Mp board class 10th hindi kabirdas ki sakhiyan

कबीर की साखियाँ

साईं इतना दीजिए, जामैं कुटुम समाय

मैं भी भूखा न रहूँ, साधु न भूखा जाय ॥1

दुर्बल को न सताइए, जाकी मोटी हाय।

मरी चाम की स्वांस से, लौह भसम वे जाय ॥2 ॥

जाति न पूछो साधु की पूछि लीजिये ज्ञान ।

मोल करो तलवार का, पड़ा रहन दो म्यान ॥3॥

जाति हमारी आतमा, प्रान हमारा नाम।

अलख हमारा इष्ट है, गगन हमारा ग्राम ॥4॥

कामी क्रोधी लालची, इन पै भक्ति न होय।

भक्ति करै कोइ शूरमों, जाति वरण कुल खोय ॥5॥

ऊँचै कुल क्या जनमियाँ, जे करणी ऊंच न होइ ।

सोवन कलस सुरै भर्या, साधू निंद्या सोइ ॥ 6॥

तरवर तास बिलंबिए, बारह मास फलंत

सीतल छाया गहर फल, पंखी केलि करंत ॥7॥

जब गुण कूँ गाहक मिलै, तब गुण लाख बिकाइ ।

जब गुण कौं गाहक नहीं, कौड़ी बदलै जाइ ॥8 ॥

सरपहि दूध पिलाइये, दूध विष है जाइ।

ऐसा कोई नां मिलै, सौं सरपैं विष खाइ ॥9॥

करता केरे बहुत गुणं, आगुणं कोई नांहि ।

जे दिल खोज आपण, तौ सब आँगुण मुझ मांहि !!10 ॥

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