Up board class 10 hindi solution chapter 5 : अजंता

Up board class 10 hindi solution chapter 5 : अजंता अजन्ता भगवत शरण उपाध्याय

Up board class 10 hindi solution chapter 5 : अजंता
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पाठ 5 अजन्ता भगवत शरण उपाध्याय


1- भगवतशरण उपाध्याय का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर – भगवतशरण उपाध्याय का जन्म सन् 1910 ई0 में उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के उजियारपुर ग्राम में हुआ था |
2- भगवतशरण ने एम.ए. कहाँ से किया?
उत्तर- भगवतशरण ने एम.ए. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से किया ।
3- भगवतशरण ने प्राध्यापक पद पर कार्य कहाँ किया था ?
उत्तर- भगवतशरण ने प्राध्यापक पद पर कार्य ‘बिड़ला महाविद्यालय’ पिलानी में किया।
4- भगवतशरण ने साहित्य पर व्याख्यान कहाँ-कहाँ दिए ?
उत्तर- भगवतशरण ने यूरोप, अमेरिका, चीन आदि देशों में साहित्य पर व्याख्यान दिए ।
5- भगवतशरण के आलोचनात्मक ग्रंथों के नाम बताइए ।
उत्तर- भगवतशरण के आलोचनात्मक ग्रंथ है विश्व-साहित्य की रूपरेखा, साहित्य और कला, इतिहास के पन्नों पर, विश्व को एशिया की देन, मंदिर और भवन आदि |

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6- उपाध्याय जी की भाषा शैली की विवेचना कीजिए ।
उत्तर- उपाध्याय जी ने अपनी रचनाओं में शुद्ध परिष्कृत और परिमार्जित साहित्यिकक भाषा का प्रयोग किया था। इन्होंने प्राचीन भाषाओं के साथ-साथ आधुनिक यूरोपीय भाषाओं का भी गहन अध्ययन किया था । इन्होंने अपनी रचनाओं में लोकोक्तियों, मुहावरों एवं तद्भव शब्दों का प्रयोग किया । उपाध्याय जी ने अपनी रचनाओं में विषय के अनुसार शैलियों का प्रयोग किया। जिनमें विवेचनात्मक, वर्णनात्मक, भावात्मक शैली प्रमुख थी |
7- उपाध्याय जी की ऐसी दो रचनाओं के नाम बताइए, जिनमें भावात्मक शैली का प्रयोग किया गया हो |
उत्तर – उपाध्याय जी की “मंदिर और भवन”, “ठूँठा आम” ऐसी दो रचनाएँ हैं जिनमें भावात्मक शैली का प्रयोग किया गया है |

  1. भगवतशरण जी की मृत्यु कब हुई थी ?
    उत्तर- भगवतशरण जी की मृत्यु सन् 1982 ई. में देहरादून में हुई थी |

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न – Up board class 10 hindi solution chapter 5 : अजंता


डॉ़ भगवतशरण उपाध्याय का जीवन परिचय देते हुए उनके साहित्यिक परिचय पर प्रकाश डालिए ।
उत्तर- डॉ. भगवतशरण उपाध्याय पुरातत्व कला के पंडित, भारतीय संस्कृति और इतिहास के सुप्रसिद्ध विद्वान एवं प्रचारक तथा लेखक थे | उपाध्याय जी को विभिन्न भाषाओं का ज्ञान था। संस्कृत और हिन्दी भाषा के साथ-साथ उपाध्याय जी का अंग्रेजी भाषा पर भी पूर्ण अधिकार था । इसी कारण हिन्दी और अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं में इन्होंने सौ से भी अधिक रचनाओं की रचना की है | अंग्रेजी में लिखी हुई इनकी पुस्तकें देशों में बड़ी रुचि के साथ पढ़ी जाती हैं |

