MP BOAR SOLUTION FOR CLASS 12 BIOLOGY CHAPTER 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक जनन
12th Biology अध्याय – 2 ( पुष्पी पादपों में लैंगिक जनन )
mp board class 12 biology imp questions 2022 pdf download निम्नलिखित है :-
प्यारे छात्रों आज के इस पोस्ट में आपको कक्षा 12 वीं छात्रों के लिए जीव विज्ञान के अध्याय 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक जनन नामक पाठ के सभी महत्वपूर्ण प्रश्न लेकर के आया हु, ये सभी प्रश्न आके लिए बोर्ड परीक्षा 2022 के बहुत महत्वपूर्ण साबित होंगे अगर आप इन सभी प्रश्नों को समय रहते याद कर लेते हो क्युकी ये सभी प्रश्न सेलेक्टेड प्रश्न है ओर पिछले की सालों से लगातार बोर्ड परीक्षा में आ रहे है इसलिए ये सभी प्रश्न आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे , तो देर किस बात की प्यारे छात्रों अगर आप भी जीव विज्ञान के पेपर में 90% लाना चाहते हो तो आज से ही इन सभी प्रश्नों का रिवीजन शुरू कर दो ओर अपने लक्ष्य की ओर लग जाओ ।। आज के इस पोस्ट में आपको mp board class 12 biology imp questions 2022 बताए गए है ।।
वहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1 — द्विनिषेचन क्रिया होती है ।।
(a) शैवालों में
(b) ब्रायोफाइटा में
(c) आवृतबीजी पौधों में
(d) अनावृतबीजी पौधों में
उत्तर (c) आवृतबीजी पौधों में
प्रश्न 2 — बीजाण्ड का वह स्थान जहाँ बीजाण्डवृत्त जुड़ा होता है, उसे कहते हैं ।।
(a) निभाग
(b) केन्द्रक
(c) नाभिका
(d) मैक्रोपाइल्स
उत्तर – (a) निभाग
प्रश्न 3 — पराग नलिका का अध्यावरण द्वारा बीजाण्ड में प्रवेश कहलाता है
(a) निमागी युग्मन
(b) अण्ड द्वारा प्रवेश
(c) उपर्युक्त दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर (d) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 4 — भारतीय भ्रूण विज्ञान के जनक है ।।
(a) सर जगदीश चन्द्र बोस
(b) डॉ बीरबल साइनी
(c) पं माहेश्वरी
(d) हरगोविन्द खुराना
उत्तर (c) पं माहेश्वरी
प्रश्न 5 — चावल का फल किस प्रकार है ।।
(a) नट
(b) कैरिऑप्सिस
(c) क्रीमोकार्प
(d) सिलिक्यूमा
उत्तर – (b) कैरिऑप्सिस
प्रश्न 6 — एक प्रारूपिक आवृतबीजी परागकोश में लघु बीजाणुधारियों की संख्या होती है
(a) 1
(b) 2
(c) 3
(d) 4
उत्तर – (d) 4
प्रश्न 7 — आवृतबीजी पौधों में पुंकेसर है ।।
(a) मादा जननांग
(b) नर जननांग
(c) (a) तथा (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर- (b) नर जननांग
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 8 — बहुभ्रूणता क्या है?
उत्तर- एक बीज में एक से अधिक भ्रूण होने को बहुभ्रूणता कहते हैं ।। बहुभ्रूणता युग्मनज से भ्रूण बनने के अतिरिक्त कभी कभी सहायक कोशिकाओं या प्रतिध्रुव कोशिकाओं से नरयुग्मक के संलयन से अतिरिक्त भ्रूण बन जाता है ।। कभी कभी बीजाणु में एक से अधिक भ्रूणकोष होने से बहुभ्रूणता विकसित हो जाता है ।।
प्रश्न 9 — दोहरा निषेचन की परिभाषा दीजिए ।।
उत्तर- आवृतबीजी पौधों में परागकण की जनन कोशिका से बने नर मुग्मको में से एक अण्ड कोशिका (मादा युग्मक) से तथा दूसरा नर युग्मक द्वितीयक केन्द्रक से संगलित होता है ।। इन दोनों क्रियाओं को सम्मिलित रूप से दोहरा निषेचन कहते है ।।
प्रश्न 10 — एक परिपक्व परागण में समाहिति कोशिकाओं के नाम लिखिए ।।
