Nagarjun ka jeevan parichay नागार्जुन का जीवन परिचय

Nagarjun ka jeevan parichay नागार्जुन का जीवन परिचय

Nagarjun ka jeevan parichay नागार्जुन का जीवन परिचय

कवि परिचय नागार्जुन का जन्म बिहार के दरभंगा जिले के सतलखा (ननिहाल ) नामक ग्राम में सन् 1911 ई. को हुआ था। इनके पिता तरौनी गाँव में रहते थे। नागार्जुन का बचपन का नाम वैद्यनाथ मिश्र था। जीवन के अभावों ने आगे चलकर इनके संघर्षशील व्यक्तित्व का निर्माण किया। व्यक्तिगत दुःख ने इन्हें मानवता के दुःख को समझने की क्षमता प्रदान की। घुमक्कड़ी और फक्कड़पन नागार्जुन के व्यक्तित्व की दो प्रमुख विशेषताएँ हैं। इन्होंने सम्पूर्ण भारत का भ्रमण किया है, फलत: इन्हें एक जगह टिककर काम करने का अवसर नहीं मिला।

इन्होंने मैथिली और हिन्दी दोनों में रचनाएँ लिखीं। 1935 में ‘दीपक’ (हिन्दी मासिक) और

1942-43 में विश्वबंधु (साप्ताहिक) पत्रिका का संपादन किया। नागार्जुन को अपने राजनीतिक कार्यकलापों के कारण कई बार जेल की यात्रा भी करनी पड़ी। इनकी मुख्य काव्य-कृतियाँ हैं- ‘युगधारा’, ‘प्यासी पथराई आँखे’, ‘सतरंगे पंखों वाली’ और ‘ भस्मांकुर’ (खण्डकाव्य) । इसके अलावा कई कविताएँ अप्रकाशित हैं। नागार्जुन ने कई महत्वपूर्ण उपन्यास भी लिखे हैं, जिनमें ‘बलचनामा’ ‘ रतिनाथ की

चाची’, ‘नई पौध’, ‘कुम्भीपाक’, ‘उग्रतारा’ आदि प्रमुख हैं।

नागार्जुन जीवन के, धरती के, जनता के, तथा श्रम के गीत गाने वाले ऐसे कवि हैं जिनकी रचनाओं को किसी वाद की सीमा में नहीं बाँधा जा सकता। अपने स्वतंत्र व्यक्तित्व की भाँति इन्होंने अपनी कविता को भी स्वतंत्र रखा है। सहजता नागार्जुन के काव् की विशेषता है। जटिल से जटिल भाव भी नागार्जुन की लेखनी से निकलकर सहज प्रभाव डालने में सफल हो जाते हैं।

स्वाधीन भारत की कसमसाती भारतीय जनता विशेषतः किसान जीवन की पीड़ाओं को नागार्जुन ने अपनी कविता की विषयवस्तु बनाया है। उनकी काव्य भाषा में एक किसान की सी साफगोई और निर्मम खरापन है। इनकी भाषा-शैली सरल, स्पष्ट तथा मार्मिक प्रभाव डालने वाली है। काव्य विषय इनके प्रतीकों के माध्यम से स्पष्ट उभरकर आते हैं। इनके गीतों में जन- जीवन का संगीत है।

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