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जीवन परिचय – भगवत शरण उपाध्याय अ जन्म 1910 ई० में बलिया जिले के उजियापुर नामक ग्राम में हुआ था |इन्होने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने ग्राम उजियारपुर में ही प्राप्त के थी | संस्कृत विषय में इनकी बचपन से ही अत्यधिक रुचि थी | प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद उपाध्याय जी काशी आ गए और यहीं पर काशी हिन्दू विश्वद्यालय में प्रवेश लेकर प्राचीन इतिहास विषय में एम.ए. की उपाधि प्राप्त की इसके पश्चात ये ‘बिड़ला महाविद्यालय’ पिलानी में प्राध्यापक पद पर कार्य करते रहे | उपाध्याय जी पुरातत्व विभाग, लखनऊ संग्रहालय तथा प्रयाग संग्रहालय में भी अध्यक्ष पद पर कार्यरत रहे | इसके उपरांत ये ‘प्राचीन इतिहास भाग” उज्जैन में अध्यक्ष व प्रोफेसर रहे | उपाध्याय जी ने अनेक बार यूरोप, अमेरिका, चीन आदि देशों की यात्राएँ की और वहाँ पर भारतीय संस्कृति और साहित्य पर महत्वपूर्ण भाषण दिए । इन्हें भारतीय संस्कृति से अत्यधिक प्रेम था | परन्तु ये रूढिवादिता एवं परंपरावादिता में बिश्वास नहीं रखते थे | उपाध्याय जी मॉरीशस में भी भारत के उच्चायुक्त पद पर कार्यरत रहे और वहाँ से अवकाश ग्रहण कर देहरादून आकर वहीं निवास करने लगे तथा देहरादून में ही अगस्त 1982 ई़ में इनकी मृत्यु हो गई |

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कृतियाँ- डॉ० भगवतशरण उपाध्याय जी ने मौलिक एवं स्वतंत्र विचारक के रूप में सम्मान प्राप्त किया तथा साहित्य, कला, संस्कृति आदि विभिन्न विषयों पर सौ से भी अधिक पुस्तकों की रचना की पुरातत्व, आलोचना, संस्मरण एवं रेखाचित्र तथा यात्रा साहित्य आदि विषयों पर उपाध्याय जी ने प्रचुर साहित्य की रचना की है विवेचना एवं तुलना करने की विलक्षण योग्यता के आधार पर इन्होंने भारतीय साहित्य, कला एवं संस्कृति की प्रमुख विशेषताओं को संपूर्ण संसार के सामने स्पष्ट कर दिया।

Up board class 10 hindi solution chapter 5 अजंता

इनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखीत हैं
1- आलोचनात्मक ग्रंथ– विश्व-साहित्य की रूपरेखा, साहित्य और कला, इतिहास के पन्नों पर, विश्व को एशिया की देन, मंदिर और भवन आदि
2- यात्रा-साहित्य– कलकत्ता से बीजिंग
3- अन्य ग्रंथ— ठूँठा आम, सागर की लहरों पर, कुछ फीचर, कुछ एकांकी, इतिहास साक्षी है, इंडिया इन कालिदास

2=. उपाध्याय जी की भाषागत विशेषताओं पर प्रकाश डालिए ।
उत्तर- भाषा और शैली– पुरातत्व एवं प्राचीन भाषाओं के साथ-साथ उपाध्याय जी ने आधुनिक यूरोपीय भाषाओं का भी गहन अध्ययन किया । इन्होंने अपनी रचनाओं में शुद्ध ,परिष्कृत और परिमार्जित साहित्यिकक भाषा का प्रयोग किया है इनकी रचनाओं में प्रत्येक स्थान पर भाषा में प्रवाह और के साथ-साथ गंभीर चिंतन और विवेचना की गहराई भी प्रमाणित होती है अपनी रचनाओं में कई स्थानों पर लोकोक्तियों, मुहावरों एवं तद्भव शब्दों का प्रयोग कर उन्होंने भाषा को सरस, सरल एवं व्यावहारिक रूप प्रदान किया है | उपाध्याय जी ने अपनी रचनाओं में विषय के अनुसार भिन्न-भिन्न शैलियों का प्रयोग किया है | ये एक सशक्त शैलीकार, शुद्ध आलोचक और पुरातत्व के आचार्य के रूप में विख्यात हैं इनकी रचनाओं में मुख्यत: निम्नलिखित शैलियों के दर्शन होते हैं
विवेचनात्मक शैली- उपाध्याय जी ने अपने ग्रंथों एवं निबंधों में विवेचनात्मक शैली का प्रयोग किया है ‘साहित्य और कला’,विश्व-स हित्य की रूपरेखा’ आदि ग्रंथों में विवेचनात्मक शैली का मुख्य रूप से प्रयोग किया गया है इस शैली में उपाध्याय जी की सूक्ष्म विवेचनात्मक प्रतिभा के दर्शन होते हैं |

