पाठ -40 खनिज संसाधन (धात्विक, अधात्विक खनिज, लोह-अयस्क, मैंगनीज, अभ्रक, बॉक्साइट, ताँबा आदि-उपयोग एवं संरक्षण)
पाठ -40 खनिज संसाधन
(धात्विक, अधात्विक खनिज, लोह-अयस्क, मैंगनीज, अभ्रक, बॉक्साइट, ताँबा आदि-उपयोग एवं संरक्षण)
प्रश्न—1 खनिज संसाधन किसे कहते हैं? खनिज संसाधनों के दो महत्व लिखिए।
उ०- खनिज, रासायनिक और भौतिक तत्वों के संगठन हैं, जिन्हें अयस्क के रूप में भू-गर्भ से खोदकर निकाला जाता उत्तर—- अयस्क को साफ करके और शुद्ध बनाकर, उनसे प्राप्त उपयोगी और मूल्यवान तत्व खनिज पदार्थ कहलाते हैं। खनिज संसाधनों के दो महत्व निम्नलिखित हैं(i) खनिज पदार्थ राष्ट्र की महत्वपूर्ण संपत्ति तथा औद्योगिक उन्नति के आधार हैं। (ii) बॉक्साइट, अभ्रक, मैंगनीज आदि खनिज पदार्थ विविध उद्योगों को कच्चा माल उपलब्ध कराकर उनका पोषण करते हैं। 2. बॉक्साइट के महत्व पर प्रकाश डालिए। उ०- बॉक्साइट एक महत्वपूर्ण औद्योगिक एवं उपयोगी धात्विक खनिज उत्तर—- इसे साफ करके एल्यूमिनियम धातु प्राप्त की जाती है,
जिसका उपयोग विद्युत उपकरण, वायुयान के इंजन, रेलवे कोचों की बॉडी, मोटर कार, बर्तन तथा वैज्ञानिक उपकरण बनाए जाते हैं। अनेक उद्योगों में कच्चे माल के रूप में प्रयुक्त होने के कारण एल्युमिनियम की माँग बढ़ने के साथ-साथ बॉक्साइट
का महत्व भी बढ़ रहा उत्तर—-
3. अभ्रक की उपयोगिता लिखिए।
उ०- अभ्रक की उपयोगिता- अभ्रक का महत्व औद्योगिक दृष्टि से अधिक होने के कारण यह बहुत उपयोगी खनिज उत्तर—- इस
बहुउपयोगी खनिज की उपादेयता को निम्न बिंदुओं के माध्यम से व्यक्त किया जा सकता है(i) अभ्रक विद्युत का कुचालक होने के कारण विद्युत तथा इलैक्ट्रोनिक उपकरण बनाने में प्रयुक्त किया जाता उत्तर—- (ii) यह ताप का कुचालक होने के कारण अग्निरोधक वस्त्र बनाने तथा भट्टियों में लगाने में प्रयुक्त होता उत्तर—- (iii) अभ्रक का उपयोग नेत्ररक्षक चश्मे बनाने में किया जाता उत्तर—- (iv) यह पारदर्शक और चमकीला होने के कारण रंग-रोगन बनाने में प्रयुक्त किया जाता उत्तर—- (v) अभ्रक का उपयोग टेलीफोन, रेडियो, वायुयान तथा काँच की चिमनियाँ बनाने में किया जाता उत्तर—- (vi) इसका उपयोग अनेक सैन्य उपकरण तथा बेतार का तार उपकरण बनाने में किया जाता उत्तर—- (vii) अभ्रक में औषधीय गुण होते हैं, अत: इससे अनेक दवाइयाँ भी बनाई जाती हैं। (viii) अभ्रक भवनों की खिड़कियाँ बनाने, सजावटी कागज बनाने तथा शीट्स बनाने में भी प्रयुक्त होता
4. मैंगनीज की उपयोगिता पर प्रकाश डालिए।
उ०- मैंगनीज की उपयोगिता- विविध कार्यों में प्रयुक्त होने के कारण बहु उपयोगी इस खनिज ने औद्योगिक जगत में बड़ी
