Mp board class 10 hindi Ramdhari singh Dinkar jeevan parichay
कवि परिचय रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का जन्म बिहार के मुंगेर जिले के सिमरिया गाँव में सन् 1908 ई. में हुआ। हिन्दी और अंग्रेजी के अतिरिक्त संस्कृत, उर्दू, बैंगला का भी आपको अच्छा ज्ञान था। दिनकर जी ने विभिन्न शासकीय पदों पर बड़ी योग्यता के साथ कार्य किया। द्वितीय महायुद्ध के दिनों में आपने राजकीय युद्ध प्रचार विभाग में काम करते हुए राष्ट्रीय भावनाओं का प्रचार किया। आपको सन् 1950 में मुजफ्फरपुर कॉलेज में हिन्दी विभाग का अध्यक्ष बनाया गया। सन् 1972 में आपकी ‘उर्वशी’ रचना के लिए ज्ञान पीठ पुरस्कार मिला। 24 अप्रैल 1974 में साहित्य सेवा करते हुए राष्ट्र के इस दिनकर का अवसान हो गया।
‘छायावाद के ठीक पीठ पर आए दिनकर ने अपनी प्रवाहमयी ओजस्विनी कविता से नए युग की शुरुआत की। दिनकर सामाजिक चेतना के चारण है। आपकी प्रारंभिक काव्य कृतियाँ- ‘रेणुका’, ‘हुंकार’, ‘रसवंती’, ‘सामधेनी’ और ‘नीलकुसुम’ हैं। इन मुक्तक काव्य संग्रहों के अतिरिक्त ‘कुरुक्षेत्र’, ‘रश्मिरथी’ और ‘उर्वशी’ प्रबंध रचनाएँ हैं। ‘मिट्टी की ओर’ अर्धनारीश्वर’ और संस्कृति के चार अध्याय ‘आपकी गद्य कृतियाँ हैं।’
दिनकर जी प्रेम, राष्ट्रीयता, मानवता और क्रान्ति के कवि है। अतीत के सुनहरे गीत लिखकर इन्होंने वर्तमान को प्रेरणा दी है उनमें प्राचीन गौरव के प्रति अगाध प्रेम और वर्तमान के प्रति असंतोष है भारत का मग्न अतीत गौरव दिनकर को सदैव कसकता रहा जिसकी वेदना रचनाओं में व्यक्त हुई है। शोषण के विरुद्ध क्रान्ति का आह्वान भी उनकी कविता में प्रमुख स्वर बना है आपकी रचना में स्वाभाविक रूप से उपमा, रूपक, विरोधाभास, दृष्टान्त, सन्देह आदि अलंकार आ गए हैं। आपकी रचनाओं में मानवीकरण और ध्वन्यार्थ व्यंजना सशक्त और प्रभावी है। छन्द विधान भावानुकूल हैं। दिनकर प्रगतिवादी रचनाकार हैं। वह एक ऐसी सामाजिक चेतना का परिणाम है, जो मूलतः भारतीय है और राष्ट्रीय भावना से परिचालित है। दिनकर ओज के प्रखर गायक और राष्ट्रीयता के शिखर रचनाकार हैं।