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वर्णनात्मक शैली– उपाध्याय जी ने यात्राओं पर आधारित साहित्य का सजीव वर्णन करने के लिए वर्णनात्मक शैली का प्रयोग किया है भिन्न स्थलों एवं गतिमान दृश्यों के वर्णन में इस शैली की प्रधानता प्रकट होती है इनकी वर्णनात्मक शैली की उत्कृष्ट सजीवता का कारण इसका वर्णनात्मक होने के साथ-साथ भावात्मक होना भी है | अपने यात्रा-संस्मरणों का सजीव चित्रण इन्होंने इसी शैली के माध्यम से किया है

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भावात्मक शैली- उपाध्याय जी ने भारतीय संस्कृति को अपनी सभी रचनाओं में सर्वोच्च कोटि की संस्कृति के रूप में दरशाया है और इसके लिए उन्होंने भावात्मक शैली का प्रयोग किया है ‘मंदिर और भवन’, ठूँठा आम, ‘सागर की लहरों पर’ आदि रचनाओं में भावात्मक शैली को प्रधानता दी गई है |

(ग) अवतरणों पर आधारित प्रश्न
१. जिंदगी को मौत के ………………………………………………………. रासत बन गई है |
संदर्भ – प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘हिन्दी’ के ‘गद्यखंड’ के ‘भगवतशरण उपाध्याय’ द्वारा रचित ‘अजंता’ नामक पुरातत्व लेख से लिया गया है |


प्रसंग – लेखक उपाध्याय जी ने अजंता की गुफाओं के निर्माण का कारण बताते हुए कहा है कि मनुष्य अपने जीवन को भयमुक्त करके उसे अमर बना देने का प्रयास करता रहा है | जिससे वह अपनी भावी पीढियों को अपनी विशेषता की कहानी बता सकें ।


व्याख्या- अपने जीवन को मृत्यु के चंगुल से स्वतंत्र करके उसे अमर बना देने की कामना मनुष्य अनादिकाल से करता चला आ रहा है | वह केवल कामना ही करता नहीं रहा है, वरन् इसके लिए निरंतर अथक प्रयास भी करता रहा है | वह अपने शरीर को तो अमर न बना सका, किन्तु अपने जीवन के अस्मरणीय पलों को अमर बनाने में अवश्य सफल रहा है इसके लिए उसने पर्वत की गुफाओं को काटकर अपने जीवन के उन पलों को उनमें उकेरकर उन्हें सदैव के लिए अमर कर दिया । इसके अतिरिक्त भी मनुष्य ने अपनी विशेषताओं की कहानी से सदियों बाद आने वाली पीढियों का परिचय कराने के लिए अनेक उपाय सोचे और उनको मूर्त रूप भी प्रदान किया । Up board class 10 hindi solution chapter 5 : अजंता

इन्हीं उपायों के रूप में उसने बड़ी-बड़ी कठोर चट्टानों पर अपने संदेश खोद डाले , ताड़ों के समान ऊँचे और धातुओं के जैसे चिकने पत्थरों के खंभे उसने यहाँ वहाँ खड़े किए, ताँबे और पीतल के पत्तरों पर अत्यधिक सुंदर अक्षरों में अपने उपदेश और संदेश लिखकर उन्हें अनेक स्थानों पर स्थापित कर दिया । इस प्रकार इन उपायों के माध्यम से मानव के जीवन और मरण की कहानी अनादिकाल से आज सदियों के बाद भी उसी रूप में हमारे सामने प्रकट होती चली आ रही है मानव की यह कहानी और उसके उद्घाटन के ये सभी उपकरण अथवा साधन आज हमारी अमूल्य धरोहर बन गए हैं हमें इस पर गर्व भी है और अपने गौरव का अभिमान भी है|


प्रश्नोत्तर
1- उपर्युक्त गद्यांश के पाठ का नाम और लेखक का नाम लिखिए
उत्तर- पाठ का नाम – अजंता लेखक- भगवतशरण उपाध्याय
2- आदमी ने पहाड़ क्यों काटा है ?
उत्तर- आदमी ने जिन्दगी को मौत के पंजे से मुक्त कर उसे अमर बनाने के लिए पहाड़ काटा ।
3- आज हमारी विरासत कौन सी वस्तु बन गई है ?
उत्तर- सदियों पहले आदमी द्वारा चट्टानों पर खोदे गए संदेश, ताड़ों से ऊंचे और धातुओं से चिकने खड़े किए गए चिकने पत्थर के खंभे, ताँबे और पीतल के पत्रों पर अक्षरों के रूप में बिखेरे गए मोती आज हमारी विरासत बन गए हैं |
4- अजंता की गुफाओं के निर्माण का क्या उद्देश्य रहा है ?
उत्तर- मनुष्य की प्राचीन सभ्यता और संस्कृति को अक्षुण्ण बनाकर उसका ज्ञान सदियों बाद आने वाली पीढियों तक
पहुचाने के उद्देश्य से अजंता की गुफाओं का निर्माण किया गया । Up board class 10 hindi solution chapter 5 : अजंता


