Up Board Class 10 hindi solution chapter 2 ममता गद्य खंड

Up Board Class 10 hindi solution chapter 2 ममता गद्य खंड जयशंकर प्रसाद

पाठ 2 ममता जयशंकर प्रसाद


[क] ल घु उत्तरीय प्रश्न

जयशंकर प्रसाद का जन्म कब और कहां हुआ था ?
उत्तर- जयशंकर प्रसाद का जन्म 1889 ईसवी में काशी के सराय गोवर्धन में हुआ था |

जयशंकर प्रसाद किस परिवार से थे ?
उत्तर- जयशंकर प्रसाद काशी के सराय गोवर्धन में सुंघनी साहू नामक प्रसिद्ध वैश्य परिवार से थे |

जयशंकर प्रसाद के पिता का नाम बताइए |
उत्तर- जयशंकर प्रसाद के पिता का नाम देवी प्रसाद था |

जयशंकर प्रसाद का पालन पोषण किसने किया ?
उत्तर – जयशंकर प्रसाद का पालन पोषण उनके बड़े भाई संभूरत्न जी ने किया था |

जयशंकर प्रसाद किस प्रकार की पुस्तकों में रुचि रखते थे ?
उत्तर – जयशंकर प्रसाद साहित्य की पुस्तकों में रुचि रखते थे |

जयशंकर प्रसाद किस प्रकार की शैली का प्रयोग करते थे ?
उत्तर – जयशंकर प्रसाद चित्रात्मक भावात्मक विचारात्मक अनुसंधानात्मक शैली का प्रयोग करते थे |

जयशंकर प्रसाद की कुछ रचनाओं के नाम बताइए |
उत्तर- कानन कुसुम, आंसू, कामायनी, अजातशत्रु, चंद्रगुप्त, आकाशदीप, इंद्रजाल, कंकाल, तितली, इरावती, इरावती आदि इनकी प्रमुख रचनाएं हैं |

सुमित्रानंदन पंत जयशंकर प्रसाद की कौन सी रचना को हिंदी में ताजमहल के समान मानते थे ?
उत्तर- सुमित्रानंदन पंत जयशंकर प्रसाद की रचना कामायनी को हिंदी में ताजमहल के समान मानते थे |

जयशंकर प्रसाद की मृत्यु कब हुई |
उत्तर – जय शंकर प्रसाद की मृत्यु सन 1937 ईस्वी में हुई |

जय शंकर प्रसाद ने अपनी संपत्ति क्यों बेचीं ?
उत्तर – जयशंकर प्रसाद के पिता के समय से ही इन पर भारी ऋण का बोझ था इस बोझ को उतारने के लिए इन्होने अपनी संपत्ति बेच दी |

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[विस्तृत उत्तरीय प्रश्न]

1- जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय देते हुए उनके साहित्यिक परिचय पर प्रकाश डालिए |
उत्तर – जयशंकर प्रसाद जी का जन्म सन 1889 ईस्वी में काशी के सराय गोवर्धन में सुंघनी साहू नामक प्रसिद्ध वैश्य परिवार में हुआ था | इनके पिता का नाम देवीप्रसाद था तथा इनके बाबा का नाम शिवरतन साहू था | जो शिव जी के भक्त थे और बहुत दयालु प्रवृत्ति के व्यक्ति थे | इनके पिता बाबू देवी प्रसाद जी कलाकारों का बहुत आदर करते थे तथा इनका काशी में बड़ा सम्मान था काशी की जनता काशी नरेश के बाद हर हर महादेव से बाबू देवी प्रसाद का स्वागत करती थी | प्रसाद जी का बचपन बड़े सुख के साथ व्यतीत हुआ उन्होंने बाल्यावस्था में ही अपनी माता के साथ अनेक तीर्थ क्षेत्रों की तीर्थ यात्राये की | यात्रा से लौटने के बाद इनके पिता जी का स्वर्गवास हो गया किशोरावस्था से पहले ही इनकी माता और बड़े भाई का देहावसान हो गया | इन सबके बाद इनका जीवन अत्यंत संघर्षमय हो गया | इनकी प्रारंभिक शिक्षा काशी के क्वींस कॉलेज में हुई थी किंतु कॉलेज में पढ़ाई में मन ना लगने के कारण इनके भाई संभू रतन जी ने इनकी शिक्षा का प्रबंध घर पर ही करा दिया और घर पर ही इन्होंने संस्कृत हिंदी उर्दू तथा फारसी आदि भाषाओं का अध्ययन किया | माता और पिता की मौत के बाद इनके भाई ने ही इनका पालन पोषण किया | दीनबंधु ब्रह्मचारी इनके संस्कृत के अध्यापक थे | प्रसाद जी को प्रारंभ से ही साहित्य से बड़ा लगाव था | ये अक्सर साहित्य की पुस्तकें पढ़ा करते थे और जब समय मिलता, तो कविता भी लिखते थे | कहा जाता है कि उन्होंने 9 वर्ष की उम्र में कलाधर नाम से बृज भाषा में एक सवैया लिखा था | इन्होंने वेद इतिहास पुराण कथा साहित्य शास्त्र का अध्ययन किया था | कुछ समय तक नागरी प्रचारिणी सभा के उपाध्यक्ष भी रहे इनके पिता के समय से ही इन पर भारी ऋण का बोझ था उस ऋण को उतारने के लिए अपनी सारी पैतृक संपत्ति बेच दी | इनकी रचना कामायनी पर भारत सरकार द्वारा मंगला प्रसाद पारितोषिक प्रदान किया गया जो किसी भी लेखक या कवि के लिए गौरव की बात होती है | हालांकि वे नियमित व्यायाम करने वाले सात्विक खानपान और गंभीर प्रकृति के व्यक्ति थे, किंतु किशोरावस्था से ही अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करने के कारण ये क्षय रोग से ग्रसित हो गये और 48 वर्ष की उम्र में सन 1987 में इन की जीवन लीला समाप्त हो गई |


साहित्यिक परिचय – प्रसाद जी में साहित्य की प्रतिभा बाल्यकाल से ही थी | मात्र 48 वर्ष की उम्र में उन्होंने जो कुछ भी लिखा है वह हिंदी साहित्य को एक अनमोल देन है | प्रसाद जी के जीवन काल में ऐसे साहित्यकार काशी में विद्यमान थे जिन्होंने अपनी रचनाओं द्वारा हिंदी साहित्य को बहुत ऊंचाई तक पहुंचाया है | कविता कहानी उपन्यास नाटक निबंध साहित्य प्राय: सभी विधाओं में प्रसाद जी ने रचनाएं लिखी हैं तथा खड़ी बोली को और अधिक मजबूत किया है | नाटक क्षेत्र में इनके अभूतपूर्व योगदान के कारण नाटक विधा में इनके समय को प्रसाद योग से जाना गया |


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प्रश्न – जयशंकर प्रसाद की भाषागत विशेषताओं पर प्रकाश डालिए |
उत्तर- जयशंकर प्रसाद जी के अनेक विषयों में जिस प्रकार रचनाएं लिखी हैं उसी प्रकार भाषा के भी अनेक रूप उन्होंने ग्रहण किए हैं | भाषा का स्वरूप उनके विषय के अनुसार बदलता रहा है | प्रसाद जी ने काव्य की रचना ब्रजभाषा से शुरू की और धीरे-धीरे खड़ी बोली को अपनाते गये | बाद में खड़ी बोली के श्रेष्ठ कवि के रूप में उनकी गिनती की जाने लगी और एक तरह से युग प्रवर्तक कवि के रूप में विख्यात हुए | इसी कारण इन्हें छायावादी काव्यधारा का जनक कहा गया | काव्य के क्षेत्र में प्रसाद जी की कीर्ति का मूल आधार कामायनी रचना है खड़ी बोली का यह महाकाव्य मनु और श्रद्धा को आधार बनाकर रचित मानवता को विजयी बनाने का संदेश देता है | इनकी यह रचना छायावाद और खड़ी बोली का अद्वितीय उदाहरण है | सुमित्रानंदन पंत इसे हिंदी में ताजमहल के समान मानते हैं | भाषा की व् भावभ्यक्ति की दृष्टि से इनकी तुलना खड़ी बोली के किसी भी महाकाव्य से नही की जा सकती | प्रसाद जी ने अपनी गद्य रचनाओं में संस्कृत भाषा का खूब प्रयोग किया है जो कि सांस्कृतिक और व्यापक है |इन्होने विषय के अनुसार ही अपनी रचनाओं को अलग-अलग शैलियों में का प्रयोग किया है | जैसे विचारात्मक शैली अनुसंधानात्मक शैली चित्रात्मक शैली और भावात्मक शैली प्रमुख हैं |