लोकप्रियता प्राप्त कर ली उत्तर—- मैंगनीज के महत्व और उपयोगिता को निम्न बिंदुओं के माध्यम से प्रस्तुत किया जा सकता है
(i) मैंगनीज वह खनिज है जो अपने सम्मिश्रण से लोहे को इस्पात बना देता
उत्तर—- (ii) यह अन्य धातुओं के साथ मिलकर उन्हें कठोर और टिकाऊ बना देता उत्तर—- (iii) एल्युमीनियम के तारों पर मैंगनीज की परत चढ़ाकर उनसे विद्युत उपकरण बनाए जाते हैं। (iv) मैंगनीज का उपयोग विद्युत उपकरण बनाने के साथ-साथ काँच बनाने तथा वायुयान बनाने में भी किया जाता उत्तर—- (v) मैंगनीज से ब्लीचिंग पाउडर, कीटनाशक दवाइयाँ तथा शुष्क बैटरियाँ बनाई जाती हैं। (vi) मैंगनीज से सेना के लिए टैंक तथा रेलगाड़ी के डिब्बे भी बनाए जाने लगे हैं। 5. ताँबे का उपयोग लिखिए। यह भारत में कहाँ पाया जाता है? उ०- ताँबे का उपयोग- ताँबा विद्युत का सुचालक और जंग से सुरक्षित बना रहने के कारण एक उपयोगी धातु उत्तर—- वर्तमान समय
में इसका उपयोग मुख्य रूप से विद्युत उपकरण, टेलीफोन तथा टेलीग्राफ उपकरण, बर्तन, मूर्तियाँ बनाने में किया जाता उत्तर—- आभूषणों को सुदृढ़ता प्रदान करने के लिए ताँबे को स्वर्ण के साथ मिलाया जाता उत्तर—- भारत में ताँबे का वितरण- भारत ताँबा उत्पादन में पिछड़ा हुआ उत्तर—- भारत का 70% ताँबा झारखंड राज्य में निकाला जाता उत्तर—- यहाँ सिंहभूम तथा हजारीबाग में ताँबा निकाला जाता उत्तर—- आंध्र प्रदेश के कुर्नूल, अनंतपुर तथा नल्लौर जिलों में ताँबा निकाला जाता उत्तर—- हिमाचल प्रदेश की कांगडा और कुल्लू घाटियाँ ताँबा उत्पादन में प्रसिद्ध हैं। राजस्थान में खेतड़ी, अलवर, दरीसा क्षेत्र भीलवाड़ा तथा उदयपुर में ताँबा पाया जाता उत्तर—- मध्य प्रदेश, कर्नाटक तथा तमिलनाडू राज्य भी थोड़ी मात्रा में ताँबा उत्पादन करते हैं।
खनिजों के संरक्षण के चार उपाय लिखिए उ०- खनिज संसाधनों का संरक्षण- खनिज संसाधन राष्ट्र के लिए उपयोगी ही नहीं अनिवार्य भी है, अतः इनके संरक्षण की
उचित व्यवस्था होना आवश्यक उत्तर—- खनिज संसाधनों के संरक्षण हेतु निम्नलिखित चार उपाय किए जा सकते हैं(i) खनिजों के खनन में नवीनतम् तकनीकी का प्रयोग करके उनकी अधिक से अधिक मात्रा प्राप्त करने का प्रयास किया जाए। (ii) खनिजों के प्रगलन तथा शुद्धिकरण में उच्चकोटि की तकनीक अपनाकर उनकी अधिकाधिक मात्रा ग्रहण करने का
उपाय किया जाना चाहिए। (iii) खनिज संसाधनों का विदोहन आवश्यकता को ध्यान में रखकर नियंत्रित तथा योजनाबद्ध ढंग से किया जाए। (iv) ताँबा, सीसा, चाँदी और सोना आदि धातुओं के स्क्रेप को पुनर्चक्रण द्वारा अधिकाधिक उपयोग में लाने का कार्य किया जाए। * विस्तृत उत्तरीय प्रश्न 1. लौह-अयस्क की क्या उपयोगिता है? भारत में लौह-अयस्क के क्षेत्रों का वर्णन कीजिए। उ०- लौह-अयस्क का उपयोग और महत्व- लौह-अयस्क बहुत ही महत्वपूर्ण और उपयोगी खनिज उत्तर—- इसकी उपयोगिता को