2- वाघ और सित्तनवसल …………………………………………………………………….. जंजीर को सनाथ करते हैं |
संदर्भ – पहले की तरह
प्रसंग- लेखक ने यहाँ पर वाघ और सित्तनवसल की गुफाओं का वर्णन करके उन्हें अजंता की गुफाओं के समकक्ष बताया है |

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व्याख्या- लेखक कहते हैं कि वाघ और सित्तनवसल की गुफाएँ भी अजंता की गुफाओं के समकक्ष की परंपरा की हैं, जिनमें कलाकारों ने प्रेम व दया के सभी रंग सभी रंग भर दिए हैं अजंता की गुफाओं को देखकर मानो ऐसा लगता है कि जैसे पत्थर को सजीव बनाने वाले कलाकारों ने यहां पर सौंदर्य के रस की वर्षा कर दी हो पत्थर को तलाशने वाले कलाकारों ने अपनी छेनी और हथौड़ी से पत्थर में प्राण फूंक दिए हैं, पत्थरों को सजीव सा बना दिया है | चित्रकारों ने अपनी तूलिका के रंगों से सारी पीड़ा और दया के भाव को साकार करने वाले चित्र अंकित कर दिए हैं | मानव की कला यहाँ सजीव सी हो उठी है | Up board class 10 hindi solution chapter 5 : अजंता

इस सजीव कला में प्रकृति ने भी अपना भरपूर सहयोग दिया है, जिससे अजंता के दृश्य बहुत ही मनोरम प्रतीत होते हैं | यहाँ ऐसा लगता है कि जैसे प्रकृति बेहद खुश होकर नृत्य कर रही हो बंबई और हैदराबाद के मध्य की श्रेणयाँ पूर्व से पश्चिम की ओर फ़ैली हुई हैं यहीं नीचे से पर्वतो की एक शृंखला उत्तर से दक्षिण की ओर भी फ़ैली हुई है, जो सह्याद्रि की पहाडियों के नाम से जानी जाती है सह्याद्रि की श्रृंखला में ही अजंता की गुफाएँ स्थित हैं इन्हीं गुफाओं में विश्व विख्यात अजंता के सुंदर मंदिर हैं | पर्वत की सूनी-सूनी श्रेणियों के मध्य अजंता की ये गुफाएँ इतनी सुंदर प्रतीत होती हैं, मानो यह पर्वत श्रखला इन गुफाओं में मंदिरों को पाकर सनाथ हो गई हैं | इन गुफाओं का यह सौभाग्य है कि यहाँ इतने सुंदर-2 मंदिर बने हैं, जो अपने सौंदर्य से सबका मन मोह लेते हैं |
प्रश्नोत्तर
1-इस गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर- पाठ- अजंता लेखक- भगवतशरण उपाध्याय
2- कौन-सी गुफाएँ अजंता की परंपरा में हैं, जिनकी दीवारों पर प्रेम और दया की दुनिया सिरज गई है ?


उत्तर- वाघ और सित्तनवसल की गुफाएँ अजंता की परंपरा में हैं, जिनकी दीवारों पर प्रेम और दया की दुनिया सिरज गई है |
3- अजंता की मूर्तिकला की विशेषता गद्यांश के आधार पर बताइए।
उत्तर- अजंता की मूर्तिकला अत्यंत जीवंत है | मूर्तिकारों ने उन मूर्तियों में एक एक रेखा को इस प्रकार से उकेरा है, उनमें इस प्रकार रंगों का प्रयोग किया गया है कि समस्त दु:ख, दरद और दया के भाव उनमे उजागर हो गए हैं | मूरतीयों के आकार और उभार भी अत्यधिक सुंदर हैं |
4- सह्याद्रि किसे कहते हैं ?
उत्तर- महाराष्ट्र प्रदेश में बंबई और हैदराबाद के मध्य में बिध्याचल की पूर्व से पश्चिम की ओर जाती हुई पर्वत श्रेणियों के नीचे से एक श्रृंखला उत्तर से दक्षिण की ओर जाती है | इस पर्व श्रृंखला को ही सह्याद्रि कहते हैं |
5- अजंता की गुफाएँ कहाँ स्थित है ?
उत्तर- अजंता की गुफाएँ बंबई और हैदराबाद के बीच स्थित सह्याद्रि पर्वत शृंखला में स्थित है |


