Mp Board 10th Hindi ritu varnan

Mp Board 10th Hindi ritu varnan ऋतु वर्णन

कूलन में केलि में कछारन में कुंजन में, क्यारिन में कलित कलीन किलकंत है। कहैं पदमाकर परागन में पौन में, पातन में पिक में पलासन पगंत है। द्वार में दिसान में दुनी में देस देसन हूँ में, देखौ दीप दीपन में दीपत दिगंत है। बीथिन में ब्रज में नवेलिन में बेलनि में, बगन में बागन में बगर्यो बसंत है ॥ 1 ॥

और भाँति कुंजन में गुँजरत भीरे भौंर, औरे डौर झौरन पैं बोरन के वै गए कहै पद्माकर सु औरे भाँति गलियान, छलिया छबीले छैल और छ्व छ्वै गए। और भाँति बिहग समाज में अवाज होति, ऐसे रितुराज के न आज दिन द्वै गए । और रस और रीति और राग और रंग, और तन और मन और बन है गए 2 ॥

चंचला चलाक चहूँ ओरन तें चाह भरी, चरजि गई ती फेरि चरजन लागी री। कहै पदमाकर लवंगन की लोनी लता, लरजि गई ती फेरि लरजन लागी री। कैसे धरौँ धीर वीर त्रिबिधि समीरै तन, तरजि गई ती फेरि तरजन लागी री। घुमड़ घुमड़ घटा धन की घनेरों अबै गरज गई तो फेरि गरजन लागी री ॥ 3 ॥

तालन पै ताल पै तमालन पै मालन पै, वृन्दावन बीथिन बहार बंसीबट पै । कहै पदमाकर अखंड रासमंडल पै, मंडित उमंड महा कालिंदी के तट पै। छिति पर छान पर छाजत छतान पर, ललित लतान पर लाड़िली की लट पै । भाई भली छाई यह सरद जुन्हाई जिहि, पाई छबि आजु ही कन्हाई के मुकुट पै ॥ 4 ॥

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