निम्नवत स्पष्ट किया जा सकता है
(i) कच्चा लोहा इस्पात बनाने के काम आता उत्तर—-
(ii) इस्पात का उपयोग मशीनें तथा उपकरण बनाने में किया जाता उत्तर—-
(iii) बाँध, पुल, कारखाने तथा आवास बिना लोहे के नहीं बनाए जा सकते हैं।
(iv) कृषि उपकरण तथा परिवहन के साधन लोहे से ही बनाए जाते हैं।
(v) लोहा औद्योगीकरण को साकार बनाकर राष्ट्र को आर्थिक दृष्टि से संपन्न बनाता उत्तर—-
(vi) बंदूक, तोप, पैटन टैंक से लेकर अनेक अस्त्र-शस्त्र लोहे से ही बनाए जाते हैं, अतः राष्ट्र की सुरक्षा की दृष्टि से लौह अयस्क बड़ा उपयोगी उत्तर—-
भारत में लौह-अयस्क का उत्पादन और वितरण- भारत को प्रकृति ने लौह-अयस्क के क्षेत्र में धनी बनाया है, क्योंकि विश्व के 25% सुरक्षित लौह-अयस्क के भंडार भारत में पाए जाते हैं। भारत लौह-अयस्क के उत्पादन में अभी भी पिछड़ा हुआ है, क्योंकि यहाँ विश्व का मात्र 5% लौह-अयस्क ही निकाला जाता उत्तर—- भारत में मैग्नेटाइट और हैमेटाइट प्रकार का उत्तम कोटि का लौह-अयस्क अधिक निकाला जाता है जिसकी माँगें विश्वभर में बनी रहती उत्तर—- भारत में लौह-अयस्क निकालने वाले प्रमुख राज्य निम्नलिखित हैं
(i) गोवा- गोवा का भारत में लौह-अयस्क निकालने वाले राज्यों में प्रथम स्थान उत्तर—- गोवा की खुली खानों से देश का 32% लौह-अयस्क निकाला जाता उत्तर—- पिरना, अदोल, पालओल्डा, कुडनेम पिसरूलेम तथा कुडनेम सुरला आदि की खानों से लौह-अयस्क का खनन किया जाता उत्तर—-
(ii) छत्तीसगढ़- यह राज्य लौह-अयस्क के उत्पादन में भारत में द्वितीय स्थान रखता है, जहाँ से भारत का 25%
लौह-अयस्क प्राप्त होता उत्तर—- बैलाडिला, दुर्ग, बस्तर, राजहरा तथा सरगुजा आदि छत्तीसगढ़ के प्रमुख लौह-अयस्क निकालने वाले क्षेत्र हैं। यहाँ उत्पादित लौह-अयस्क का उपयोग, भिलाई, राउलकेला तथा विशाखापट्टनम के इस्पात कारखाने में किया जाता उत्तर—-
(iii) ओडिशा- ओडिशा भारत का तृतीय बड़ा लौह-अयस्क उत्पादक राज्य उत्तर—- यहाँ भारत का 20% लौह-अयस्क निकाला
जाता उत्तर—- इस राज्य में क्योंझर, बोनाई, सुंदरगढ़, सुलपत तथा बादाम पहाड़ी क्षेत्रों में लौह-अयस्क निकाला जाता उत्तर—-
मयूरगंज की खान भारत की सबसे बड़ी लौह-अयस्क की खान उत्तर—-
(iv) झारखंड- झारखंड राज्य वैसे तो सभी खनिजों में धनी है, परंतु लौह-अयस्क के उत्पादन में इसका चौथा स्थान उत्तर—-
यह भारत का 16% लौह-अयस्क निकालता उत्तर—- यहाँ लौह-अयस्क सिंहभूम जिले की, नोआमंडी, पंसिराबुरु, बुदाबुरु