अवतरण पर आधारित प्रश्न
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रोहतास दुर्ग के………………………………………………………. कहां अंत था |
संदर्भ – प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक हिंदी के गद्य खंड के जयशंकर प्रसाद द्वारा लिखित ममता नामक कहानी से लिया गया है |
प्रसंग – इस अवतरण में जयशंकर प्रसाद द्वारा ने विधवा के दुखों के कारण भारतीय समाज में महिला की क्या स्थिति होती है इसका वर्णन किया है |


व्याख्या – ममता रोहतास दुर्ग पति के मंत्री चूड़ामणि की इकलौती बेटी है दुर्भाग्य से बाल्यकाल में ही वह विधवा हो गई थी | अपने दुर्ग में बैठी हुई वह सोन नदी के प्रवाह को देख रही थी जिस प्रकार सोन नदी उफन कर बह रही है उसी प्रकार ममता का योबन भी पूरी तरह से उफान पर है | उसके योवन में और सोन नदी के उफनते हुए प्रवाह में बहुत समानता है | ममता हर प्रकार के भौतिक सुख से संपन्न है, फिर भी विधवा का जीवन एक अभिशाप की तरह उसके जीवन में तरह-तरह के विचारों और भावों की आंधी से भरा हुआ है | उसकी आंखों से दुख के आंसू बह रहे हैं विलासिता का सुख भी उसको कांटों के समान प्रतीत हो रहा है, जिस प्रकार कांटों की शैया पर सोने वाला व्यक्ति हर पल बेचैन रहता है, उसी प्रकार सभी प्रकार की भौतिक सुखों के रहते हुए भी ममता का जीवन कष्टदायक हो रहा है | ममता के पिता ने उसके लिए प्रत्येक प्रकार के सुख साधन जुटा दिए हैं | उसे किसी भी वस्तु का अभाव नहीं है लेकिन फिर भी धन और संपत्ति को प्राप्त करके भी ममता के मन में संतोष नहीं है | इसका कारण केवल एक ही है कि वह बाल विधवा है | हिंदू समाज में विधवा को सबसे कमजोर माना जाता है उसका अपमान होता है उसका तिरस्कार होता है | विधवा का जीवन खुद विधवा के लिए भारी बन जाता है, अभिशाप बन जाता है | ऐसी स्थिति में भौतिक साधन उसे मानसिक शांति प्रदान नहीं कर सकते | ममता भी ऐसी ही नारी है जो सब प्रकार के साधन होते हुए भी असहाय हैं वह विधवा होकर विधवा के जीवन का निर्वाह कर रही है, और यह एक ऐसा दोष है जिससे छुटकारा भी नहीं पाया जा सकता |


