाह सागर, विज्ञान की विभूतियाँ, देश हमारा-देश हमारा, सरदार भगत सिंह, हमारे गौरव के प्रतीक, उनका बचपन यूँ बीता, ऐसे थे हमारे बापू, लोकमान्य तिलक, बर्फ की गुडिया, अस्त्र-शस्त्र आदिम, चलें चाँद पर चलें, युग से अणु युग तक, भारत का संविधान, संयुक्त राष्ट्र संघ, दुनिया रंग-बिरंगी
(ग) अवतरणों पर आधारित प्रश्न
१. दुनिया के सभी …………………………………… कृत-संकल्प थे ||
संदर्भ- प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘हिंदी’ के ‘गद्यखंड’ के ‘जयप्रकाश भारती’ द्वारा रचित ‘पानी में चंदा और चाँद पर आदमी’ नामक वैज्ञानिक लेख से लिया गया है |
प्रसंग- प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने दुनिया के सभी व्यक्तियों की चंद्रयान द्वारा चांद पर मानव के पहुचने की कामना का वर्णन किया है ||
व्याख्या— लेखक भारती जी ने चंद्रमा पर मानव के पहुचने की कामना का वर्णन करते हुए कहा है कि उस समय जब मानव चंद्रमा पर पहुचने वाला था, तब संसार के सभी भागों में सभी स्त्री-पुरुष व बच्चे रेडियो से कान लगाए हुए इसका सीधा प्रसारण सुन रहे थे, जिन लोगों के पास टेलीविजन थे, उनकी आँखें टीवी पर टिकी थी यह घटना सारी मानवता के इतिहास की एक अनोखी घटना थी, जब प्रथम बार मानव चाँद पर कदम रखने वाला था और सभी लोग इस घटना के एक-एक क्षण के साक्षी बन रहे थे वे इतने उत्सुक थे कि वे स्वयं को ही भूल गए थे | युगों-युगों से किसी भी जाति व देश ने चंद्रमा पर पहुचने की कल्पना भी नहीं की थी, परंतु आज इस पृथ्वी के दो मनुष्य उन सपनों व कल्पनाओं को साकार रूप देने के लिए निश्चय कर चुके थे |
प्रश्नोत्तर
1-इस गद्यांश के पाठ का नाम और लेखक का नाम लिखिए ।
उत्तर- पाठ का नाम – पानी में चंदा और चाँद पर आदमी; लेखक का नाम – जयप्रकाश भारती
2- स्त्री-पुरुष और बच्चे किससे कान लगाए बैठे थे ?
उत्तर- स्त्री-पुरुष और बच्चे रेडियो से कान लगाए बैठे थे |
3- सभी लोग किस क्षण के भागीदार बन रहे थे ?
उत्तर- सभी लोग इस इतिहास की बेहद रोमांचक घटना मानव का चंद्रमा पर कदम के भागीदार बन रहे थे |
२. नील आर्मस्ट्रांग ………………………………………………………….. एकांत स्थान है
संदर्भ- पहले की तरह
प्रसंग- यहाँ पर लेखक ने चंद्रतल पर पहुचने के बाद नील आर्मस्ट्रांग और एडविन एल्ड्रिन की क्रियाकलापों का सुंदर वर्णन किया है |
व्याख्या- लेखक यहाँ पर कहते हैं कि चंद्रतल पर पहुचने के बाद नील आर्मस्ट्रांग ने वहाँ से पृथ्वी की ओर देखते हुए इसकी सुंदरता का वर्णन करते हुए इसे बहुत बड़ी, चमकीली और सुंदर वस्तु बताया । एडविन एल्ड्रिन ने भी भावविभोर होकर वर्णन किया कि यह द्रश्य बहुत सुंदर है, यहाँ सब कुछ सुंदर है उन्होंने कहा कि जिस स्थान पर वे चंद्रतल पर उतरे हैं, उससे कुछ दूरी पर ही उन्होंने बैंगनी रंग की चट्टान देखी है चंद्रमा पर पाई जाने वाली मिट्टी व चट्टानें सूर्य के प्रकाश के कारण चमक रही हैं चंद्रतल एक बहुत ही बड़ा एकांत स्थान है, जहाँ किसी प्रकार का शोरगुल नहीं है |
प्रश्नोत्तर – Up board class 10 hindi solution chapter 6 पानी में चंदा और चांद पर आदमी
1- इस गद्यांश के पाठ का नाम और लेखक का नाम लिखिए ।
उत्तर- पथ का नाम – पानी में चन्दा और चाँद पर आदमी; लेखकका नाम – जयप्रकाश भारती |
2- चाँद पर उतरने वाले दोनों मानवों के क्या नाम थे ?
