Up Board Class 10 Hindi Full Solution Chapter 8 Sanskrit Khand भारतीय संस्कृति:

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up board class 10 hindi full solution chapter 8

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पाठ -8 भारतीया संस्कृति:


लघु उत्तरीय प्रश्न


निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संस्कृत में लिखिए
(1) ‘संस्कृति’ शब्दस्य किं तात्पर्यम् अस्ति ?
मानवजीवनस्य संस्करणम संस्कृति इति संस्कृति शब्दस्य तात्पर्यम् अस्ति|
(2) भारतीय संस्कृतेः मूलं किम् अस्ति?
विश्वस्य स्रष्टा इश्वर: एक एव इति भारतीय संस्कृते: मूलम् |
(3) भारतीया संस्कृतिः कीदृशी वर्तते ?
भारतीया संस्कृतिः सदा गतिशीला वर्तते।


(4) भारतीय संस्कृतेः कः नियमः ?
पूर्वं कर्मं तदनंतरफलं इति अस्माकम् संस्कृते:नियम: |
(5) किम् फलम् भोग्यं किं च वर्जनीयम् ?
निजस्य श्रमस्य फलं भोग्यं, अन्यस्य श्रमस्य शोषणं सर्वथा वर्जनीयम्।
(6) भारतीय संस्कृतेः कः दिव्यः सन्देशः अस्ति ?
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःखभाग् भवेत्॥
इति भारतीय संस्कृतेः दिव्यः सन्देशः अस्ति|


(7) भारतीय संस्कृतिः का संगमस्थली ?
भारतीया संस्कृतिः तु सर्वेषां मतावलम्बिनां संगमस्थली ।
(8) भारतीय संस्कृतौ कः विशेषः गुणः ?
भारतीय संस्कृतौ सर्वेषाम्मतानाम समभाव: इति विशेष: गुण: अस्ति|
(9) अस्माकम् मुख्य कर्त्तव्यं किम् अस्ति?
निरंतरम कर्मकरण अस्माकम् मुख्य कर्त्तव्यं अस्ति |


(10) ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ एषः दिव्यः सन्देशः कस्य अस्ति ?
“सर्वे भवन्तु सुखिनः’” एषः दिव्यः सन्देशः भारतीय संस्कृति: अस्ति।


(11) भारतीय संस्कृतिः कस्य अभ्युदयाय इति।
भारतीय संस्कृतिः विश्वस्य अभ्युदयाय इति |
(12) अस्माकं संस्कृतेः कः नियमः?
पूर्व कर्म, तदनन्तरं फलम् इति अस्माकं संस्कृते नियमः।
(13) विश्वस्य स्रष्टा कः ? (2016CE, 17AG,18HF ,19AC)
विश्वस्य स्रष्टा ईश्वरः एक एव |

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अनुवादात्मक प्रश्न

निम्नलिखित गद्यांशों का ससन्दर्भ हिन्दी में अनुवाद कीजिए
(क) विश्वस्य स्रष्टा…………………………….. संस्कृतेः सन्देशः।
अथवा मानव-जीवनस्य…………………………………. संस्कृतेः सन्देशः।
अथवा मानवजीवनस्य संस्करणं…………………………… ईश्वरं भजन्ते।


सन्दर्भ – प्रस्तुत गद्य खण्ड हमारी पाठ्य पुस्तक हिंदी के संस्कृत खण्ड के भारतीया संस्कृति: नामक पाठ से लिया गया है |
अनुवाद – विश्व को बनाने वाला ईश्वर एक ही है यह भारतीय संस्कृति का मूल है | विभिन्न मतों को मानने वाले विभिन्न नामों से एक ही ईश्वर का भजन करते हैं| अग्नि इंद्र कृष्ण करीम राम रहीम जैन बुद्ध ईसा अल्लाह इत्यादि नाम एक ही परमात्मा के हैं | उस ईश्वर को ही लोग गुरु भी मानते हैं| अतः सभी मतों को समान भाव और सम्मान देना ही हमारी संस्कृति का संदेश है|


(ख) एषा संस्कृतिः…… ……….. कर्त्तव्या।
(ग) भारतीया संस्कतिः……………………… राष्टियाः।
एषा संस्कृतिः………… राष्ट्रस्य उन्नतिः कर्त्तव्याः।

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सन्दर्भ – प्रस्तुत गद्य खण्ड हमारी पाठ्य पुस्तक हिंदी के संस्कृत खण्ड के भारतीया संस्कृति: नामक पाठ से लिया गया है |
अनुवाद – यह संस्कृत मिली-जुली संस्कृति है जिस के विकास में विभिन्न जातियों संप्रदायों और विश्वासों का योगदान दिखाई देता है इसलिए हम भारतीयों की एक संस्कृति और एक राष्ट्रीयता है | हम सभी एक संस्कृत के उपासक हैं और एक राष्ट्र के राष्ट्रीय हैं | जैसे भाई भाई परस्पर मिलकर के सहयोग और सौहार्द की भावना से परिवार की उन्नति करते हैं उसी प्रकार हमें भी सहयोग और सौहार्द्र से राष्ट्र की उन्नति करनी चाहिए |