उत्तर- परिपक्व परागकण में जनन कोशिका तथा कायिक कोशिका पायी सकती हैै ।।
प्रश्न 11 — परागण तथा निषेचन में अन्तर लिखिए ।।
उत्तर –
क्रम संक्या | परागण | निषेचन |
1 | परागकोश से परागकण के उसी प्रजाति के पुष्प के वर्तिकाग्र पर पहुंचने की प्रक्रिया की परागण कहते हैं। | भ्रूणकोष में उपस्थित अण्ड कोशिका से नर युग्मक के संलयन को निषेचन कहते हैं। |
2 | इसके फलस्वरूप निषेचन होता है | इसके फलस्वरूप भ्रूण तथा भ्रूणपोष बनता है। |
३ | यह वायु, जल, कीट पक्षी या प्राणी द्वारा सम्पन्न होता है। | यह पराग नलिका द्वारा सम्पन्न होता है। |
प्रश्न 12 — असंगजनन (एपोमिक्सिम) क्या है? उदाहरण भी दीजिए ।।
उत्तर:- असंगजनन – कुछ पौधों के जीवन चक्र में युग्मक संलयन अथवा अर्द्धसूत्री विभाजन नहीं होता तथा इनकी अनुपस्थित में ही नए पौधे का निर्माण हो जाता है ।। इस प्रक्रिया को असंगजनन कहते हैं ।। इसकी खोज विंकलर (1988) में की थी ।। यह प्राय: अनिषेकबीजता के कारण होता है ।।
जैसे- नींबू, नागफनी, क्रेपिस
प्रश्न 13 — भ्रूणकोष तथा भ्रूणपोष में अन्तर लिखिए ।।
उत्तर –
क्रम संख्या | भ्रूणकोष | भ्रूणपोष |
1 | – यह आवृतबीजी पौधो का मादा युग्मकोद्भिद है, यह क्रियाशील गुरुबीजाणु से बनता है । | आवृतबीजी पौधों में दोहरे निषेचक तथा त्रिसमेकन से निर्मित होने वाला भ्रूणक पोष केन्द्रक से विकसित होता है | अनावृतबीजी पौधों में यह अगुणित (×) होता है ।। |
2 | यह जनन इकाई (मादायुग्मक)आश्रय देता है । | यह एक पोशक ऊतक है जो भ्रूण को विकाश के समय या अंकुरण के समय पोषण प्रदान करता है |
3 | यह अगुणित गुणसूत्रों वाली सरंचना है। | यह आवृतबीजी पौधों में त्रिगुणित किन्तु अनावृतबीजी पौधों में यह अगुणित (×) होता है। |
प्रश्न 14 — बहुभ्रूणता पर टिप्पणी कीजिए ।।
उत्तर- ल्यूवेनहॉक (lucluweh hecking 1796) ने सर्वप्रथम इसका अध्ययन किया था ।। सामान्यतः एक बीज में एक भ्रूण मिलता है ।। परन्तु आवृतबीजी में कभी कभी तथा अनावृतबीजी में सामान्य रूप से बीज बीजाण्ड के अन्दर एक से अधिक भ्रूण बनने की क्रिया को बहुभ्रूणता कहते हैं ।। यह निम्नलिखित कारणों से होती है ।।
(1 –) युग्मनण के दो से अधिक बार विभाजन से पृथक पृथक भ्रूण बन जाते हैं ।।
(2) सहायक कोशिकाओं से नर युग्मक के संयुग्मन होने से भी भ्रूण का निर्माण हो जाता है ।।
(3) प्रतिध्रुव कोशिकाओं से नरयुग्मक के संयुग्मन होने से भी भ्रूण का निर्माण हो जाता है ।।
(4) बीजाण्ड में एक अधिक भ्रूणकोष होने पर प्रत्येक में निषेचन के फलस्वरूप एक भ्रूण बन जाता है ।।
प्रश्न 15 — स्वपरागण व परापरागण को स्पष्ट कीजिए ।।
उत्तर- स्वपरागण :-जब किसी पुष्प के परागकण उसी पुष्प अपवा उसी पौधे के किसी अन्य पुष्प अथवा कायिक जनन द्वारा तैयार अन्य पौधों के पुष्प जिसकी जीन संरचना समान हो के वर्तिकाग्र पर पहुंचकर उसे परागित करते हैं, तो इसे स्वपरागण कहते है ।।
परपरागण :- जब किसी पुष्प के परागकण उसी प्रजाति के किसी अन्य पुष्प जिनकी जीन संरचना भिन्न हो, के वर्तिकाग्र पर पहुंचकर उसे परागित करते हैं, तो इसे परपरागण कहते है ।।
प्रश्न 16 — केन्द्रीकीय एवं कोशिकीय भ्रणपोष का केवल नामांकित चित्र बनाइए