[प्रश्न और उत्तर ]
(1) उपर्युक्त गद्यांश के पाठ का नाम और लेखक का नाम लिखिए |
उत्तर- पाठ का नाम ममता लेखक का नाम जयशंकर प्रसाद
(2) चूड़ामण की कितनी पुत्रियां थी |
उत्तर – चूड़ामणि की केवल एक पुत्री थी जिसका नाम ममता था |
(3) ममता कहां बैठी थी |
उत्तर – ममता रोहतास दुर्ग के महल में बैठी थी |
(4) हिंदू विधवा संसार में सबसे तुच्छ प्राणी है से लेखक का क्या आशय है |
उत्तर– इस पंक्ति में लेखक का आशय है कि भारतीय समाज में विधवा स्त्री को सबसे कमजोर समझा जाता है उसकी स्थिति बहुत दयनीय होती है उसके साथ मानवता के विपरीत व्यवहार किया जाता है |

इस पतनोन्मुख ……………… …………… …………… ……… अंधा बना रही है
सन्दर्भ– पहले की तरह |
प्रसंग – यहां लेखक ने पिता पुत्री के बीच के संवाद को प्रदर्शित किया है |


व्याख्या – इस गद्यांश में चूड़ामणि ममता को सामंत वंश के अंत होने पर जोकि समीप ही है के बाद की स्थिति से अवगत कराते हैं | क्योंकि शेर शाह सूरी कभी भी रोहतास दुर्ग पर अपना अधिकार कर सकता है तब चूड़ामणि का मंत्री पद नहीं रहेगा तब के लिए उसे धन की आवश्यकता पड़ेगी | इस पर ममता अपने पिता को दुत्कारते हुए कहती है कि हे भगवान आने वाले समय के लिए इतना घृणित कार्य करना सही नहीं है ममता आगे कहती है पिताजी हमें परम पिता की इच्छा के विरुद्ध कोई भी काम नहीं करना चाहिए | रिश्वत लेना पाप है वह कहती हैं पिताजी ऐसे अनैतिक कार्य से भीख मांगना अच्छा है | इस पृथ्वी पर ब्राह्मण को दो मुट्ठी अन्न देने वाले हिंदू जीवित नहीं बचेंगे क्या ऐसा होना असंभव है पिताजी इस रिश्वत के धन को वापस लौटा दीजिए, इसकी चमक मुझे अंधा बना रही हैं अर्थात आप जो पाप कर रहे हैं मुझे स्वीकार नहीं है |


[प्रश्न और उत्तर]
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(1) उपर्युक्त गद्यांश के पाठ का नाम और लेखक का नाम लिखिए |
उत्तर- पाठ का नाम ममता लेखक का नाम जयशंकर प्रसाद
(2 )गद्यांश के अनुसार है किस वंश का अंत समीप है |
उत्तर- गद्यांश के अनुसार सामंत वंश का अंत समीप है |
(3) गद्यांश के अनुसार रोहितास के दुर्ग पर कौन अधिकार कर सकता है |
उत्तर- गद्यांश के अनुसार शेरशाह सूरी रोहितास के दुर्ग पर अधिकार कर सकता है |
(4) अपने पिता का कौन सा कार्य ममता को परम पिता की इच्छा के विरुद्ध लगा |
उत्तर- चूड़ामणि ने ममता के लिए दस थाल सोना भरकर उपहार में भेजा | उनका यह कार्य ममता को परमपिता परमात्मा की इच्छा के विरुद्ध लगा | ममता का मानना है कि वह विधवा हुई है तो इसमें भी ईश्वर की इच्छा है यदि ईश्वर की इच्छा उसे दीन हीं रखने की है तो हमें ऐसा कोई प्रयास नहीं करना चाहिए जो ईश्वर की इच्छा के विरुद्ध हो |
(5) प्रस्तुत गद्यांश के अनुसार ममता की मनोवृति स्पष्ट कीजिए |
उत्तर- इस गद्यांश में ममता की भाग्यवादी ईश्वरवादी मनोवृति की झलक देखने को मिलती है |


काशी के उत्तर ……………… …………… ……………… ………………पर्युपासते
सन्दर्भ- पहले की तरह |
प्रसंग- यहां लेखक ने काशी के उत्तर में स्थित सारनाथ नामक स्थान पर स्थित स्तूप के खंडहरों व उनकी वास्तुकला का वर्णन किया है |