3- पहले पहाड़ काटकर ……………………………………………………… पहाड़ पुलकित हो उठे |
संदर्भ- पहले की तरह
प्रसंग- उपाध्याय जी ने यहाँ पर अजंता की गुफाओं के निर्माण के बारे में बताया है कि कलाकारों ने उन्हें केसे मूर्त रूप दिया ।


व्याख्या- लेखक कहते हैं कि अजंता की गुफाओं के निर्माण के लिए पहले पहाड़ों को काटा गया फिर उन्हें खोखला किया गया, फिर उनमें इतने सुंदर भवनों का निर्माण किया गया कि उन भवनों के खंभों पर जो मूर्तियां बनाई गई थी, वह भी हँसती हुई सी प्रतीत होती हैं | भवनों के अंदर की सारी दीवारों और छतों को रगड़ रगड़कर अत्यधिक चिकना बना दिया गया । उसके बाद उस चिकनी सतह पर चित्रकारों के द्वारा अनेक चित्र बना दिए गए, जिनको देखकर ऐसा लगता है कि मानो चित्रों की एक नई दुनिया की ही रचना कर डी गयी हो | लेखक कहते हैं कि गुफा की भीतरी दीवारों व छतों पर चित्रकारों के द्वारा पलस्तर लगाकर भिन्न चित्रों को बाहरी रेखाओं के द्वारा प्रदर्शित किया गया और उसके बाद उनके शिष्यों ने उन चित्रों को रँगकर ऐसा बना दिया कि मानो वे सजीव लगने लगे इन सजीव चित्रों के द्वारा दीवारें आनंदमय हो गईं और पहाड़ सिहर उठे |Up board class 10 hindi solution chapter 5 : अजंता अजन्ता भगवत शरण उपाध्याय

प्रश्नोत्तर
1- इस गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए |
उत्तर-पाठ— अजंता लेखक— भगवतशरण उपाध्याय
2- पहाड़ के अंदर चित्र कैसे बनाए गए हैं ?
उत्तर- पहाड़ों को काटकर तथा खोखला करके उनमें भवन बनाकर उनकी दीवारों पर चित्र बनाए गए हैं |
3- सुंदर भवन का निर्माण किस प्रकार किया गया है?
उत्तर- पहाड़ों को काटकर तथा खोखला करके उनमें सुंदर भवनों का निर्माण किया गया है |
4- भवन की भीतर की दीवारों पर क्या किया गया ?
उत्तर- भवन की भीतर की दीवारों को रगड़ रगड़कर चिकना करके उन पर चित्रों की एक नई दुनिया बना दी गयी |


यह हाथ में कमल…………………………………………………………. बुद्ध को दे डालती है
संदर्भ- पहले की तरह
प्रसंग = इस गद्यांश में लेखक ने अजंता की गुफाओं में कलाकारों द्वारा चित्रित किए गए गौतम बुद्ध के जीवन से संबंधित चित्रों का वर्णन किया गया है |


व्याख्या – इस गद्यांश में लेखक कहता है कि बुद्ध जी हाथ में कमल लिए खड़े हैं ऐसा लग रहा है मानो उसके रूप सौंदर्य छलक कर चारों और बिखर रहा है और उनके उभरे हुए आकर्षक नेत्रों से चारों ओर प्रकाश फैल रहा है यशोधरा भी वैसे ही कमल नाल को लिए त्रिभंग अवस्था में खड़ी है यह चित्र अत्यंत सजीव प्रतीत होता है लेखक ने चित्रों की कलात्मकता का वर्णन करते हुए कहा है कि बुद्ध महाभिनिष्क्रमण पर जाते हुए दिखाई दे रहे हैं यशोधरा एवं राहुल निद्रा में निमग्न है |बुद्ध के महाभिनिष्क्रमण का चित्र इतना सजीव है कि मानो बुद्ध पत्नी एवं पुत्र को त्यागकर जाते समय अपने हृदय की भावनाओं पर नियंत्रण प्राप्त कर रहे हो | लेखक भगवान बुद्ध के गृह त्याग के पश्चात भिक्षा मांगने के एक चित्र का वर्णन करते हुए कहते हैं कि एक चित्र में गौतम बुद्ध के साथ उनका भाई नंद है जिसे उसकी पत्नी सुंदरी ने गौतम बुद्ध के पास भिक्षा के लिए वापस लौटा लाने भेजा था |