आदि की खानों से लौह-अयस्क निकाला जाता उत्तर—- यहाँ स्थित नोआमंडी की खान एशिया में सबसे बड़ी उत्तर—-
(v) अन्य लौह-अयस्क उत्पादक राज्य- भारत के अनेक राज्यों में लौह-अयस्क निकाला जाता है, उनमें से प्रमुख राज्य
निम्नलिखित हैं- कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश।
प्रश्न—2. बॉक्साइट से कौन-सी धातु प्राप्त होती है? इसका औद्योगिक महत्व बताते हुए भारत में इसके वितरण पर प्रकाश डालिए।
उ०- बॉक्साइट हल्का एवं लचीला धात्विक खनिज उत्तर—- इसे साफ करके एल्युमीनियम धातु प्राप्त की जाती उत्तर—-
बॉक्साइट का औद्योगिक महत्व- बॉक्साइट से एल्युमीनियम प्राप्त किया जाता है, जो एक लचीली अलोह धातु उत्तर—- एल्युमीनियम ऊष्मा और विद्युत कर अच्छी सुचालक होने के कारण उद्योगों के लिए उपयोगी उत्तर—- भार में हल्की होने के कारण एल्युमीनियम का वायुयान- निर्माण में खूब प्रयोग किया जाता उत्तर—- एल्युमीनियम का प्रयोग रेल के डब्बे, मोटर, कार, बिजली के तार व उपकरण बर्तन तथा वैज्ञानिक यंत्र व उपकरण बनाने में किया जाता उत्तर—- एल्युमीनियम की अनेक उद्योगों में कच्चे माल के रूप में माँग बढ़ने के कारण बॉक्साइट का महत्व भी बढ़ रहा उत्तर—- भारत में बॉक्साइट का वितरण- बॉक्साइट के भंडारों की दृष्टि से भारत एक धनी देश उत्तर—- पहले भारत अपनी आवश्यकता की पूर्ति के लिए बॉक्साइट का आयात करता था; परंतु अब भारत बॉक्साइट का आयात करने के स्थान पर निर्यात करता उत्तर—- भारत में बॉक्साइट का वितरण निम्नलिखित है
(i) ओडिशा- ओडिशा भारत का सबसे बड़ा बॉक्साइट उत्पादक राज्य उत्तर—- यहाँ के कालाहाँडी व संभलपुर जिले बॉक्साइट उत्पादन में अग्रणी हैं। सुंदरगढ़, बोलनगिरी और कोरापुट अन्य महत्वपूर्ण उत्पादक जिले हैं।
(ii) गुजरात- गुजरात देश का दूसरा प्रमुख बॉक्साइट उत्पादक राज्य उत्तर—- यहाँ बॉक्साइट खनन का कार्य खेड़ा, वडोदरा,
साबर कोटा, सूरत, राजपीपला और सौराष्ट्र के कच्छ और भावनगर जिलों में होता उत्तर—-
(iii) झारखंड- इस राज्य के लोहारडागा जिले की पैटलैंडस के बॉक्साइट के समृद्ध भंडार हैं। राँची और पलामु यहाँ के प्रमुख उत्पादक जिले हैं।
(iv) महाराष्ट्र- महाराष्ट्र भारत का लगभग 10 प्रतिशत बॉक्साइट पैदा करता उत्तर—- यहाँ इस धातु का खनन पुणे, सतारा, कोल्हापुर, कोलाबा, थाना तथा रत्नागिरी जिलो में दक्कन ट्रेप उत्तरी भागों में किया जाता उत्तर—-
(v) छत्तीसगढ़- छत्तीसगढ़ में बॉक्साइट उत्पादक क्षेत्र दुर्ग जिले की मैकाले पहाडियाँ, बिलासपुर, सरगुजा का पठारी प्रदेश व रायगढ़ उत्तर—-
(vi) तमिलनाडु- तमिलनाडू में प्रमुख उत्पादक जिले नीलगिरी, सेलम तथा मदुरै उत्तर—- सेलम जिले की शिवराय की पहाडियों