व्याख्या- काशी के उत्तर में भगवान गौतम बुद्ध ने सारनाथ नामक स्थान पर अपने धर्म चक्र की स्थापना की थी | इसी स्थान पर गुप्त वंश के सम्राटों ने और मौर्य वंश के सम्राटों ने अपने राज्य के प्रचार और प्रसार के लिए अनेक बिहार बनवाएं, अनेक स्तूप बनवाए | जो शिल्प कला की दृष्टि से अद्वितीय थे | इन बौद्ध विहारों की टूटी फूटी चोटियां और कंगूरे और उनके चारों ओर की खींची गई दीवारें, जो वर्तमान में पत्तों और झाड़ियों के समूह से ढक चुकी हैं, वर्तमान में खंडहर हो गई हैं | यह खंडहर के रूप में मौर्यकालीन और गुप्त कालीन संस्कृति और शिल्प कला की झलक दिखला रही हैं | धर्म चक्र बिहार के इन खंडहरों को देखकर ऐसा लग रहा है मानो इन खंडहरों की ईंटों के ढेर में बिखरी हुई भारतीय शिल्प कला की आत्मा ग्रीष्म ऋतु की चांदनी में अपने आपको शीतलता प्रदान कर रही है | जिस जगह पर पंच वर्गीय बौद्ध भिक्षु गौतम बुद्ध का उपदेश ग्रहण करने के लिए पहली बार सारनाथ में मिले थे , टूटे हुए स्तूप के अवशेषों की छाया में स्थित एक झोपड़ी में एक स्त्री दीपक के प्रकाश में अर्थात दीपक जलाकर श्रीमद्भागवत गीता का पाठ कर रही थी जो शायद ममता थी श्रीमद्भागवत गीता की पक्ति– जो भक्त अनन्य भावों से मेरा चिंतन करते हैं उनकी समस्याओं और अभाव की पूर्ति में स्वयं करता हूं |


[प्रश्न और उत्तर]
(1) उपर्युक्त गद्यांश के पाठ का नाम और लेखक का नाम लिखिए |
उत्तर- पाठ का नाम ममता लेखक का नाम जयशंकर प्रसाद |
(2) पंच वर्गीय भिक्षुक गौतम बुद्ध का उपदेश ग्रहण करने के लिए कहां मिले थे |
उत्तर- पंच वर्गीय भिक्षुक गौतम बुद्ध का उपदेश ग्रहण करने के लिए सारनाथ में मिले थे ||
(3) गद्यांश में किस खंडहर की चर्चा की गई है |
उत्तर- गद्यांश में गुप्त सम्राट और मौर्य सम्राट द्वारा निर्मित बौद्ध विहारों के खंडहरों का वर्णन किया गया है |
(4) स्त्री कहां पाठ कर रही थी |
उत्तर- स्त्री बौद्ध विहारों के खंडहरों में दीपक की ज्वाला में श्रीमद्भागवत गीता का पाठ कर रही थी |
(5) स्त्री क्या पाठ कर रही थी और उसका अर्थ क्या है
उत्तर- स्त्री श्रीमद्भागवत गीता का पाठ रही थी उसका अर्थ है जो भक्त अनन्य भावों से मेरा चिंतन करते हैं मैं उनकी समस्याओं और अभाव की पूर्ति स्वयं करता हूं |


चौसा के ………………… …………………… …………….. पर दिखाई पड़ा |
सन्दर्भ– पहले की तरह |
प्रसंग – यहां लेखक ने ममता के अंतिम समय का और ममता के मानवीय गुणों का वर्णन किया है जिसके कारण प्रत्येक व्यक्ति उसके प्रति आदर और प्रेम की भावना रखता था ||


