Mp board class 10 hindi Harivansh ray bachchan jeevan parichay

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कवि परिचय – हिन्दी में हालावाद के प्रवर्तक कवि डॉ. हरिवंशराय बच्चन का जन्म 17 नवम्बर सन् 1907 को इलाहाबाद में हुआ। आपकी शिक्षा-दीक्षा, प्रयाग और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में हुई है। आप अनेक वर्षों तक इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी विभाग में प्राध्यापक रहे हैं। कुछ वर्षों तक विदेश मंत्रालय में हिन्दी विशेषज्ञ के रूप में कार्य किया है। बच्चन जी की प्रथम रचना ‘एकांत संगीत’ सन् 1934 में प्रकाशित हुई। आपको सर्वाधिक ख्याति तथा लोकप्रियता ‘मधुशाला’ के प्रकाशन से प्राप्त हुई।

आपने मध्यवर्ग के विक्षुब्ध वेदनाग्रस्त मन को वाणी का वरदान दिया है जिससे मध्यवर्ग और कविता के बीच दूरियाँ समाप्त हुई हैं। समाज की अभावग्रस्त व्यथा, परिवेश का खोखलापन, नियति और व्यवस्था के सम्मुख आम आदमी की बेबसी आपके काव्य के विषय हैं। दृढ़ आत्म-विश्वास, संघर्षशील जीवन और पुनर्निमाण की प्रेरणा बच्चन के काव्य का प्रमुख स्वर है। यह स्वर प्रेम, मस्ती और दीवानगी का है।

बच्चन जी की भाषा सीधी सादी और जीवंत है। भाषा सर्वग्राह्य गेय शैली में संवेदनासिक्त अभिधा के माध्यम से पाठकों से सीधा संवाद करती है। सामान्य बोलचाल की भाषा को काव्य गरिमा प्रदान करने का श्रेय बच्चन को जाता है। आपने अपने काव्य पाठ से कवि सम्मेलन की परम्परा को सुदृढ़ किया और जनप्रिय बनाया है।

छायावादोत्तर युग के स्वच्छन्दतावादी कवियों में आपका स्थान महत्वपूर्ण है। आपकी प्रमुख रचनाएँ – ‘तेरा हार’, ‘खैयाम की मधुशाला’, ‘मधुशाला’, ‘मधुबाला’, ‘मधुकलश’, ‘निशा निमंत्रण’, ‘एकांत संगीत’, ‘आकुल अंतर’, ‘विकल विश्व’, ‘सतरंगिनी’, ‘हलाहल’, ‘मिलन यामिनी’, ‘प्रणय पत्रिका’ आदि हैं। आत्मकथा लेखन भी आपने किया है। ‘क्या भूलूँ क्या याद करूँ’ और ‘नीड़ का निर्माण फिर’ आपकी प्रसिद्ध आत्मकथा हैं।

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