में साधारण किस्म का बॉक्साइट मिलता उत्तर—-
(vii) अन्य राज्य- कर्नाटक तथा गोवा में भी बॉक्साइट के निक्षेप पाए जाते हैं।
प्रश्न— 3. धात्विक खनिज से आप क्या समझते हैं? भारत में लौह-अयस्क के क्षेत्रीय वितरण तथा उपयोगिता पर प्रकाश
डालिए।
उ०- धात्विक खनिज- जिन खनिजों में धातु का अंश पाया जाता है, उन्हें धात्विक खनिज कहा जाता उत्तर—- अयस्क को साफ और शुद्ध करके धात्विक खनिज पाए जाते हैं। लोहा, मैंगनीज, सोना, चाँदी, ताँबा और बॉक्साइट आदि धात्विक खनिजों के उदाहरण हैं। इनमें से कुछ खनिज लौह अंश युक्त होते हैं तथा कुछ अलौह अंश युक्त। लौह-अयस्क, मैंगनीज, टंगस्टन व निकिल लौहयुक्त तथा सोना, चाँदी, ताँबा, सीसा, टिन, बाक्साइट व मैग्नीशियम अलौहयुक्त धात्विक खनिज हैं।
लौह-अयस्क की उपयोगिता एवं भारत में इसका वितरण- इसके लिए विस्तृत उत्तरीय प्रश्न संख्या- 1 के उत्तर का
अवलोकन कीजिए।
प्रश्न— 4. अभ्रक की उपयोगिता तथा उसके उत्पादक क्षेत्रों पर प्रकाश डालिए।
उ०- अभ्रक अधात्विक, हल्का और बहुउपयोगी खनिज उत्तर—- इसकी उत्पत्ति भूगर्भ में आग्नेय और कायांतरित शैलों में परतों के रूप में होती है जिन्हें भूगर्भ से खोदकर निकाला जाता उत्तर—- इसकी परतों को चीरकर प्रयोग में लाया जा सकता उत्तर—- अभ्रक की परतें हल्की चमकदार और पारदर्शी होती हैं। अभ्रक बिजली और ताप का कुचालक होने के कारण बहुत महत्वपूर्ण खनिज बन गया उत्तर—- अभ्रक का महत्व और उपयोगिता- अभ्रक का महत्व औद्योगिक दृष्टि से अधिक होने के कारण यह बहुत उपयोगी खनिज उत्तर—- इस बहुउपयोगी खनिज की उपादेयता को निम्न बिंदुओं के माध्यम से व्यक्त किया जा सकता है
(i) अभ्रक विद्युत का कुचालक होने के कारण विद्युत तथा इलैक्ट्रोनिक उपकरण बनाने में प्रयुक्त किया जाता उत्तर—-
(ii) यह ताप का कुचालक होने के कारण अग्निरोधक वस्त्र बनाने तथा भट्टियों में लगाने में प्रयुक्त होता उत्तर—-
(iii) अभ्रक का उपयोग नेत्ररक्षक चश्मे बनाने में किया जाता उत्तर—-
(iv) यह पारदर्शक और चमकीला होने के कारण रंग-रोगन बनाने में प्रयुक्त किया जाता उत्तर—-
(v) अभ्रक का उपयोग टेलीफोन, रेडियो, वायुयान तथा काँच की चिमनियाँ बनाने में किया जाता उत्तर—-
(vi) इसका उपयोग अनेक सैन्य उपकरण तथा बेतार का तार उपकरण बनाने में किया जाता उत्तर—-
(vii) अभ्रक में औषधीय गुण होते हैं, अत: इससे अनेक दवाइयाँ भी बनाई जाती हैं।
(viii) अभ्रक भवनों की खिड़कियाँ बनाने, सजावटी कागज बनाने तथा शीट्स बनाने में भी प्रयुक्त होता उत्तर—-