व्याख्या – मुगलों और पठानों के बीच हुए चौसा के युद्ध को बहुत समय बीत चुका है जिसमें मुगल सम्राट हुमायूं ने शेरशाह से अपने प्राणों की रक्षा करने के लिए ममता की झोपड़ी का सहारा लिया था | जब यह घटना हुई थी तब ममता युवा थी, आज वह 70 वर्ष की बुढ़िया है |बुढ़ापा आ चुका है बुढ़ापे ने उसके शरीर को जर्जर बना दिया है इसी अवस्था में वह एक दिन अपनी झोपड़ी में पड़ी थी | ममता का शरीर अब कंकाल मात्र रह गया था | उसका शरीर खांसी से हिल उठता था वह इतनी कमजोर थी कि अपने आप चल फिर नहीं सकती थी | एक तरह से मानो मृत्यु के समीप थी उसकी सेवा करने के लिए गांव की दो तीन स्त्रियां उसके चारों ओर बैठी थी | हालांकि कोई उसका अपना नहीं था | किंतु उसने जीवन भर लोगों की समस्याओं और दुखों का निवारण किया है लोगों के सुख-दुख में उनका साथ दिया है इसलिए अंतिम समय में गांव की औरतें उसकी सेवा के लिए उसके पास थीं | ममता ने पीने के लिए जल माँगा | तब पास बैठी एक स्त्री ने सीपी में भरकर उसे जल पिलाया | अचानक एक घुड़सवार झोपड़ी के द्वार पर आया हुआ दिखाई दिया |


[प्रश्न और उत्तर]
(1) उपर्युक्त गद्यांश के पाठ का नाम और लेखक का नाम लिखिए |
उत्तर- पाठ का नाम ममता लेखक का नाम जयशंकर प्रसाद |
(2) ममता आजीवन सबके सुख दुख की सहभागिनी रही इस कथन का अर्थ स्पष्ट कीजिए |
उत्तर- इस कथन का अर्थ यह है कि ममता ने पूरे जीवन में युवावस्था से लेकर बुढ़ापे तक लोगों की सेवा की है | सुख और दुख में लोगों का साथ दिया है और निस्वार्थ भाव से सब की सेवा की है प्रत्येक व्यक्ति के अच्छे बुरे समय में वह उनकी सहायता करती थी |
(3) गांव की स्त्रियों ने ममता को क्यों घेर रखा था |
उत्तर- ममता बूढ़ी हो चुकी थी उसका शरीर कमजोर हो गया था वह इतनी कमजोर हो गई थी कि चल फिर नहीं सकती थी तो उसकी सेवा करने के लिए गांव की कुछ स्त्रियां उसे घेर कर बैठी हैं |
(4) इस गद्यांश में ममता के चरित्र की किस विशेषता के बारे में वर्णन किया गया है |
उत्तर – इसमें ममता को सहयोगी परोपकारी और दूसरों की सेवा करने बाला चरित्र के बारे में विशेष बताया गया है |


अश्वारोही पास…………… ……………… …………………………… ………….. गृह में जाती हूं |
संदर्भ -पहले की तरह
प्रसंग – यहां लेखक ने ममता के अंतिम समय में अपनी झोपड़ी के प्रति लगाव को प्रदर्शित किया है |