उत्तर- चाँद पर उतरने वाले दोनों मानवों के नाम नील आर्मस्ट्रांग और एडविन एल्ड्रिन थे |
3- चंद्रतल पर नील आर्मस्ट्रांग ने पृथ्वी के बारे में क्या कहा ?
उत्तर – चंद्रतल पर नील आर्मस्ट्रांग ने पृथ्वी का वर्णन करते हुए इसे बहुत बड़ी, चमकीली और सुंदर (बिग, ब्राइट एंड
ब्यूटीफुल) बताया ।
4- चंद्रतल पर एल्ड्रिन ने भाव-विभोर होकर क्या कहा ?
उत्तर- चंद्रतल पर एल्ड्रिन ने भावविभोर होकर कहा– सुंदर द्रश्य है, सब कुछ बहुत सुंदर है |
3-. हमारे देश में ……………………………………………………. मानव पहुँच गया है |
संदर्भ – पहले की तरह |
प्रसंग- यहाँ पर लेखक भारती जी ने कहा है कि संसार की सभी जातियाँ चाँद को सुंदर व सलोना मानती हैं, परंतु वैज्ञानिकों ने उसे बदसूरत व जीवनविहीन नाम दे दिया है |
व्याख्या- चंद्रमा से संबंधित अंधविश्वास और कल्पनाएँ केवल हमारे देश में ही प्रचलित नहीं हैं, बल्कि संसार की प्रत्येक देश-जाति ने उससे संबंधित विभिन्न प्रकार की कहानियों की रचना की है | कवियों द्वारा उपमा देने के लिए वह सबसे ज्यादा उपयुक्त वस्तु रहा है | इसलिए प्रकृति के उपहारों में चंद्रमा ही एक अकेला ऐसा उपादान है, जिसका कविता में सवसे ज्यादा वर्णन किया गया है | यह वर्णन संसार की सभी भाषाओं में एकसमान रूप से मिलता है किसी कवि ने उसे रात्रि का अधिपति माना है तो किसी ने उसको निशादेवी के रूप में भी प्रतिस्थापित किया है प्रेमी के वियोग में दु:खी नायिका ने उसे दूत बनाकर अपने दु:ख को अपने प्रीयतम तक पहँुचाने का असफल प्रयास किया है | किसी को इसका पीलापन अच्छा न लगा तो उसने इससे असंतुष्ट होकर उसे एक पीले, बीमार व दुर्बल कायावाले बूढ़े के रूप में चित्रित कर दिया।
राम और कृष्ण जैसे श्रेष्ठ पुरुषों को भी अपने बाल्यकाल में इस चंद्रमा ने अपनी ओर आकषित किया तो उन्होंने इसको खिलौने के रूप में लेने की हठ कर ली | तब बेचारी कौशल्या और यशोदा क्या करतीं उनके सामने बालक राम अथवा कृष्ण को शांत करने का एक ही उपाय था कि चंद्रमा की छाया को पानी में दिखा दिया जाए। उस समय उन्हें यह ज्ञात नहीं था कि एक दिन वास्तव में किसी को चंद्रमा दिया जाना अर्थात उसके पास पहुँचना संभव हो सकेगा । राम और कृष्ण के समय से लेकर आज तक मानव ने इतनी प्रगति कर ली है कि उसने उस समय के असंभव को संभव करके दिखा दिया है | मानव-विकास की इस यात्रा को महादेवी बर्मा ने इस एक वाक्य में स्पष्ट कर दिया है कि प्राचीनकाल में जल में चंद्रमा की छाया बनाकर उसे पृथ्वी पर उतारा जाता था, जैसा कि माता कौशल्या और यशोदा ने किया; किन्तु आज स्वयं मानव चंद्रमा पर उतर रहा है अर्थात जिस चंद्रमा को प्राप्त करना कभी कल्पनालोक में भी संभव नहीं था, आज मनुष्य उस तक पहुँचकर उसे पददलित कर रहा है |
प्रश्नोत्तर – Up board class 10 hindi solution chapter 6 पानी में चंदा और चांद पर आदमी