सुंदरी ने भिक्षा माँगने आये बुद्ध को बिना भिक्षा दिए द्वार से ही वापस लौटा दिया था लेकिन नंद बुद्ध को वापस तो नहीं लौटा पाता वरन उस के उपदेशों से प्रभावित होकर स्वयं भिक्षु बन जाता है यहां से भागने की कोशिश करता है परंतु बार-बार पकड़कर संघ में लौटा दिया जाता है | लेखक ने दुसरे दृश्य का वर्णन भी किया है जिसमें यशोधरा अपने पुत्र राहुल के साथ है जहाँ बुद्ध यशोधरा के पास आये हैं परंतु पति के रूप में नहीं भिक्षु के रूप में और का पात्र दरवाजे की देहरी पर रख देते हैं| तब यशोधरा की विचित्र स्थिति का वर्णन किया गया है कि उसका पति भिखारी के रूप में उसके पास आया है पर वह सोचती है कि उसे क्या दें उसके पास कुछ नहीं है उसके जीवन का सौंदर्य; उसके जीवन का बहुमूल्य रत्न सिद्धार्थ तो खो ही गया है संसार की सभी बहुमूल्य वस्तु तो उस संसार के कल्याणकर्ता के लिए मिट्टी के समान है पर अंत में अचानक वह अपने जीवन की एकमात्र आशा अपने लाल राहुल को बुद्ध को भिक्षा के रूप में दे देती है |


प्रश्न उत्तर –
1- उपयुक्त गद्यांश के पाठ का नाम और लेखक का नाम लिखिए
उत्तर- पाठ का नाम अजंता लेखक का नाम भगवतशरण उपाध्याय
2- अजंता की गुफा में बनाए गए बुद्ध और यशोधरा के चित्रों की स्थिति का वर्णन कीजिए |
उत्तर- बुध कमल को हाथ में लिए खड़े हैं तथा यशोधरा कमलनाथ धारण किए त्रिभंग अवस्था में खडी है |
प्रश्न3- महाभिनिष्क्रमण का क्या अर्थ है |
उत्तर= संसार से वैराग्य होने पर शांति की खोज जैसे महान उद्देश्य के लिए गौतम बुद्ध द्वारा अपनी पत्नी पुत्र परिवार और राज्य को त्याग कर निष्क्रमण कर जाने की क्रिया को महाभिनिष्क्रमण कहते हैं |
4- यशोधरा को कुछ देने में संकोच क्यों कर रही है |
उत्तर – इसलिए संकोच कर रही है क्योंकि उसको बुद्ध को देने के लिए कुछ भी नहीं है और संसार की बहुमूल्य वस्तुए तो बुद्ध के लिए मिट्टी के समान है तो उसे दे तो क्या दें |


5- गद्यांश का सारांश लिखिए |
उत्तर- प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने बुद्ध के विभिन्न दृश्यों का वर्णन किया है जो अजंता की गुफाओं की दीवारों पर अलंकृत किया गया है जिनमें बुद्ध को कमल और यशोधरा को कमल नाल पकड़े दिखाया गया है दूसरे दृश्य में बुध को अपने भाई के साथ दिखाया गया है जो बुद्ध को वापस लौटाने के लिए जाता है परंतु स्वयं भी वापस नहीं लौटता एक अन्य दृश्य में यशोधरा को राहुल के साथ दिखाया गया है जब बुद्ध यशोधरा के पास भिक्षुक बनकर भिक्षा लेने आते है तथा यशोधरा अपने पुत्र राहुल को भी भिक्षा के रूप में बुद्ध को प्रदान कर देती है |