व्याख्या- घुड़सवार बुलाने पर ममता के पास आता है क्योंकि ममता एक मृत्यु शैया पर लेटी है और ठीक से बोल पाने में भी असमर्थ थी | किसी तरह रोक रोक पर उसने कहा कि किसी ने 47 साल पहले मेरी झोपड़ी में शरण अवश्य ली थी | किंतु मैं यह नहीं जानती थी कि वह कौन था | वह कोई बादशाह था या कोई साधारण मुगल था | मगर वह एक दिन इसी झोपड़ी में रहा था जाते समय मैंने सुना था कि वह अपने किसी आदमी को मेरा घर बनवाने की आज्ञा दे रहा था | उस दिन से आज तक मुझे यही भय सताता रहा कि पता नहीं कब कोई आकर मेरी झोपड़ी को गिरा दे और इस स्थान को खुदवा कर मकान बनवा दे | मुझे अपनी झोपड़ी से बड़ा प्यार था मैं नहीं चाहती थी कि कोई गिराकर इसके स्थान पर भव्य मकान बनवाए | झोपड़ी के साथ मेरे जीवन की बहुत सारी यादें जुडी हैं यही मेरे भयभीत होने का कारण था शायद भगवान ने मेरी प्रार्थना सुन ली है इसलिए आज तक यहां कोई झोपड़ी को तोड़ने नहीं आया और मकान बनवाने नहीं आया | अब मेरा समय पूरा हो गया है मैं इस झोपड़ी को छोड़ कर जा रही हूं अब यहां पर चाहे मकान बने या महल बने मुझे किसी भी प्रकार का कोई डर नहीं है | आज मुझे इस झोंपड़ी से कोई लगाव नहीं रहा | अब मैं सदैव के लिए उस परमात्मा के विश्राम गृह में आराम करने जा रही हूं अर्थात में इस संसार को छोड़ कर जा रही हूं |
[प्रश्न और उत्तर]
(1) मैं अपने चिर विश्रामगृह में जाती हूं से क्या मतलब है |
उत्तर- इस कथन से आशय यह है कि ममता का अंत समय बिल्कुल नजदीक है इस संसार को त्याग करके परमात्मा के उस लोक में जा रही हैं |
(2) वह अश्वारोही आदमी क्या ढूंढ रहा था और क्यों ढूंढ रहा था |
उत्तर- वह अश्वारोही आदमी ममता की झोंपड़ी ढूंढ रहा था क्योंकि उसे उस स्थान पर मकान बनवाने का आदेश मिला था |
(3) ममता को पूरे जीवन भर क्या डर सताता रहा और क्यों ?
उत्तर- ममता पूरे जीवन भर इसलिए भयभीत रही क्योंकि 47 साल पहले किसी ने आदेश दिया था कि यहाँ एक आलीशान महल बनवाया जाए | ममता को झोपड़ी से बहुत प्यार था और झोपड़ी खोने का उसे पूरे जीवन भर डर बना रहा |


वस्तुनिष्ठ प्रश्न—

  1. जयशंकर प्रसाद जी के पितामह का नाम क्या था |
    (अ) देवी प्रसाद (ब) देवी सिंह (स) शिवमंगल साहू (द) शिवरतन साहू
  2. प्रसाद जी के पितामह किस के परम भक्त थे |
    (अ) शिवजी के (ब)रामचंद्र जी के (स)दुर्गा जी के (द) हनुमान जी के
  3. प्रसाद जी की मृत्यु किस रोग के कारण हुई |
    (अ) टीवी (क्षय रोग) (ब)पीलिया (स) पेचिश (द) दमा
  4. प्रसाद जी की मृत्यु कितने वर्ष की आयु में हुई |
    (अ) 58 वर्ष (ब) 38 वर्ष (स) 48 वर्ष (द) 68 वर्ष
    व्याकरण पर आधारित प्रश्न
  5. निम्नलिखित तत्सम शब्दों के तद्भव रूप लिखिए |
    तत्सम शब्द तद्भव रूप
    यौवन जोबन
    निराश्रय बेसहारा
    अनुचर नौकर
    स्वर्ण सोना
    उत्कोच घूस
    निष्ठुर निठुर
    प्रभात सुबह
    विश्राम आराम
  6. निम्नलिखित शब्दों में संधि विच्छेद कीजिए
    भग्नावशेष = भग्न + अवशेष
    दीपालोक = दीप + आलोक
    निराश्रय = नि: + आश्रय
    अश्वारोही = अश्व + आरोही
    दुश्चिंता = दु: + चिंता
    नरेश नर + ईश
  7. निम्न लिखित में समास विग्रह कीजिए
    समस्त पद समास विग्रह
    अष्टकोण आठ कोणों का समूह
    गगनचुंबी गगन को चूमने वाला
    दुर्ग पति दुर्ग का प्रधान
    तृणगुल्म तिनकों का समूह

Up Board Class 10 hindi solution chapter 1 मित्रता गद्य खंड पाठ का सम्पूर्ण हल

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