1- इस गद्यांश के पाठ का नाम और लेखक का नाम लिखिए ।
उत्तर- पाठ का नाम – पानी में चंदा और चाँद पर आदमी लेखक का नाम – जयप्रकाश भारती
2- चंद्रमा के बारे में कवियों ने अपनी कविताओं में क्या-क्या लिखा है ?
उत्तर- चंद्रमा के बारे में कवियों ने अपनी कविताओं में वर्णन करते हुए इसे किसी कवि ने रात का पति माना है तो किसी ने उसको निशादेवी के रूप में परिभाषित किया है| किसी ने उसे प्रेम के वियोग में दु:खी प्रेमिका का दूत बनाकर भेजा है तो किसी ने इसके पीलेपन से असंतुष्ट होकर उसे एक पीले, बीमार व दुर्बल कायावाले बूढ़े के रूप में चित्रित कर दिया ।
3- मानव की प्रगति का चक्र कितना घूम गया है ?
उत्तर- मानव की प्रगति का चक्र इतना घूम गया है कि पहले चाँद की छवि को पानी में उतारा जाता था परंतु आज मनुष्य चाँद पर ही पहँुच गया है |
4- चंद्रयात्रा के बारे में महादेवी वरमा ने क्या कहा है ?
उत्तर- चंद्रयात्रा के बारे में महादेवी वरमा ने कहा– ‘‘पहले पानी में चंदा को उतारा जाता था और आज चाँद पर मानव पहूँच गया है ’’
४. दिसंबर, 1968 में ……………………………………………………………………………….. पृथ्वी पर लौट आए।
संदर्भ – पहले कीतरह
प्रसंग- प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने चंद्र अभियान से पहले वैज्ञानिकों द्वारा की गई तैयारियों व प्रक्षेपण का वर्णन किया है |
व्याख्या- लेखक कहते हैं कि दिसंबर 1968 में पहली बार अपोलो-8 में बैठकर तीनों अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा के समीप तक पहुँचे थे | बीच की इस अवधि में रूस और अमेरिका ने अनेक अंतरिक्ष यान छोड़े इनमें से कुछ यानों में मानव थे | तथा कुछ यान मानवरहित थे | इसे हम मानव की हिम्मत कहें या उद्दंडता कि उसने अंतरिक्ष में पहँुचकर अंतरिक्ष यानों से बाहर निकलकर असीम और अनंत अंतरिक्ष में घूमना फिरना शुरू कर दिया था। मानव ने अंतरिक्ष में परिक्रमा करते हुए दो यानों को जोड़कर तथा एक यान से दूसरे यान में यात्रियों के चले जाने वाले अनेक कार्य किए। अपोलो-११ की चंद्रविजय से पहले अपोलो-१० अंतरिक्ष यान द्वारा इस चंद्रविजय का पूर्व अभिनय किया गया। जिसे तीन अंतरिक्ष यात्री यान को लेकर चंद्रमा की कक्षा में पहूँचे | एक यात्री मूलयान को चंद्रमा की कक्षा में घुमाता रहा और अन्य दो यात्री इसे लेकर चंद्रमा से नौ मील की दूरी तक गए। इन्होंने ही अपोलो-११ में जाने वाले चंद्रयात्रियों के यान को उतारने की संभावित जगह का चयन किया और उसके अनेक चित्र खीचें फिर वे चंद्रमा की कक्षा में गए और मूलयान से यान को जोड़कर पृथ्वी पर कुशलतापूर्वक आ गए।
प्रश्नोत्तर-
1- इस गद्यांश के पाठ का नाम और लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर- पाठ का नाम – पानी में चंदा और चाँद पर आदमी; लेखक- जयप्रकाश भारती |
2- अपोलो-८ के तीनों यात्री चंद्रमा के पास कब पहूँचे ?