और उधर वह बंदरों…………………………………………………बौद्धों में बड़ा मान है |
सन्दर्भ -पहले की तरह |
प्रसंग – यहां लेखक ने अजंता की गुफाओं पर चित्रकारों द्वारा चित्रित किए गए विभिन्न चित्रों का वर्णन किया है जिनमें बुद्ध के पीछे के जन्मों की कथाएं भी सम्मिलित हैं |


व्याख्या – अजंता की गुफाओं में उनकी दीवारों पर लयबद्ध चित्र बनाए गए हैं उनकी चित्रकारी में विविधता और गतिशीलता सर्वत्र दिखाई पड़ती है उसमें यदि एक और बंदरों के चित्र है तो लगता है कि ये चित्र नहीं है बल्कि जीवित बंदर वहां जाकर बैठ गए हा |उनमे स्वभाविकता और गतिशीलता इतनी है कि मानो वे अभी अभी उछल पड़ेंगे | उधर जलाशय में जल क्रीड़ा करता हाथी कमलनाथ से कमल को तोड़कर अपने आसपास की हथिनियों को दे रहा है यह चित्र भी इतना स्वभाविक और गतिमान है कि वह दृश्य आंखों के सामने साकार हो जाता है | वही एक चित्र में राज महल में राजा और मंत्री मदिरा सेवन रहे हैं तो उसी चित्र में दूसरी और रानी स मदिरा पान से क्षुब्द होकर आत्महत्या कर अपना जीवन समाप्त कर रही है |

बस उसके प्राण निकलने ही वाले हैं ऐसा देखकर लगता है इस प्रकार हमारे आम जीवन में खाना खिलाने कहीं बसने अथवा किसी को बसाने नाचने गाने आदि मनोरंजन कहने सुनने के साधारण से आपसी विवाद; बन नगर ऊंच-नीच के भेदभाव और धनी निर्धन के जीवन से संबंधित जितने दृश्य हो सकते हैं उन सभी का स्वभाविक तथा सजीव चित्रण अजंता के गुफा चित्रों में हुआ है | आज कोई भी व्यक्ति उन चित्रों को जाकर देख सकता है अजंता की गुफाओं में गौतम बुद्ध के वर्तमान जीवन की घटनाएं तो चित्रत तो है ही वहां उनके पूर्व के जन्मों की कथाएं भी चित्रित हैं पिछले जन्मों की इन कथाओं को जातक के नाम से पुकारा जाता है जिनकी संख्या 555 हैं और इनका संग्रह भी जातक के नाम से प्रसिद्ध है जिसे बौद्ध धर्म के अनुयाई सम्मान की दृष्टि से देखते हैं |


प्रश्न उत्तर
1- उपर्युक्त गद्यांश के पाठ का नाम और लेखक का नाम लिखिए|
उत्तर- पाठ का नाम अजंता लेखक का नाम भगवतशरण उपाध्याय
2- किस के चित्र को सजीव और गतिमान बताया गया है
उत्तर- बंदरों के चित्र को सजीव और गतिमान बताया गया है |
3- महलों में प्यालों के दौर चल रहे हैं उधर वह रानी अपनी जीवन यात्रा समाप्त कर रही है कथन का आशय बताइए|
उत्तर- इस कथन का तात्पर्य है कि अजन्त की दीवारों पर अलंकृत दृश्यों में एक और राजा और मंत्री गण मदिरापान कर रहे हैं तथा दूसरी और मदीरा पान से दुखी रानी आत्महत्या करके अपनी जीवन लीला समाप्त कर रही है |
4-जातक कथा किसे कहते हैं इसकी संख्या भी बताइए |
उत्तर- गौतम बुद्ध के जन्मों की कथाओं को जातक कथा कहते हैं इनकी संख्या 555 हैं |

इन पिछले जन्मों में………………………………………. संभालने लग जाते हैं
सन्दर्भ- पहले की तरह
प्रसंग – इस गद्यांश में लेखक ने बुद्ध के पिछले जन्मों की योनियों का वर्णन किया है और पशुओं के व्यवहार के बारे में बताया है |


