Mp board ckass 10 hindi veeron ka kaisa ho vasant

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वीरों का कैसा हो वंसत ? आ रही हिमालय से पुकार, है उदधि गरजता बार-बार, प्राची, पश्चिम, भूनम अपार, सब पूछ रहे हैं दिग्-दिगंत, वीरों का कैसा हो वसंत ?

फूली सरसों ने दिया रंग, मधु लेकर आ पहुँचा अनंग, वधू- वसुधा, पुलकित अंग-अंग, हैं वीर देश में, किन्तु कंत

वीरों का कैसा हो वसंत ?

भर रही कोकिला इधर तान, मारू बाजे पर उधर गान, हैं रंग और रण का विधान, मिलने आए हैं आदि अंत, वीरों का कैसा हो वसंत ?

गलवाहें हों या हो कृपाण,

चल-चितवन हो, या धुनष-बाण हो रस-विलास, या दलित- त्राण, अब यही समस्या है दुरन्त वोरों का कैसा हो वसंत ?

कह दे अतीत अब मौन त्याग, लंके! तुझमें क्यों लगी आग ? ऐ कुरुक्षेत्र अब जाग, जाग, बतला अपने अनुभव अनंत, वीरों का कैसा हो वसंत ?

हल्दीघाटी के शिलाखंड,

ऐ दुर्ग सिंह गढ़ के प्रचंड, राणा-ताना का कर घमंड, दो जगा आज स्मृतियाँ ज्वलंत, वीरों का कैसा हो वसंत ?

भूषण अथवा कवि चन्द नहीं, बिजली भर दे वह छन्द नहीं है कलम बंधी, स्वच्छन्द नहीं, फिर हमें बतावे कौन ? हंत। वीरों का कैसा हो वसंत ?

सुभद्राकुमारी चौहन

(मुकुल काव्य संग्रह से)

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