उत्तर- दिसंबर 1968 में अपोलो-8 के तीनों यात्री चंद्रमा के पास पहूँचे |
3- प्रस्तुत गद्यांश का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर – प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने चंद्रविजय से पहले वैज्ञानिकों द्वारा की जाने वाली तैयारियों व प्रयासों का वर्णन किया है कि दिसंबर 1968 में अपोलो-8 में तीन अंतरिक्ष यात्री सर्व प्रथम चंद्रमा के पास तक गए। रूस व अमेरिका ने इस बीच बहुत से समानव व मानव रहित यान अंतरिक्ष में भेजे मानव ने अपनी हिम्मत या उद्दंडता के कारण अंतरिक्ष में पहँुचकर वहाँ घूमना आरंभ किया और वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में बहुत से कठिन कार्य किए । अपोलो-१० अंतरिक्ष यान अपोलो-११ अंतरिक्ष यान का पूर्व अभिनय था। जिसमें अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा की कक्षा तक पहुंच गया और चंद्रमा से केवल नौ मील की दूरी तक गया । चंद्रयात्री मूलयान से अपने यान को जोड़कर सकुशल वापस पृथ्वी पर आ गए ।
4- रूस व अमेरिका देशों ने अंतरिक्ष यान कब छोड़े ?
उत्तर – दिसंबर 1968, और जुलाई 1969 के बीच रूस व अमेरिका ने अंतरिक्ष यान छोड़े |
Up board class 10 hindi solution chapter 5 : अजंता अजन्ता भगवत शरण उपाध्याय
5-. मानव को चंद्रतल ………………………………………………………………………… पर उतर सकता है
संदर्भ – पहले की तरह
प्रसंग- प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने मानव को चंद्रतल पर पहूँचाने वाले अंतरिक्ष यान के विषय में बताया है |
व्याख्या- यहाँ पर लेखक भारती जी ने मानव को चंद्रतल पर ले जाने वाले अंतरिक्ष यान अपोलो-११ के बारे में बताया है अपोलो यान को सैटरन-5 राकेट के द्वारा प्रक्षेपित किया जाता है जो विश्व का सबसे अधिक शक्तिशाली वाहन है अंतरिक्ष यान के तीन भाग होते हैं, जिन्हें माड्यूल भी कहा जाता है |
प्रथम भाग कमांड माड्यूल का निर्माण करते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि जब यान अंतरिक्ष से पृथ्वी पर लौटेगा तो वह यान पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते समय इसके तीव्रताप और दबाव को सहन कर सकेगा । इस माड्यूल में नियंत्रण कक्ष, शयनकक्ष, भोजनकक्ष और प्रयोगशाला भी होती है | यदि यान के प्रक्षेपण के समय कोई दुर्घटना हो जाती हैं तो यात्री अपनी रक्षा के लिए इसे शेष यान से अलग कर सकते हैं | पृथ्वी पर वापसी के लिए बने इस माड्यूल का वजन 5.5 टन था, जिसमें साढ़े पाँच घन मीटर खाली स्थान था जहाँ तीनों अंतरिक्ष यात्री अपने सभी सामान्य कार्य संपन्न कर सकें । कमांड माड्यूल के इस