(घ) अस्माकं संस्कतिः ………………………… चेति।

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सन्दर्भ – प्रस्तुत गद्य खण्ड हमारी पाठ्य पुस्तक हिंदी के संस्कृत खण्ड के भारतीया संस्कृति: नामक पाठ से लिया गया है |
अनुवाद – हमारी संस्कृति सदा से गतिशील रही है मानव जीवन के सुधार के लिए यह समय समय पर नई-नई विचारधाराओं को स्वीकार करती है और नई शक्ति को प्राप्त करती है इसमें कोई दुराग्रह नहीं है कि जो युक्ति युक्त और कल्याणकारी होता है वह यहां सहर्ष ही ग्रहण कर लिया जाता है इसकी गतिशीलता का रहस्य मानव जीवन के शाश्वत मूल्यों में निहित है जैसे सत्य की प्रतिष्ठा सभी प्राणियों में समानता का भाव विचारों में उदारता और आचारो में दृढ़ता आदि |


(ङ) एषा कर्मवीराणां…………………. लक्षिता भवेत्।
एषा कर्मवीराणां ………….. संस्कृतेः उपासकाः।
एषा कर्मवीराणां ………….. संस्कृतेः उपासकाः।
निजस्य श्रमस्य फलं…… संस्कृतिः लक्षिता भवेत्।

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सन्दर्भ – प्रस्तुत गद्य खण्ड हमारी पाठ्य पुस्तक हिंदी के संस्कृत खण्ड के भारतीया संस्कृति: नामक पाठ से लिया गया है |
अनुवाद – यह कर्मवीरों की संस्कृति हैं | कर्म करते हुए 100 वर्षों तक जीने की इच्छा रखना यह इसका उद्घोष है | पहले कर्म करना उसके बाद फल की इच्छा रखना यह हमारी संस्कृति का नियम है | इस समय जब हम राष्ट्र के नव निर्माण में संलग्न हैं तब निरंतर कर्म करना हमारा मुख्य कर्तव्य है अपने श्रम का फल भोगना चाहिए दूसरे के श्रम का शोषण सर्वथा वर्जित हैं यह यदि हम विपरीत आचरण करते हैं तो हम वास्तव में भारतीय संस्कृति के उपासक नहीं हैं | हमें तभी वास्तविक भारतीय हैं जब हमारे आचार और विचारों में हमारी संस्कृत दिखाई दे |


(च) सर्वे भवन्तु………………… भवेत्।

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सन्दर्भ – प्रस्तुत गद्य खण्ड हमारी पाठ्य पुस्तक हिंदी के संस्कृत खण्ड के भारतीया संस्कृति: नामक पाठ से लिया गया है |
अनुवाद – सभी सुखी हों सभी निरोगी हो सभी कल्याण देखें किसी को कोई दुःख न हो |


(छ) इदानीं यदा वयं …………………………… “लक्षिता भवेत्।
(ज) पूर्वं कर्म………………… …………………. संस्कतेः उपासकाः।
अथवा पूर्वं कर्म………………… …………….”संस्कृतिः लक्षिता भवेत्।


सन्दर्भ – प्रस्तुत गद्य खण्ड हमारी पाठ्य पुस्तक हिंदी के संस्कृत खण्ड के भारतीया संस्कृति: नामक पाठ से लिया गया है |
अनुवाद – इस समय जब हम राष्ट्र के नव निर्माण में संलग्न हैं तब निरंतर कर्म करना हमारा मुख्य कर्तव्य है अपने श्रम का फल भोगना चाहिए दूसरे के श्रम का शोषण सर्वथा वर्जित हैं यह यदि हम विपरीत आचरण करते हैं तो हम वास्तव में भारतीय संस्कृति के उपासक नहीं हैं | हमें तभी वास्तविक भारतीय हैं जब हमारे आचार और विचारों में हमारी संस्कृत दिखाई दे |

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निम्नलिखित वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद कीजिए
(क) मानव-जीवन को संस्कारित करना ही संस्कृति है।
मानव-जीवनस्य संस्करणं संस्कृतिः |


(ख) हमारे पूर्वज धन्य थे।
अस्माकम् पूर्वजा: धन्या: आसन् |


(ग) भारतीय संस्कृति सामासिकी एवं गतिशीला है।
भारतीय संस्कृति: सामासिकी गतिशीला च वर्तते |

(घ) हम सब एक ही संस्कृति के उपासक हैं।
वयं सर्वे एकस्याः संस्कृतेः समुपासकाः |

(ङ) भारतीय संस्कृति सर्वश्रेष्ठ है।
भारतीय संस्कृति सर्वश्रेष्ठ: अस्ति |

(च) काम करके ही फल मिलता है।
कर्मं कृत्वा एव फलम लभते |????


(छ) सभी नीरोग रहें और कल्याण प्राप्त करें।
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व्याकरणात्मक प्रश्न


(1) निम्नलिखित शब्दों में सन्धि-विच्छेद कीजिए
इत्यादि, मतावलम्बी, यथार्थम्, अभ्युदय।
इत्यादि = इति + आदि
मतावलम्बी = मत + अवलंबी
यथार्थम् =यथा + अर्थम्
अभ्युदय = अभि + उदय

(2) निम्नलिखित शब्दों के विभक्ति एवं वचन बताइये
संस्कृतेः, अस्माभिः, कर्माणि, नवनिर्माणे।
संस्कृतेः == षष्ठी बिभाक्ति …………….एकवचन
अस्माभिः = तृतीया बिभक्ति ………………बहुवचन
कर्माणि = प्रथमा बिभक्ति ………………बहुवचन
नवनिर्माणे = सप्तमी बिभाक्ति …………….एकवचन

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