भारत में अभ्रक का उत्पादक क्षेत्र- अभ्रक के उत्पादन में भारत को विश्व में प्रथम स्थान पाने का गौरव प्राप्त उत्तर—- हमारा देश संपूर्ण विश्व का 90% अभ्रक निकालता उत्तर—- भारतीय अभ्रक उच्चकोटि का होता है, अतः अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में इसकी मांग बहुत बनी रहती उत्तर—- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भारतीय अभ्रक की भागीदारी 60% रहती उत्तर—- भारत के प्रमुख अभ्रक उत्पादक राज्य निम्न हैं
(i) झारखंड- अभ्रक के उत्पादन में झारखंड का भारत में प्रथम स्थान उत्तर—- यह राज्य भारत के 40% अभ्रक का उत्पादन करता उत्तर—- यहाँ का अभ्रक उच्चकोटि का होता उत्तर—- हजारीबाग, कोडरमा, संथाल परगना तथा गिरिडीह जनपदों में अभ्रक की खानें स्थित हैं। इस राज्य में अभ्रक निकालने वाली लगभग 600 खानें हैं, जिनमें कोडरमा खान विश्व की सबसे
बड़ी अभ्रक की खान उत्तर—- इस खान से सर्वोत्तम किस्म का अभ्रक निकाला जाता उत्तर—-
(ii) आंध्र प्रदेश- अभ्रक के उत्पादन में आंध्र प्रदेश का भारत में दूसरा स्थान है, जो भारत के 33% अभ्रक का उत्पादन
करता उत्तर—- इस राज्य में विद्युत उपकरण बनाने के उद्योगों में प्रयुक्त होने वाला उत्तम कोटि का अभ्रक निकाला जाता उत्तर—- यहाँ नेल्लोर, कृष्णा, विशाखापट्टनम जिलों में अभ्रक की खाने हैं। तेलीबाडू तथा कालीचेहू यहाँ की प्रसिद्ध खानें हैं।
(iii) बिहार- बिहार भारत का तृतीय बड़ा अभ्रक उत्पादक राज्य है, जो भारत के कुल अभ्रक के उत्पादन का 20% अंश
प्रदान करता उत्तर—- बिहार में अभ्रक की खानें गया, मुंगेर और भागलपुर जिलों में फैली हुई हैं।
(iv) राजस्थान- राजस्थान राज्य भी भारी मात्रा में अभ्रक का उत्पादन करता उत्तर—- अभ्रक के उत्पादन में राजस्थान का चतुर्थ
स्थान है, जो भारत का 10% अभ्रक निकालता उत्तर—- यहाँ जयपुर तथा उदयपुर आदि जिलों में अभ्रक की खानें स्थित हैं।
(v) अन्य अभ्रक उत्पादक राज्य- भारत के अनेक अन्य राज्य भी अभ्रक का उत्पादन करते हैं, परंतु उनमें से मुख्य राज्य
कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, ओडिशा तथा केरल आदि हैं। भारत अभ्रक निर्यातक देशों में विश्व में प्रथम स्थान रखता उत्तर—- भारत संयुक्त राज्य अमेरिका, आस्ट्रेलिया, कनाडा, रूस, नीदरलैंड, इंग्लैंड, पौलैंड, जर्मनी तथा नार्वे आदि देशों को प्रतिवर्ष लगभग 250 करोड़ रुपए मूल्य का अभ्रक निर्यात
करता उत्तर—- 5. खनिज संसाधनों के महत्व तथा उनके संरक्षण के उपाय बताइए। उ०- खनिज संसाधनों का महत्व ( उपयोग)- खनिज संसाधन सभ्यता के लिए प्रकृति का अमूल्य उपहार हैं। वर्तमान