स्थान को हम एक सामान्य कार के समान मान सकते हैं | इस कमांड कैप्सूल को तैयार करते समय इसमें पाँच विद्युत बैटरियाँ लगाई जाती हैं; तथा इसमें १२ राकेट इंजन जुड़े रहते हैं; इस कमांड में तीन मनुष्यों के लिए चौदह दिन की भोजन सामग्री तथा पानी के भंडार की व्यवस्था रहती है | तथा यात्रियों के मल निष्कासन की व्यवस्था भी रहती है इस माड्यूल में यात्रियों के लिए पैराशूट की व्यवस्था भी रहती है | यह माड्यूल यात्रियों को कड़ी व कठोर जमीन पर बिना किसी नुकसान के उतार सकता है |
प्रश्न और उत्तर
1- इस गद्यांश के पाठ का नाम और लेखक का नाम लिखिए ।
उत्तर- पाठ का नाम –पानी में चंदा और चाँद पर आदमी;; लेखक का नाम – जयप्रकाश भारती
2- माड्यूल क्या होता है ?
उत्तर- अंतरिक्ष यान के भागों को माड्यूल कहा जाता है |
3- गद्यांश के अनुसार विश्व का सबसे शक्तिशाली वाहन कौन सा है ?
उत्तर – गद्यांश के अनुसार विश्व का सबसे शक्तिशाली वाहन सैटर्न-5 राकेट है |
4- कमांड माड्यूल का निर्माण किस प्रकार से किया जाता है ?
उत्तर- कमांड माड्यूल का निर्माणइस प्रकार से किया जाता है कि अंतरिक्ष यान वापसी के समय पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते समय तीव्र ताप और दबावों को सहन कर सके ।
5- पैराशूट का क्या कार्य है ?
उत्तर – पैराशूट का कार्य आपातकालीन स्थिति में अंतरिक्ष यात्रियों की रक्षा करना है |
Up board class 10 hindi solution chapter 5 : अजंता अजन्ता भगवत शरण उपाध्याय
(घ) वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1–. ‘अथाह सागर’ के लेखक हैं –
(अ) धर्मवीर भारती (ब) जयप्रकाश भारती
(स) जयशंकर प्रसाद (द) पदुम लाल पुन्ना लाल बख्शी
2- ‘नंदन’ पत्रिका के संपादक हैं –
(अ) बाबू गुलाबराय (ब) महादेवी वर्मा
(स) जयप्रकाश भारती (द) भगवतशरण उपाध्याय
3-. जयप्रकाश भारती का जन्म हुआ था
(अ) मेरठ में (ब) देहरादून में (स) आगरा में (द) मुगलसराय में
४. इनमें से जयप्रकाश भारती जी की रचना कौन सी है
(अ) ठूँठा आम (ब) ठेले पर हिमायल (स) बर्फ की गुडिया (द) ममता
(ङ) व्याकरण एवं रचनाबोध
१. निम्नलिखित शब्दों में प्रत्यय लगाकर नए शब्द बनाइए-
शब्द नया शब्द
मानव मानवता
विश्वास विश्वसनीय
सुंदर सुंदरता
प्रक्षेपण प्रक्षेपणीय
संपूर्ण संपूर्णता
सफल सफलता
२. निम्नलिखित शब्दों की संधि-विच्छेद कीजिए –
संधि शब्द संधि-विच्छेद
सर्वाधिक सर्व + अधिक
मरणोपरांत मरण + उपरांत
दुस्साहस दु: + साहस
पूर्वाभिनय पूर्वा + अभिनय
शयनागर शयन + आगार
प्राणोदक प्राण + उदक
Up board class 10 hindi solution chapter 5 : अजंता अजन्ता भगवत शरण उपाध्याय