उत्तर- भ्रूणपोष :- द्विनिषेचन तथा त्रिनिषेचन के फलस्वरूप भ्रूणकोष में बने हुए द्विगुणित केन्द्रक से एक पौषक संरचना का परिवर्धन होता है ।। इसे भ्रूणपोष (enclospermj कहते है ।। यह विकासशील भ्रूण को पोषण प्रदान करता है ।। भ्रूणपोषी बीजों में यह अंकुरण के समय नवोद्भिद पादप को पोषण प्रदान करता है ।।
भ्रूणपोष के प्रकार – परिवर्द्धन के आधार पर आवृतबीजी पौधों में भ्रूणपोष निम्नलिखित तीन प्रकार का होता है ।।
(1 ) केन्द्रकीय (Nuclear) – परिवर्द्धन के समय भ्रूणपोष केन्द्रक स्वतंत्र रूप से विभाजित होता रहता है ।। और विभाजनों के साथ भित्तियों का निर्माण नहीं होता है ।। विभाजन के फलस्वरूप बने केन्द्रक भ्रूणकोष में परिधि से केन्द्र की ओर विन्यासित हो जाते हैं ।। अन्त में परिधि से केन्द्र की और कोशिका भित्ति का निर्माण प्रारम्भ होता है ।।
जैसे :- कैप्सेला , यूफोरबिया में |
(2 ) कोशिकीय ( cellular ) – भ्रूणपोष केन्द्रक के प्रत्येक बार विभाजन के पश्चात कोशिका भित्ति का निर्माण होता है
इस प्रकार पूरा भ्रूणपोष अनियमित व्यवस्था वाली कोशिकाओं का एक ऊतक (rissue) होता है ।।
जैसे:- बिल्लारसिया, एडोक्सा आदि
(3 ) हीमोबियल – भ्रूणपोष केन्द्रक के प्रथम विभाजन के बाद कोशिका भिति का निर्माण होता है ।। इसके बाद दोनों केन्द्रक भ्रूणकोष के अलग अलग भागों में स्वतंत्र रूप से विभाजित होते रहते हैं ।। अब कोई कोशिका भित्ति नहीं बनती है ।। इस प्रकार हीलोबियल भ्रूणपोष केन्द्रीय और कोशिकीय भ्रूणपोष के मध्य की स्थिति होती है ।।
जैसे- ऐस्फोडिलस, एरेमयउरस
प्रश्न 17 — द्विनिषेचन एवं त्रिसंलयन से आप क्या समझते हैं? संक्षिप्त वर्णन कीजिए ।।
उत्तर – द्विनिषेचन एवं त्रिसंलयन –
परागण के फलस्वरूप परागकण वर्तिकाग्र पर पहुंचते हैं ।। परागकण अंकुरित होकर परागनलिका बनाते हैं ।। परागनलिका में “जनन कोशिका विभाजित होकर दो नर युग्मक बनाती है ।।परागनलिका नर युग्मक को भ्रूण कोष में पहुंचाती है ।। भ्रूणकोष में एक नर युग्मक अण्ड कोशिका (egg cell) से मिलकर युग्मनज बनाता है ।। इसे संयुग्मन कहते हैं ।। दूसरा नरयुग्मक द्विगुणित द्वितीयक केन्द्रक या दो अगुणित ध्रुवीय केन्द्रकों से मिलकर त्रिगुणित प्राथमिक भ्रूणपोष केन्द्रक बना लेता है ।। इस क्रिया को त्रिसंलयन कहते हैं ।। आवृतबीजी पौधों में संयुग्मन तथा त्रिसंलयन (triple fusion) को सम्मलित रूप से द्विनिषेचन कहते है ।। युग्मनज से भ्रूण और प्राथमिक भ्रूणपोष केन्द्रक से भ्रूणपोष का विकास होता है ।।
प्रश्न 18 — आवृतबीजी पौधों के परागकोश के विकास की विभिन्न अवस्थाओं का सचित वर्णन कीजिए ।।
उत्तर- लघुवीजाणुधानी का निर्माण तथा लघुबीजाणुजनन:— परागकोश की प्रत्येक पालि में दो कोष्ठक होते हैं ।। इन्हें परागकोष्ठ या लघुबीजाणुधानियाँ कहते हैं ।। परागकोश में परागण लघुवीजावाणु बनने की क्रिया को लघुवीजाणुजनन कहते हैं ।। परागकोश विभज्योतकी कोशिकाओं का एक समूह होता है ।। उसके बाहर एककोशिकीय बाह्य त्वचा होती हैं ।। परागकोश के मध्य भाग में संवहन उतक का निर्माण होता है ।। केन्द्रीय भाग तथा चारों ओर का ऊतक घोति कहलाता है ।। परागकोश की चारों पलियों में बाह्य त्वचा के नीचे अलग अलग अधः स्तरीय कोशिकाएँ बड़े आकार को स्पष्ट दिखाई देती है ।। पालि को विभाजित होकर दो कोशिका बनती है ।।
(1) बाहरी कोशिका प्राथमिक भित्तिय कोशिका तथा
(2) भीतरी कोशिका प्राथमिक बीजाणुजनक कोशिका है ।।
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