औद्योगिक व्यवस्था तथा कारखाना संस्कृति खनिज संसाधनों पर ही टिकी up board class 10 social science full solution chapter 37 वर्षा जल संचयन, बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएँ जल संसाधन
उत्तर—- खनिज संसाधनों के महत्व को निम्नवत् स्पष्ट किया जा सकता है(i) लोहा मशीनों के निर्माण का आधार बनकर उद्योगों को संचालित करता उत्तर—-
(ii) बॉक्साइट, अभ्रक तथा मैंगनीज आदि खनिज पदार्थ विविध उद्योगों को कच्चा माल उपलब्ध कराकर उनका पोषण
करते हैं।
(iii) कोयला तथा खनिज तेल जहाँ मशीनों और परिवहन के साधनों को चालक शक्ति प्रदान करते हैं, वहीं अनेक
उपयोगी पदार्थ उपलब्ध कराकर क्रमशः काला हीरा और तरल सोना बने हुए हैं।
(v )सोना, चाँदी, ताँबा आदि धात) अआभूषणा भर्तियाँ तथा मशीनों के निमणि ममें सहयोग देकर उपयोगी बनी हुई हैं ।
(v) चूना पत्थर और कोयला के मिश्रण से प्राप्त सीमेंट बाँध, सड़क, बिजली घर तथा भवन निर्माण में सहयोग करता उत्तर—-
(vi) संगमरमर और ग्रेनाइट सुंदर और टिकाऊ भवनों का निर्माण कर अपना महत्व बढ़ाते जा रहे हैं।
(vii) परमाणु खनिज आणविक शक्ति का विकास कर राष्ट्र के आर्थिक विकास और सुरक्षा में सहयोग करने के कारण महत्वपूर्ण बने हुए हैं।
(viii) खनिजों से मशीनें, यंत्र, अस्त्र-शस्त्र तथा अनेक उपयोगी वस्तुएँ बनती हैं।
इस प्रकार खनिज संसाधन राष्ट्र के औद्योगिक और आर्थिक विकास की रीढ़ तथा सुरक्षा के अमोघ अस्त्र हैं। खनिज संसाधनों का संरक्षण- खनिज संसाधन राष्ट्र के लिए उपयोगी ही नहीं अनिवार्य भी है, अतः इनके संरक्षण की उचित व्यवस्था होना आवश्यक
खनिज संसाधानों के संरक्षण हेतु निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं
(i) खनिजों के खनन में नवीनतम् तकनीकी का प्रयोग करके उनकी अधिक से अधिक मात्रा प्राप्त करने का प्रयास किया जाए।
(ii) खनिजों के प्रगलन तथा शुद्धिकरण में उच्चकोटि की तकनीक अपनाकर उनकी अधिकाधिक मात्रा ग्रहण करने का
उपाय किया जाना चाहिए।
(iii) खनिज संसाधनों का विदोहन आवश्यकता को ध्यान में रखकर नियंत्रित तथा योजनाबद्ध ढंग से किया जाए।
(iv) ताँबा, सीसा, चाँदी और सोना आदि धातुओं के स्क्रेप को पुर्नचक्रण द्वारा अधिकाधिक उपयोग में लाने का कार्य किया जाए।
(v) बहुमूल्य खनिजों का यथासंभव उत्पादन बढ़ाकर उनका आयात कम से कम किया जाए।
(vi) धातुओं से बनी वस्तुओं के टिकाऊ तथा दीर्घगामी उपयोग द्वारा धातुओं की बचत की जाए।
(vii) ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों का विकास कर ऊर्जा संसाधनों की आपूर्ति बढ़ाई जाए।
(viii) खनिज संसाधनों के खनन, प्रगलन तथा उपयोग में मितव्ययता करके इनका संरक्षण किया जाना चाहिए।
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