व्याख्या यहाँ पर लेखक यह कहते हैं कि बुद्ध के अनेक योनियों में जन्म लेने की कथा जातक नामक ग्रंथ में वर्णित की गई है इन जन्मों में बुद्ध ने हाथी बंदर हिरण आदि पशुओं के रूप में विभिन्न योनियों में पृथ्वी पर जन्म लिया और संसार के कल्याण हेतु दया और त्याग का उदाहरण प्रस्तुत किया | जिसमें वे स्वयं बलिदान हो गए | उस समय विद्यमान अन्य जानवरों ने भी ऐसा व्यवहार किया था जो मनुष्य के लिए उचित हो | उन सभी ने जिस प्रकार औचित्य अथवा उपयुक्तता का निर्वाहन किया था यह सब कुछ अजंता के चित्रों में भली-भांति चित्रित किया गया है | इन दृश्यों के चित्रांकन के समय कलाकारों ने अपने ज्ञान को विस्तार से प्रकट कर दिया है जिसके कारण गांव और नगरों महल और झोपड़ियों समुद्रों और पनघटों का एक संसार ही अजंता के पहाड़ों में जंगलों में बस गया है यहां की चित्रकारी इतनी अद्भुत सुंदरता के साथ बनाई गई है कि देखते ही बनता है | हाथियों के समूह के रूप में घोड़े आदि दूसरे जानवर भी ऐसे लगते हैं जैसे किसी जादूगर द्वारा अपना काम समझाने के बाद भी सभी पशु अपने कार्य का निर्वहन कर रहे हैं |


प्रश्न उत्तर
1-उपर्युक्त गद्यांश के पाठ का नाम और लेखक का नाम लिखिए
उत्तर – पाठ का नाम- अजंता लेखक का नाम – भगवतशरण उपाध्याय
2- पिछले जन्म में बुद्ध ने किस किस के रूप में जन्म लिया था ?
उत्तर – पिछले जन्म में बुद्ध ने हाथी बंदर हिरण आदि पशुओं के रूप में जन्म लिया था |
3- चित्रकारों ने अपनी जानकारी की गांठ किस प्रकार खोल दी है|
उत्तर- चित्रकारों ने द्रश्यों को असाधारण खूबी से दर्शाने के लिए अपनी जानकारी खोल दी है
4= अजंता के पहाड़ी जंगल में किन-किन का संसार उतर पड़ा है
उत्तर- अजंता की पहाड़ी जंगल में नगरों और गांवों महलों और झोपड़ियों समुद्रों और पनघटो का संसार उतर पड़ा है |

Up board class 10 hindi solution chapter 4: ईर्ष्या तू न गई मेरे मन से


वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1- निम्न में से भगवतशरण उपाध्याय की रचना कौन सी है
अ- उर्वशी ब- सागर की लहरों पर स-कामायनी द-सरोज स्मृति
2-भगवतशरण की शिक्षा कहां तक हुई
अ-इंटरमीडिएट ब- b.a. स- m.a. द- B.Ed
3-अजंता पाठ किससे संबंधित लेख है
अ-पुरातत्व संबंधी ब- ऐतिहासिक स-प्रागैतिहासिक द-राजनीतिक

1-निम्नलिखित शब्दों के तद्भव रूप लिखिए
प्राचीन पुराना
अभिराम खूबसूरत
प्रेम प्यार
कलावंत कलाबाज
गुहा गुफा
अर्धचंद्राकार आधे चाँद बाला
बिहँस खुश
निर्वाण छुटकारा
अद्वितीय अनोखा

2-निम्नलिखित शब्दों से प्रत्यय अलग कीजिए|
अमानत त प्रत्यय
अभिराम राम प्रत्यय
विरासत त प्रत्यय
पहाड़ी ई प्रत्यय
इंसानियत इयत प्रत्यय
बिलासी ई प्रत्यय
बलिदान दान प्रत्यय


3 -निम्नलिखित शब्दों में उपसर्ग बताइए
विदेश वि उपसर्ग
अभिराम अभि उपसर्ग
अद्वितीय अ उपसर्ग
सनाथ स उपसर्ग
विहँस वि उपसर्ग
बेरहमी बे उपसर्ग


4-निम्नलिखित सामासिक शब्दों में विग्रह करते हुए समास का नाम बताइए
जीवन मरण ——जीवन और मरण द्वंद्व समास
कमल नाल ——–कमल की नाल संबंध तत्पुरुष समास
भिक्षापात्र ——— भिक्षा का पात्र संबंध तत्पुरुष समास
जगत्राता ——–जग को तारने वाला बहुव्रीहि समास
जीवन यात्रा ———जीवन की यात्रा संबंध तत्पुरुष समास
नर नारी ———–नर और नारी द्वंद्व समास

Up board class 10 hindi solution chapter 5 : अजंता

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